63वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी संपन्न

नयी दिल्ली, 17 सितम्बर। ललित कला अकादेमी, नयी दिल्ली द्वारा आयोजित 63वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का समापन वृहस्पतिवार, 14 सितम्बर को हो गया। विदित हो कि इस राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी को दिल्ली और देश के विभिन्न हिस्सों से आये कलाकारों और कलाप्रेमियों का भरपूर सहयोग और समर्थन मिला। दिनांक 28 अगस्त को आयोजित उद्घाटन समारोह में लगभग 1000 से अधिक कलाकार और कला प्रेमियों की उपस्थिति रही। मशहूर अभिनेता मनोज जोशी ने इस प्रदर्शनी का विधिवत उद्घाटन किया,अभिनेता-निर्देशक और विद्वान चंद्रप्रकाश द्विवेदी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे साथ ही प्रसिद्ध कलाकार वासुदेव कामत बतौर विशेष अतिथि उद्घाटन समारोह में शामिल हुए। उद्घाटन के दिन सबसे सुखद रही अनुभवी कलाकार श्री राम सुतार की उपस्थिति। क्योंकि अपनी अधिक उम्र के बावजूद, वह उद्घाटन के लिए उपस्थित हुए थे। देखा जाए तो कुल मिलाकर यह एक शानदार आयोजन रहा। इसकी शुरुआत 28 अगस्त को हुयी थी, और इसे एक महीने तक चलाया जाना था। किन्तु, कुछ अपरिहार्य कारणों से 14 सितंबर 2023 को इसके समापन का निर्णय लेना पड़ा।

उद्घाटन कार्यक्रम

राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के समापन कार्यक्रम के तहत अकादेमी ने प्रो वी नागदास (अध्यक्ष,ललित कला अकादेमी), प्रो विमान बिहारी दास (अध्यक्ष, आल इंडिया आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स सोसाइटी), प्रो एस प्रणाम सिंह, डॉ राहस कुमार मोहंती ( उप सचिव, कार्यक्रम एवं प्रलेखन), श्री जोनी एमएल (संपादक) एवं श्री सुमन सिंह (संपादक) के हाथों से अकादेमी का न्यूज़लेटर (संवाद पत्र) “कलासंवाद” अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओँ में जारी किया। इसके अलावा पिछले दिनों जुलाई में गुवाहाटी, असम में आयोजित मास्टर्स प्रदर्शनी का कैटलॉग भी जारी किया गया। जल्द ही श्री अमित मुखर्जी द्वारा संपादित एक विशाल जुड़वां खंड ‘100 इयर्स ऑफ कलाभवन’ जारी होनेवाली है। यह शांतिनिकेतन में स्थित कलाभवन के इतिहास के बारे विस्तार से चर्चा करता है। वरिष्ठ कलाकार प्रो. प्रणाम सिंह ने राष्ट्रीय प्रदर्शनी स्थल के भीतर विभिन्न संस्थानों के कला छात्रों के बीच लाइव पेंटिंग प्रदर्शन किया, जो कला प्रेमियों के लिए एक खुशनुमा यादगार बन गया। कला इतिहासकार डॉ दिलीप त्रिपाठी (कार्यक्रम अधिकारी) ने कला भूमि आर्ट संस्थान के छात्रों एवं उपस्थित कला प्रेमियों को कला दीर्घा एवं कला प्रदर्शों के संयोजन के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही जीवन में कला के महत्व और उपयोगिता को भी रेखांकित किया। इस सत्र का सञ्चालन अंकित शर्मा द्वारा किया गया, एवं इस अवसर पर अकादेमी के सभी अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे। बताते चलें कि किसी भी बड़े आयोजन के पीछे उस संस्थान के सभी कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह अलग बात है कि इनमें से अधिकांश परदे के पीछे रह जाते हैं, किन्तु केवल इस आधार पर उनकी भूमिका को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए। क्योंकि सच्चाई तो यही है ये कर्मी ही किसी भी संस्थान के मेरुदंड होते हैं।

