जमीं से जुड़ाव को दर्शाता एक कला आयोजन

हमारी समकालीन या आधुनिक कला की विडंबना यह भी रही है कि अपने आविर्भाव के समय से ही यह महानगर केंद्रित रही है । जिसका परिणाम यह हुआ कि ऐसे कलाकार जो ग्रामीण इलाकों या छोटे शहरों में रहकर कला साधना करते रहे अक्सर गुमनाम ही रह गए। लेकिन हाल के वर्षों की बात करें तो इसमें एक सकारात्मक बदलाव सामने आ रहा है। सोशल मीडिया के विस्तार का यह सुखद सा परिणाम है, कुछ इसी तर्ज पर भोजपुर अंचल के कलाकारों ने मिलकर ‘भोजपुरी द सोल आफ मिलियंस ‘ संस्था का निर्माण किया है। अपने मंच द्वारा आयोजित एक हालिया आयोजन पर कलाकार रौशन राय की रपट ….

‘भोजपुरी द सोल आफ मिलियंस’ पेज से संचालित ऑनलाइन कला प्रदर्शनी अपने अंतिम चरण में है। पिछले 45 दिन से, विजुअल आर्ट ग्रुप का स्वतंत्र एग्जीबिशन कई मायने में यादगार रहा। 26 दिसंबर से तकरीबन 21 अलग-अलग विधा से जुड़े कलाकारों का यह ऑनलाइन कला प्रदर्शनी, अपने मौलिक मूल्यों को लेकर खासा लोकप्रिय व प्रभावी रहा है। वैसे तो कोरोना काल में ऑनलाइन कला प्रदर्शनी कई पेजो से संचालित हुआ । लेकिन ‘भोजपुरी द सोल आफ मिलियंस ‘ पेज से प्रदर्शित यह प्रदर्शनी भोजपुरी भाषी क्षेत्र पर केंद्रित था। इस आयोजन में पूर्वांचल से जुड़े कलाकारों ने अपनी जमीनी संस्कृति को अपने दर्शकों के सामने परोसा है।

वैसे इस बार मौका था अपनो को जोड़ना और जुड़ना। भारतीय कला के इतिहास में देखा गया है, कि भाषा परिवर्तन के साथ, रचनात्मक बदलाव स्वाभाविक हो जाता है। कला जब आम जनमानस से सीधा वार्ता शुरू कर दे तो समझ लेना चाहिए कि यह एक कलात्मक परिवर्तन का वक्त है। ‘भोजपुरी द सोल आफ मिलियंस’ पूर्वांचल से जुड़े लोगों के लिए या कह सकते हैं भोजपुरी भाषी क्षेत्र से जुड़े लोगों का एक जमावड़ा है। लागातार भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा दिलाने का भी प्रयास चल रहा है, ऐसे में कला और कलाकारों की प्रासांगिकता बढ़ जाती है। हुआ भी कुछ ऐसा ही, वक्त था कलाकारों को समाज में अपनी रचनाधर्मिता से सीधे आम लोगों से जुड़ना। कोरोना के भयावह वो वक्त जब लोग अपने लोगों के खोज में अपने जन्मस्थली पर लौटने लगे। तब शुरू हुआ कलाकारों का सामाजिक संरचना में खुद की भागीदारी, मुझे ख़ुशी है कि इस वक्त को बड़ी कुशलता से खास बनाया इन कलाकारों ने। इस तरह से उन्होंने एक समग्र कलागत समग्रता को सीधे जीवन रूपी जमीन से जोड़ दिया है।

इस अवसर पर 21 अपने-अपने विधा में, चाहे वो चित्रकार हो या मूर्तिकार या फिर छापा कलाकार खासा प्रभावित किया है। यह एक डिजिटल ग्लोबल परिवर्तन का दौर चल रहा है। जहां लोगों में स्थानीयता के भाव स्वाभाविक तौर पर देखा जा रहा है। ऑनलाइन कला प्रदर्शनी अपने समय के संवाद को कलाकृतियों के माध्यम से समाज तक पहुंचाता है। इतना ही नहीं स्थानीय समकालीन सोच और समाजिक सरोकार को ग्लोबल और डिजिटल कलात्मक अंदाज से सामने लाता है। इस तरह से भोजपुरी भाषी क्षेत्र से जुड़े लोगों में इस प्रदर्शनी ने एक जागरूकता भी पैदा किया। किसी भी रचनात्मक आयोजन के सफलता के पीछे एक बेहतर टीम की जरूरत होती है। इसी क्रम में भोजपुरी द सोल आफ मिलियंस परिवार के कला अंग “भोजपुरी विजुअल आर्ट ग्रुप” के सक्रिय सदस्य श्रीमती आभा भारती, युवा मूर्तिकार अरविंद सिंह, युवा चित्रकार राजन कुमार, चित्रकार रौशन राय के साझा प्रयासों से यह कला प्रदर्शनी शीर्ष बन पड़ा है।

