घनसाली में कला शिविर एवं कार्यशाला आयोजित

घनसाली, 7 मई 2025। “एसएलआरई फाउंडेशन” एवं “मंज़री रिसॉर्ट्स” के संयुक्त कार्यक्रम के तहत मंजरी रिसॉर्ट, मुयालगांव, विकास खंड मिलांगना में दिनांक 3 मई से 6 मई तक के लिए चार दिवसीय कला शिविर एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया I इसके तहत 3 मई से 4 मई तक स्कूली छात्रों के लिए दो दिवसीय चित्रकला प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया I कला शिविर में भाग लेने वाले युवा एवं वरिष्ठ कलाकारों ने शुरुआती दो दिन स्कूली छात्रों को चित्रकला की बारीकियों से अवगत कराया I वहीँ इन चार दिनों में वरिष्ठ एवं युवा कलाकारों ने कैनवास और रिसॉर्ट्स के दीवार पर चित्र बनाये I बताते चलें कि एसएलआरई फाउंडेशन अपने विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों के साथ-साथ ग्रामीण अंचलों के स्कूली बच्चों की कलात्मक प्रतिभा के विकास को भी प्राथमिकता देता है I  इससे पूर्व एसएलआरई फाउंडेशन द्वारा वर्ष 2015 एवं 2017 में नारायणकोटी, रूद्रप्रयाग में स्थानीय स्कूली बच्चों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं कला शिविर का आयोजन किया गया था I

स्कूली बच्चों द्वारा मंगल गान

इस तरह के प्रत्येक कार्यक्रम में देश के वरिष्ठ और युवा कलाकारों की टीम द्वारा छात्र-छात्राओं को कला प्रशिक्षण के साथ-साथ उनके बीच कला सामग्रियों का वितरण भी किया जाता है I देखा जाए तो हर बच्चे में जन्मजात सृजनात्मक प्रतिभा होती है, किन्तु उचित मार्गदर्शन नहीं मिलने की वजह से चाहकर भी अधिकांश बच्चे चित्रकला को कैरियर नहीं बना पाते हैं I विगत दशकों में देश में ललित कला खासकर आधुनिक एवं लोक कलाओं का विकास तो देखा जा रहा है I किन्तु कतिपय कारणों से इसका विस्तार ग्रामीण अंचलों में उस तरह से नहीं हो पाया है, जिसे अपेक्षित कहा जा सके I एसएलआरई फाउंडेशन अपने सीमित संसाधनों के बावजूद इस कमी की भरपाई का यथासंभव प्रयास कर रही है I हालाँकि यह विडंबना ही है कि महानगरों में आयोजित होनेवाले राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों के प्रति सरकार और निजी संस्थाओं की रूचि तो दिखती है, किन्तु ग्रामीण अंचलों में आज भी कला आयोजन उस अनुपात में नहीं हो पा रहे हैं; जिसकी आवश्यकता है I

कार्यक्रम को संबोधित करते खंड विकास अधिकारी, विपिन सिंह

दूसरी तरफ गढ़वाल जैसे अंचलों की विडंबना है कि यहाँ के गाँव खाली हो रहे हैं I पलायन या विस्थापन उत्तराखंड के गांवों की मानो नियति ही बन चुकी है I महानगरों में रह रहे उत्तराखंडी समय-समय पर अपने गाँव जाते तो रहते हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में प्रवासी या पर्यटक के तौर पर I ऐसे में एनसीआर में रह रहे पेशे से वकील बद्री प्रसाद अन्तवाल जो मंजरी रिसॉर्ट्स के निदेशक हैं, ने मंज्याडी एवं मुयालगांव को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक विकास के लिए गोद ले रखा है। इसके तहत उन्होंने अपने गाँव में न केवल “मंजरी रिसोर्ट” का निर्माण किया है, स्थानीय स्तर पर आधुनिक खेती को भी अपनाया है I उनके इन खेतों में तेजपत्ता, गुलाब, बड़ी इलाईची, पहाड़ी प्याज, लहसुन इत्यादि का उत्पादन आधुनिक जैविक तरीकों से कर रहे हैं I इन उत्पादों को वे आधुनिक तकनीक से पैकेजिंग कर बाज़ार में उतार चुके हैं I

अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति देते स्कूली बच्चे

इस दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ दिल्ली से पधारे वरिष्ठ चित्रकार एवं “मारसी आर्ट” के निदेशक त्रिभुवन कुमार देव, वरिष्ठ कलाकार सुमन कुमार सिंह, जय त्रिपाठी, विपिन कुमार, दिलीप शर्मा, खंड विकास अधिकारी, मिलांगना श्री विपिन सिंह, बद्री प्रसाद अन्तवाल, एडवोकेट, एस. के. अन्तवाल, सेवानिवृत प्राचार्य एवं एसएलआरई फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी विकल कुलश्रेष्ठ द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम में विकास खंड मिलांगना, टिहरी गढ़वाल के दस विद्यालयों के चालीस छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया। देश के विभिन्न हिस्सों से आए वरिष्ठ एवं युवा कलाकारों के मार्गदर्शन में सभी स्कूली बच्चों ने चित्र सृजन किया । इन दो दिनों के लिए प्रशिक्षु छात्र छात्राओं के लिए प्रशिक्षण सामग्री एवं खान पान की व्यवस्था श्री बद्री प्रसाद, एडवोकेट के सौजन्य से की गई है। इस अवसर पर श्री एच. एम. भट्ट, श्रीमती तरुणा नौटियाल, श्री उमावत नौटियाल, श्रीमती सुषमा भास्कर, श्रीमती कविता अन्तवाल एवं श्री रमेश भंडारी समेत अनेक स्थानीय प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।

चित्र रचना में संलग्न बच्चे

इस कार्यक्रम का उद्देश्य वरिष्ठ एवं युवा कलाकारों तथा कला संकाय के छात्रों द्वारा स्कूली बच्चों की कला चेतना का विकास था । कार्यशाला के दुसरे दिन राजधानी देहरादून से सुश्री दीपाली शर्मा, विकास अधिकारी, उद्यान विभाग छात्रों के उत्साहवर्द्धन के लिए पधारीं I छात्र-छात्राओं, कलाकारों एवं आयोजकों से औपचारिक मुलाकात के बाद उन्होंने बतौर प्रतिभागी चित्र रचना भी करी I दरअसल स्कूली बच्चों को चित्र बनाते देखकर उन्हें अपने स्कूली दिनों की याद आ चली थी I वरिष्ठ कलाकारों के साथ-साथ जिन युवा कलाकारों ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया, वे थे पटना, बिहार से आये अक्षय कुमार सिंह, भोला पंडित एवं राहुल तथा चंडीगढ़ से पधारे आज़ाद, राजवीर कौर, गगन, फारिहा, प्रिया एवं पावनी I इनमें से कईयों के लिए यह गढ़वाल अंचल की पहली ऐसी यात्रा थी जिसमें स्थानीय जनजीवन को जानने समझने के साथ-साथ उस परिवेश के तमाम पहलुओं से अवगत होने का अवसर मिला I

त्रिभुवन देव एवं दीपाली शर्मा

वहीँ स्थानीय स्कूली बच्चों के लिए यह पहला अवसर था किसी कला आयोजन में हिस्सेदारी निभाते हुए अपनी कलात्मक प्रतिभा को दर्शाने के साथ-साथ वरिष्ठ एवं युवा कलाकारों के सान्निध्य का I स्थानीय प्रशासन खासकर खंड विकास अधिकारी विपिन सिंह एवं दीपाली शर्मा, स्थानीय विद्यालयों के शिक्षकों तथा प्रबुद्ध जनों का जैसा सहयोग और समर्थन इस कार्यक्रम को मिला, वह बेहद उत्साहित एवं प्रेरित करने वाला था I भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित हो सके इसके लिए सबने अपनी जो प्रतिबद्धता जताई, वह वापसी के बाद भी सभी कलाकारों एवं आयोजकों के लिए आशा की किरण बन गयी I

बाएं से आजाद, त्रिभुवन देव एवं विकल कुलश्रेष्ठ

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