- क्रिस्टी की नीलामी में 119 करोड़ की रिकॉर्ड बोली
लंदन स्थित प्रतिष्ठित नीलामी गृह क्रिस्टीज़ (Christie’s) में 28 अक्टूबर 2025 को भारतीय कला इतिहास के लिए एक ऐतिहासिक क्षण दर्ज हुआ। मुग़लकालीन प्रसिद्ध चित्रकार बसावन (Basawan) का एक दुर्लभ लघुचित्र “ए फैमिली ऑफ़ चीताज़ इन अ रॉकी लैंडस्केप (A Family of Cheetahs in a Rocky Landscape)” को लगभग 119.49 करोड़ रुपये (10.25 मिलियन पाउंड) की अभूतपूर्व कीमत पर नीलाम किया गया। यह अब तक किसी भी “क्लासिकल इंडियन या मुग़ल पेंटिंग” के लिए सबसे ऊँची नीलामी बोली है।
यह नीलामी “Exceptional Paintings from the Personal Collection of Prince and Princess Sadruddin Aga Khan” शीर्षक संग्रह के अंतर्गत आयोजित हुई थी। बसावन की यह कृति 1575-80 के आसपास बनाई गई मानी जाती है और इसे मुग़ल सम्राट अकबर के काल की नैसर्गिकतावादी प्रवृत्ति (Naturalistic Tendency) का उत्कृष्ट उदाहरण कहा जाता है। यह वही काल था जब मुग़ल लघुचित्रकला में भारतीय और फ़ारसी शैली का संलयन अपने उत्कर्ष पर था — और बसावन को इस परिवर्तन का सबसे प्रमुख शिल्पी माना जाता है ।
कृति का कलात्मक महत्व :
यह चित्र बसावन की तकनीकी दक्षता और प्रकृति के सूक्ष्म अध्ययन का अनोखा प्रमाण है। चित्र में चीतों का एक परिवार चट्टानी परिदृश्य में दर्शाया गया है — परंतु इसमें केवल वन्य जीवन नहीं, बल्कि भावनात्मक अभिव्यक्ति का भी गहरा अर्थ छिपा है। नर-चीतों की सतर्कता, मादा की कोमलता और शावकों की खेलती मुद्रा, सब मिलकर प्रकृति के जीवन-चक्र का ऐसा चित्र प्रस्तुत करते हैं जो धार्मिक या दरबारी प्रसंग से परे जाकर मानवीय संवेदना का विस्तार करता है।
बसावन को मुग़ल दरबार के ह्यूमनिस्ट चित्रकार के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने मनुष्य और प्रकृति के पारस्परिक संबंध को गहराई से समझा। उनके चित्रों में चेहरे के भाव, प्रकाश की दिशा और दृष्टि की गहराई एक कथा का निर्माण करती है — जैसे दृश्य स्वयं बोल रहा हो। यह विशेषता उन्हें अपने समकालीन कलाकारों जैसे अब्दुस्समद या मीर सैय्यद अली से अलग करती है।
बाज़ार और ऐतिहासिक संदर्भ :
नीलामी में इस चित्र का मूल अनुमान लगभग 7-8 लाख पाउंड था, लेकिन यह अपनी अनुमानित कीमत से 14 गुना अधिक में बिका — जो अंतरराष्ट्रीय कला बाज़ार में भारतीय शास्त्रीय कला की बढ़ती प्रतिष्ठा का प्रमाण है। यह घटना केवल एक आर्थिक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक संकेत भी है कि भारतीय चित्रकला की ऐतिहासिक विरासत अब वैश्विक स्तर पर गंभीरता से संग्रहित और मूल्यांकित की जा रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस कृति की बिक्री यह दर्शाती है कि पश्चिमी संग्रहालयों और निजी कलेक्टरों के बीच मुग़ल कला की माँग लगातार बढ़ रही है। क्रिस्टीज़ ने इसे “क्लासिकल इंडियन आर्ट में नया मील का पत्थर” बताया है।
समीक्षा और निष्कर्ष :
कलात्मक दृष्टि से यह नीलामी एक प्रकार का पुनर्स्मरण है — उस काल का जब भारतीय कलाकारों ने वैश्विक कला इतिहास में यथार्थवाद और भावनात्मक चित्रण की नई परंपरा स्थापित की थी। बसावन की यह कृति उस सौंदर्यशास्त्रीय संवाद की पुनर्प्राप्ति है जिसमें कला केवल राजदरबार की सजावट नहीं, बल्कि जीवन के सत्य की व्याख्या बन जाती है।
इस नीलामी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पाँच शताब्दियों पुरानी मुग़ल लघुचित्र परंपरा आज भी जीवित है — और उसके भीतर निहित सौंदर्य और संवेदना की भाषा आधुनिक कला बाजार में भी उतनी ही प्रभावशाली है जितनी अकबर के दरबार में थी।
स्रोत: chatgpt

