- शिविर में बनी 22 कलाकृतियों की प्रदर्शनी का उद्घाटन 14 मई 2023 रविवार को सायं 4:30 बजे
- माल एवेन्यू स्थित सराका आर्ट गैलरी, होटल लेबुआ, लखनऊ में किया जाएगा
लखनऊ, 13 मई 2023। सराका आर्ट गैलरी, होटल लेबुआ में 14 मई से अखिल भारतीय कला प्रदर्शनी का आयोजन होने जा रहा है। यह आयोजन सामान्य कला प्रदर्शनियों से थोड़ा भिन्न इसलिए है कि इसमें उन कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जा रहा है, जिसका निर्माण देश के विभिन्न हिस्सों से आये ग्यारह कलाकारों ने किया है। हम जानते हैं कि दुनिया के अनेक देशों में क्रिकेट एक बहुप्रचलित एवं लोकप्रिय खेल है, जिसके प्रेमी बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हैं। भारतीय महाद्वीप में इसकी लोकप्रियता ने तो बाकी खेलों को काफी पीछे छोड़ दिया है। नवाबों के शहर लखनऊ में भी क्रिकेट को लेकर खासा उत्साह देखा जाता है। खासकर आईपीएल के चल रहे मैचों की वजह से, क्योंकि इसके प्रतिभागियों में “लखनऊ सुपर जाइंट्स” टीम भी शामिल है। विदित हो कि “भारत रत्न श्री अटल बिहारी बाजपेयी एकाना क्रिकेट स्टेडियम” में इस श्रृंखला के कुल सात मैच आयोजित होने हैं।
इसी उत्साह को लेकर दृश्य कला के कलाकारों ने भी क्रिकेट जैसे खेल के प्रति अपना एक नजरिया प्रस्तुत किया है। जिसके तहत प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पिछले दिनों चार दिवसीय “क्रिकेट फीवर… बैटी आर्ट ” शीर्षक अखिल भारतीय कला शिविर का आयोजन किया गया । यह कैम्प क्रिकेट और कला प्रेमियों के लिए बहुत ही खास है। क्योंकि इसमें देश के आठ प्रदेशों से आये नामचीन कलाकारों ने अपनी विशेष शैली, तकनीकी और विचारों के माध्यम से क्रिकेट बैट को कैनवास की तरह बरता है। इस कला शिविर का समापन शनिवार 13 मई की देर शाम को हुआ। इस शिविर में बनी 22 कलाकृतियों की प्रदर्शनी का उद्घाटन 14 मई 2023 रविवार को सायं 4:30 बजे नगर के माल एवेन्यू स्थित सराका आर्ट गैलरी, होटल लेबुआ में किया जाएगा। शिविर की क्यूरेटर वास्तुकला एवं योजना संकाय की अधिष्ठाता डॉ वंदना सहगल हैं। वहीँ इसके कोऑर्डिनेटर हैं युवा कलाकार/ कला लेखक भूपेंद्र कुमार अस्थाना। इस कला शिविर के प्रतिभागी हैं नयी दिल्ली से दत्तात्रेय आप्टे, आनंदमय बनर्जी, राजेश राम एवं संजय शर्मा, बिहार से हेमा देवी, आसाम से विनोय पॉल, उत्तर प्रदेश से धीरज यादव, मणिपुर से पी. प्रेमचंद सिंह, मध्य प्रदेश से नीलेश योगी, महाराष्ट्र से मनोज शर्मा तथा गुजरात से विजया चौहान।
इस तरह से यह एक ऐसा आयोजन था जिसमें लोककला और समकालीन कला के कलाकारों द्वारा एक साथ एक ही विषय पर कलाकृतियां रची गयीं। सामान्यतया देखा जाता रहा है कि हमारे यहाँ आये दिन कला शिविरों का आयोजन तो होता ही रहता है। किन्तु इनके दस्तावेजीकरण के प्रति अधिकांश आयोजकों का रवैय्या उपेक्षापूर्ण ही रहता है। बहुत हुआ तो यह दस्तावेजीकरण कुछ फोटोग्राफ्स एवं अखबारी कतरनों तक सीमित होकर रह जाता है। इस शिविर के आयोजकों ने इसके दस्तावेजीकरण को जिस तरह से विशेष प्राथमिकता दी है, आनेवाले दिनों में वह एक अनूठी मिसाल साबित हो सकती है। इस कार्यक्रम के दस्तावेजीकरण के लिए जहाँ ख्यातिलब्ध आर्ट फोटोग्राफर शैलेन्द्र कुमार की सेवा ली गयी है, वहीँ इससे संबंधित लेखन का ज़िम्मा मनीषा कुमारी को दिया गया है।