मैथिली भोजपुरी अकादमी दिल्ली और बाबू शिवजी राय फाउंडेशन,दिल्ली ने संयुक्त रूप से आयोजित किया भिखारी ठाकुर की 137 वीं जयंती पर बिदेसिया का मंचन।
नयी दिल्ली. 18 दिसम्बर I बिहार के मिट्टी के भोजपुरी समाज के स्वाभिमान, विश्व स्तर के नाटककार और सामाजिक चेतना के पुरोधा भिखारी ठाकुर की जयंती 17 दिसम्बर, मंगलवार को एलटीजी ऑडिटोरियम, मंडी हाउस, दिल्ली में मनाया गया I जिसमें उनकी अमर कृति “बिदेसिया” का मंचन भी हुआ। यह मैथिली भोजपुरी अकादमी, दिल्ली और बाबू शिवजी राय फाउंडेशन, दिल्ली का संयुक्त आयोजन था।
प्रथम सत्र में परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें रिनी सिंह के संचालन में वरिष्ठ रंगकर्मी सुमन कुमार, गीतकार कवि मनोज भावुक, भोजपुरी साहित्य के विद्वान डॉ. संतोष पटेल और भोजपुरी के पत्रकार प्रमोद कुमार सुमन ने भिखारी ठाकुर जी के रंगमंच, शैली, शिल्प, कथ्य पर बातचीत की और उन्हें स्वाभाविक और क्रांतिकारी लेखक के रूप में रेखांकित किया I साथ ही भोजपुरी भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग भी दोहराया गया।
मंचित नाटक बिदेसिया एक पूर्णतः संगीतमयी प्रस्तुति थी जिसमें कलाकारों को संवाद अदायगी के साथ गाना भी गाना होता है। नाटक का विषय बिहार से कलकत्ता कमाने जाने वाले पुरुष और फिर गाँव में अकेली रह गयी उसकी पत्नी के माध्यम से अकेली स्त्री की पीड़ादायक जीवन का चित्रण है। बाहर कमाने जाने पर दूसरी शादी की घटना भी केंद्र में है।
प्रस्तुति में भिखारी ठाकुर के रूप में सूत्रधार बने कुमार वीर भूषण का संवाद अदायगी खांटी लोक शैली वाला नृत्य सूक्ष्म बारीकियों से भरा हुआ और मोहक था। प्यारी सुंदरी की भूमिका में गीतों की अदायगी, भाव भंगिमा में कुशल रहीं डॉ आकांक्षा प्रकाश। तो नायक बिदेसी का अभिनय सहज और गायकी कमाल की रही। बटोही की भूमिका में वीर भूषण का अभिनय हास्य और दर्द दोनों से पूर्ण था। दूसरी पत्नी रखेलीन की भूमिका में रूनी मिश्रा को खूब पसंद किया गया। देवर- सुशांत श्रीवास्तव, बाड़ीवाला -देव मुखर्जी , मां- नीति शुक्ला, जोकर- प्रिंस कुमार, छोटा बच्चा- देवाशीष और पार्थ रॉय ने अपने अभिनय में चरित्रों के साथ बखूबी न्याय किया। नाटक के अन्य भूमिका में पूजा सिंह, हेमलता वर्मा, यश मेहरा, शुभम भारती, विकास कुमार, कार्तिक मिश्रा, नाज जोशी, प्रिंस कुमार ने अच्छा अभिनय किया।
विदित हो कि संगीतमय प्रस्तुति वाले किसी भी नाटक की रीढ़ गायकों की टीम होती है I इसकी जिम्मेदारी राजेश पाठक और राकेश कुमार ने निभाई , वहीँ दर्शकों को राजेश पाठक, मनीषा, हेमलता मौर्य की गायकी बेहद पसंद आई। गायकों की इस मंडली में सुशांत श्रीवास्तव , शुभम भारती और प्रिंस कुमार ने जहाँ कोरस गायक के तौर पर समां बाँधा I वहीँ साजिंदों में अतीक का नगाड़ा और वसु प्रशांत के ढोलक वादन ने भी खूब रंग जमाया। इस नाटक में प्रकाश परिकल्पना उत्पल झा, दृशबंध- शिवम् यादव, मुखसज्जा-अर्चना कुमारी, प्रॉपर्टी- अनिल पांडे और प्रस्तुति नियंत्रण -विजय और अतुल ढींगरा का था। दिसम्बर की सर्द शाम के बावजूद प्रेक्षागृह दर्शकों से पूरी तरह भरा रहा, यहाँ यह भी विशेष उल्लेखनीय है I इसे विशेष उपलब्धि मानते हुए यह कह सकते हैं कि मैथिली भोजपुरी अकादमी ने बिदेसिया नाटक की एक सशक्त टीम दिल्ली में खड़ी कर ली है।
नाटक – बिदेसिया
लेखक – भिखारी ठाकुर
निर्देशक – कुमार वीर भूषण
संगीत – राजेश पाठक एवं
राकेश कुमार
प्रकाश – उत्पल झा
उद्घोषणा – रिनी सिंह
मंच पर:
सूत्रधार – कुमार वीर भूषण
बिदेसी – राकेश कुमार
प्यारी सुंदरी – आकांक्षा प्रकाश
बटोही – कुमार वीर भूषण/
के पी मौर्या
दोस्त -प्रिंस कुमार
रखेलीन -रूनी मिश्रा
देवर – सुशांत श्रीवास्तव
बाड़ीवाला – देव मुखर्जी
बच्चा – देवाशीष भूषण
पार्थ रॉय
कोरस गायन, कोरस अभिनय और समाजी –
हेमलता मौर्या, प्रियंका अवर्णी, यश मेहरा, कार्तिकेय मिश्रा, अर्चना कुमारी, शुभम भारती, अनुवेश कुमार, शुभम भारती, विकास कुमार, नाज जोशी, नीति शुक्ला, शालू चौहान, खुशबू कुमारी।