पुरे आयोजन में एक अलग तरह का, कैटलॉग पेज बनाया गया जिसके बैकग्राउंड में भोजपुरिया कोहबर लेखन को स्थान दिया गया था। चित्रकार राजन कुमार ने डिजिटल प्रयोग से ऑनलाइन कला प्रदर्शनी को एक खास कलात्मक रूप दिया है। पूरे 45 दिनों तक इस आयोजन के अध्यक्ष, अनिरुद्ध चौधरी, उपाध्यक्ष रंजना रॉय जी के व्यापक सोच से, इस कला प्रदर्शनी को काफी बल मिला। हर दूसरे दिन एक नए कलाकार के रचना संसार पर, सधी हुइ रचनात्मक समीक्षा से हर पोस्ट दर्शनीय बन पड़ा। यहां मैं चर्चा करना चाहूंगा भोजपुरिया संस्कृति से जुड़े लोगों का। लगातार कलाकारों से संवाद स्थापित करना सहज नहीं होता एक बेहतर व अलग संस्कृति का विकास इस अवसर पर दृष्टिगत हो रहा है। कला हमेशा संकट में आगे आकर लोगों को भटकाव से बचाया है, और नैतिक मूल्यों से जोड़ा है ।

एक साथ कला संगम और डिजिटल सौंदर्य से लोग काफी प्रभावित हुए हैं। कला हमेशा अपने समय के काल खंड और रचनात्मक बदलाव का पक्षधर रही है। समय समय पर खासा बदलाव देखा गया है। कला प्रदर्शनीया समाज को सही और सटीक मार्गदर्शन देते रही है। बदलाव के संस्कृति को हमेशा मान्यता मिलती रही है, और शायद यह वक्त सटीक है। अपने नैतिक मूल्यों से जुड़ जाना और अपनो को अपने संस्कृति की याद दिला देना। हम अक्सर प्रयास करते रहते हैं, कला समागम एक बेहतर माध्यम हो सकता है मिट्टी से जुड़े रहने का। इस अवसर को खास बनाने में मुख्य एडमिन धर्मेन्द्र कुमार जी, जो देश के सम्मानित समाजशास्त्री हैं बड़ा योगदान रहा है। लगातार कलाकारों से संवाद स्थापित कर,कला प्रदर्शनी को 44 देश में बसे पूर्वांचली लोगों से जोड़े रखा। इस ऑनलाइन कला प्रदर्शनी में 21कलाकार शामिल हूए है, सभी सम्मानित कलाकार आमंत्रित हैं।

कलाकारों में क्रमशः रिना सिंह, अमरनाथ शर्मा, सी आर हेम्ब्रम, पिंटू प्रसाद, मुकेश सोना, रंजीत कुमार, शिवशंकर सिंह, जितेंद्र मोहन, अरविंद कुमार सिंह, राकेश दिवाकर, राखी देवी, दिनेश कुमार, कौशलेश कुमार, रविन्द्र दास, राहुल कुमार, प्रमोद प्रकाश, मुहम्मद सुलेमान, राजन कुमार, आभा भारती, अरविंद सिंह, रौशन राय मुख्य थे।

समकालीन ऑनलाइन कला प्रदर्शनी के मुख्य आकर्षण में, कई कलाकारों ने अपने कलाकृतियों से खासा लोकप्रियता हासिल की। इस अवसर को, एतिहासिक और जनप्रिय बनाने में मिडिया का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है। कई ऐसे दर्शक थे जो रोज हर पोस्ट पर एकदम मौलिक विचारों से सहमति दी है। अभिव्यक्ति का अदभुत संगम जैसा बन पड़ा था कला प्रदर्शनी। अपने समय का यह एकलौता आयोजन है, जिसमें भोजपुरी में लिखे कला समीक्षा से लोग सीधे तौर पर जुड़ पा रहे थे। कलात्मक और सांस्कृतिक माहौल बनाने में कला प्रेमियों का बहुत बड़ा रोल रहा है। कई कलाकारों की कृतियों को दृष्टिगत करने के बाद यह कह सकते है कि आम जनमानस से सीधे तौर जुड़ा था। कला समीक्षक के रूप में, धर्मेन्द्र कुमार, राजिव चन्द्रा सिंह, सुप्रिता शर्मा, राकेश शर्मा, स्वेता भट्ट, स्मृति त्रिवेदी, शंकर मुनि राय, आभा राय, रंजना रॉय, रूद्र दुबे,राजिव रंजन राय, हर्षवर्धन चतुर्वेदी, आकृति विज्ञा अर्पण, वंदनांजनी श्रीवास्तव, नेहा त्रिपाठी, नेहा कुमार, अनिरुद्ध चौधरी, रौशन कुमारी, रौशन राय, सत्रुधन चौधरी, ने अपने कालजयी और भोजपुरी में समीक्षा से खासा प्रभावित बनाया।कला हमेशा बेहतर मार्ग अपनाया है और लोग इसे अपनाएं है। इस आयोजन में कई कलात्मक और डिजिटल प्रयोग देखें गए । आयोजन में सर्वप्रथम एक डिजिटल विडीयो सार्वजनिक किया गया। जिसमें 21कलाकारो के साथ आयोजन के बारे में संक्षिप्त जानकारी दिया गया था। आगे एक बेहतर कैटलॉग के निर्माण पर काम चल रहा है जिसमें सभी कलाकारों के साथ पेज से जुड़े लोगों के बारे में भी जरूरी जानकारी रहेगा। भोजपुरी द सोल आफ मिलियंस पेज से जुड़े हर सदस्य का हम स्वागत अभिनन्दन करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *