मानवतावाद के बिना राष्ट्रवाद एक साजिश है

मानवतावाद की प्राथमिकता के बिना राष्ट्रवाद या पंथवाद बेमानी है। मानवतावाद आज खतरे में है विघटनकारी शक्तियां हो रही है गोलबंद। संकीर्ण पंथों, वादों, समूहों …

नया कला इतिहास लेखन समय की मांग है – जोनी एम. एल.

विश्व कला दिवस पर भारतीय समकालीन कला पर व्याख्यान एवं कला छात्रों की कृतियों की प्रदर्शनी लगाई गई। लखनऊ,15 अप्रैल 2025 I  “भारतीय कला में …

बिहार में प्रदर्शित होगी उत्तर प्रदेश के कलाकारों की भोजपुरी शैली की कलाकृतियाँ

 उत्तर प्रदेश की दो लोककलाकार कुमुद सिंह और वंदना श्रीवास्तव के दो-दो  भोजपुरी शैली की कृतियाँ  कार्यक्रम में भाग लेंगे भूपेंद्र अस्थाना, कुमुद सिंह और …

मगही महोत्सव : सामाजिक सांस्कृतिक बदलाव की पहल

मगध का इतिहास अत्यंत समृद्ध रहा है, ज्ञान, अध्यात्म, धर्म और दर्शन से लेकर कला-संस्कृति के मामले में लगभग अट्ठारह सौ साल तक I उस …

अपने शहर में कलाकार मित्रों के बीच-1

यूं तो स्कूली दिनों में ही संस्कृत की कक्षा में सुभाषितानि के तहत हम रट चुके होते हैं- “अयं निजः परोवेती गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां …