‘लेखक संघर्ष को एकत्र कर उसे प्रेरणा का मंत्र बनाता है I‘ – ब्रजेश मेहरोत्रा
पटना, 18 सितम्बर। जीवनियाँ मनुष्य के विचार, दर्शन और जीवन के दस्तावेज होती हैं। जीवनीकार अशोक कुमार सिन्हा के जीवन में संघर्ष के अनेक पड़ाव प्रेरित करने वाले हैं, जो नई पीढ़ी को आगे बढ़ने की रोशनी देंगे।
ये कहना है राज्य सूचना आयुक्त ब्रजेश मेहरोत्रा का । वे बुधवार को श्री अरविन्द महिला कॉलेज में हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी पखवाड़ा के समापन समारोह में श्रीराम तिवारी की पुस्तक ‘जीवनीकार अशोक कुमार सिन्हा‘ के लोकार्पण के बाद बतौर मुख्य अतिथि समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह की अध्यक्षता प्रसिद्व साहित्याकार एवं हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. शिवनारायण सिंह ने की जबकि संचालन सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रिया कुमारी ने किया।
मुख्य अतिथि ब्रजेश मेहरोत्रा ने कहा कि अशोक कुमार सिन्हा ने अनेक प्रेरक पुरुषों की जीवनियाँ लिखी हैं, जिनमें उनके अपने पिता, साहित्यकार, राजनेता आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि संघर्ष से सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है, इसलिए संघर्ष को उन्होंने महापुरुषों के जीवन से एकत्र कर उसे प्रेरणा के मंत्र में बदला। उन्होंने कहा कि अशोक मेरें प्रिय लेखक हैं। उन्हें पढ़ने से अपने जीवन की सफलता का मर्म समझ में आता हैं।
इस अवसर पर लोकार्पणकर्ता एवं प्रख्यात क्रांतिदर्शी कवि आलोक धन्वा ने कहा कि अशोक कुमार सिन्हा का जीवन विरुद्ध परिस्थितियों में भी लगातार कार्य करते हुए संघर्ष और सफलता का रहा है, जिसे जानने से महान मूल्यों को जीने का अवसर मिलेगा। अशोक ने अनेक महान पुरूषों की जीवनी लेखन के द्वारा नई पीढ़ी को आगे बढ़ने का मंत्र बताया है।
आरंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए कॉलेज की प्राचार्या प्रो. साधना ठाकुर ने कहा कि अशोक कुमार सिन्हा पर लिखी गई पुस्तक से पाठकों को प्रतिकूल परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने का मार्ग मिलता है, इसलिए इसे जरुर पढ़ा जाना चाहिए। इस अवसर पर पुस्तक परिचय देते हुए आरंभ में चर्चित लेखक पत्राकार डॉ, ध्रुव कुमार ने कहा कि अशोक कुमार सिन्हा ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण, जननायक कर्पूरी ठाकुर, सहित अनेक साहित्यकारों, कला शिल्पियों एवं आंदोलनकारी महापुरूषों की जीवनी का लेखन किया हैं। उनकी अब तक सैंतीस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
इस अवसर पर पुस्तक लेखक श्रीराम तिवारी, प्रसिद्ध लेखिका ममता मेहरोत्रा सहित अनेक वक्ताओं ने भी अपने-अपने विचार रखें। अशोक कुमार सिन्हा ने अपने उद्गार में कहा कि मैं किसान परिवार से आता हूँ। छुटपन से ही संघर्ष देखा है और इसी संघर्ष को अपनी प्रेरणा बनाकर कोशिश की, कि नई पीढ़ी भी अपने संघर्ष और अभाव को सफलता में बदलने का हुनर सीख लें। मैंनें अनेक महापुरूषों की जीवनी लिखी है, जो संकट में भी सफलता का मार्ग दिखाता है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रसिद्ध साहित्यकार एवं हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. शिवनारायण ने कहा कि अशोक कुमार सिन्हा मेरे छात्र जीवन के मित्र हैं। तब से इनकी लेखकीय साधना का साक्षी रहा हूँ। ये शब्दों के बाजीगर लेखक हैं। सामाजिक न्याय और जनतांत्रिक मूल्यों के चितेरे चिंतक हैं, जो नई पीढ़ी को सफलता पाने में मददगार होंगे। समारोह में बड़ी संख्या में शिक्षक, लेखक एवं अन्य लोग शामिल थे। समारोह के अंत में धन्यवाद ज्ञापन हिन्दी विभाग का एसोसिट प्रोफेसर डॉ. बलिराजी मौर्या ने किया।
स्रोत : प्रेस विज्ञप्ति