अत्यंत दुःख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि प्राप्त सूचनानुसार सुप्रसिद्ध कला विदुषी इतिहासकार डॉ. चंद्रमणि सिंह का देहावसान रविवार, १५ मई, २०२२ को प्रात: जयपुर में हो चुका है. वह लंबे समय से अस्वस्थ थीं।
वह सन् १९५८ से १९७३ तक भारत कला भवन में वसन विभाग में सहायक संग्रहाध्यक्ष के पद पर कार्यरत रहीं।आपने भारत कला भवन के संस्थापक स्व. राय कृष्णदास के निर्देशन में कार्य करते हुए, कला भवन के विकास कार्यों में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया और अनेक सराहनीय कार्य किये, जो इनका सबसे सुखद कार्यकाल था. इनमें संग्रहालय शास्त्र अनुभाग की सन १९६८ में स्थापना, पुरावशेष संग्रह में योगदान, कला भवन ग्रंथालय को शोधपरक बनाने आदि कार्यों में आपका महत सहयोग रहा।
इसके पूर्व आपने का.हि. वि.वि. के ललित कला संकाय से मूर्तिकला में डिप्लोमा किया, जहाँ आपको चित्रकला के आचार्य स्व.जगन्नाथ मु.अहिवासी, प्रो. वासुदेवशरण अग्रवाल, प्रो. एम्. वी. कृष्णन आदि गुरुजनों का सान्निध्य प्राप्त हुआ । आपने कला इतिहास में एम.ए. तत्पश्चात पी.एच. डी. की डिग्री प्राप्त की। आप कलाविद राय कृष्णदास की परम प्रिय शिष्या थीं, जिनकी प्रेरणा से आपको अमेरिका के प्रो. वाल्टर स्पिंग के साथ कार्य करने का सुअवसर भी प्राप्त हुआ । आप सन १९७४ में जयपुर, राजस्थान के जवाहर कला केन्द्र के निदेशक पद रहीं और उक्त संस्थान को आपने एक नयी ऊंचाई प्रदान की। आपने चित्रकला के विविध विषयों पर अनेक शोधपरक आलेख व पुस्तकें लिखीं| सुप्रसिद्ध संग्रहलायविद ग्रेस मोर्ले की पुस्तक ‘म्यूजियम टुडे’ का हिंदी अनुवाद ‘आज के संग्रहालय’ नाम से किया जो संग्रहालय विज्ञान के हिंदी विद्यार्थियों हेतु उपयोगी सिद्ध हुआ।
सेवानिवृत्ति के बाद सन २०१९ से २०२१ तक भारत कला भवन के मूल्यांकन समिति के कार्यों से भी जुड़ी रहीं । इस दौरान आपने कला भवन को अनेक दुर्लभ वस्त्र व अलंकृत सामग्री दान स्वरूप भेंट की। इनका यह अमूल्य योगदान सदैव स्मरण रहेगा।
इनका असामयिक निधन हमसब के लिए अपूरणीय क्षति है। हम सभी कला भवन के सहयोगी उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं की वे दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें…
-राधाकृष्ण गणेशन
कला इतिहासकार
भारत कला भवन, वाराणसी