वरिष्ठ कलाकार प्रो. प्रणाम सिंह

इस 63 वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के कुछ उल्लेखनीय बिंदु इस प्रकार हैं, इस बार 3000 से ज्यादा कलाकारों ने करीब 5000 कलाकृतियों के साथ आवेदन किया था। पहले दौर के निर्णायक मंडल की अनुशंसा पर 275 कलाकारों द्वारा भेजे गए 295 कलाकृतियों को प्रदर्शनी में आमंत्रित किया गया। तदुपरांत दूसरे दौर के निर्णायक मंडल द्वारा 20 कलाकारों को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया, इन पुरस्कृत कलाकारों को पुरस्कार में एक प्रमाण पत्र, शॉल, पट्टिका और 2 लाख रुपये प्रदान किये गए।

इस प्रदर्शनी के लिए, जो कैटलॉग तैयार किया गया उसमें पुरस्कृत कलाकारों की कलाकृतियों पर वरिष्ठ कला समीक्षक जोनी एमएल (संपादक, ललित कला अकादेमी) द्वारा समीक्षात्मक टिप्पणी दर्ज़ की गयी। साथ ही प्रत्येक प्रतिभागी कलाकार की कलाकृतियों को भी पुरस्कृत कलाकृतियों के बराबर महत्व देकर प्रकाशित किया गया। इस तरह से यह कैटलॉग अब एक संग्रहणीय दस्तावेज बन चूका है। इसका सुखद परिणाम यह रहा कि प्रदर्शनी के दौरान इस कैटलॉग की रिकॉर्ड बिक्री हुयी। इस वर्ष अकादेमी ने दर्शकों को राष्ट्रीय प्रदर्शनी से जोड़ने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की एक श्रृंखला भी तैयार की थी। जिसके अंतर्गत नियमित अंतराल पर योग्य क्यूरेटर और प्रतिष्ठित हस्तियों द्वारा गैलरी वॉक और क्यूरेटोरियल वार्ता होती रही। और इन कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए विभिन्न संस्थानों से कलाकार, कला छात्र समूह में आते रहे।

अर्बन स्केचर्स के सदस्यों के साथ सुमन कुमार सिंह ( उप संपादक), ललित कला अकादेमी

अर्बन स्केचर्स नामक एक कलाकार समूह ने आकर राष्ट्रीय प्रदर्शनी की मौके पर ही स्केचिंग की। वहीँ एक अन्य दूसरे ग्रुप ने आकर क्ले मॉडलिंग वर्कशॉप आयोजित की। इसी क्रम में दिल्ली स्थित पुरस्कार विजेता कलाकारों के साथ ‘कहानी कहने की कला और कला’ नामक एक वार्ता सत्र भी आयोजित की गयी। इस कार्यक्रम में आरती पालीवाल, चुगली कुमार साहू, प्रियौम तालुकदार, अभिप्सा प्रधान, दिनकर व पंकज कुमार आदि शामिल हुए। अकादेमी के संपादक श्री जॉनीएमएल और श्री सुमन सिंह ने इस सत्र का संचालन किया। विशिष्ट अतिथि के तौर पर आमंत्रित वरिष्ठ कलाकार श्री सावी सावरकर ने भी उत्साही दर्शकों के साथ कला और कला के उद्देश्य पर अपने विचार साझा किये।

उल्लेखनीय है कि प्रदर्शनी के उद्घाटन के साथ ही अन्य दिनों में भी विभिन्न देशों के दूतावासों के प्रतिनिधियों का आगमन होता रहा। इसके अलावा विभिन्न सरकारी विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी राष्ट्रीय प्रदर्शनी का दौरा करते रहे। निःसंदेह इन सभी वजहों से इस राष्ट्रीय प्रदर्शनी से कला जगत में एक सकारात्मक माहौल पैदा हुआ है। अकादेमी अपनी आगामी यानी 64वीं राष्ट्रीय प्रदर्शनी में बड़ी भागीदारी के लिए विशेष अभियान चलाने की योजना बना रही है, उम्मीद है कि मार्च 2024 तक इसे क्रियान्वित कर लिया जायेगा। आने वाले वर्ष में कार्यक्रमों के श्रृंखला की जो योजना बनाई गयी है। उसके तहत अपने नए प्रकाशनों के अलावा अकादेमी इस साल दिसंबर में अयोध्या में एक मेगा शो और कार्यशाला की मंशा रखती है। इसके साथ ही अकादेमी जनवरी- फ़रवरी 2024 में दिवंगत के.जी.सुब्रमण्यन की जन्म शताब्दी मनाने की योजना पर भी काम कर रही है।

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