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ओटीटी पर आधारित ‘ओवर द टॉप का मायाजाल’ पुस्तक का विमोचन हुआ
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केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर एवं सुनील आम्बेकर ने किया लोकार्पण
नई दिल्ली, 9 फरवरी। प्रख्यात लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार अनन्त विजय की लिखित पुस्तक ‘ओवर द टॉप का मायाजाल’ का लोकार्पण शुक्रवार को इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के समवेत सभागार में हुआ। पुस्तक का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और युवा मामले एवं खेल मंत्री अनुराग ठाकुर तथा इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अनुराग ठाकुर ने कहा, सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के साथ लगातार संवाद स्थापित किया गया, ताकि हम मनोरंजन के साथ-साथ जिम्मेदारी का संतुलन बना सकें। उनको बार-बार निर्देश दिए गए। यह समझना जरूरी है कि स्वस्थ मनोरंजन ही स्वस्थ समाज की आधारशिला है। हम समझते हैं कि ‘स्व नियमन’ की जरूरत है। मैं ‘स्व नियमन’ का समर्थन करता हूं, लेकिन ‘स्व नियमन’ जिनको दिया गया, उन्हें भी अपनी जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए। सरकार एक सहयोगी के रूप में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की मदद कर सकती है, साथ खड़ी है, क्योंकि हमारा लक्ष्य उद्योग को दबाना नहीं, बढ़ाना है। लेकिन सही दिशा में ले जाना है। अगर कोई सोचे कि ‘स्व नियमन’ के नाम पर आप नग्नता, अभद्रता, गंदी भाषा को परोसेंगे, तो हमने पहले भी कड़ी कार्रवाई की है, आगे भी कड़ी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेंगे। स्वतंत्रता की आड़ में अश्लीलता, नग्नता, अपनी संस्कृति के अपमान को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। कलात्मक स्वतंत्रता का मतलब ये नहीं है कि आप समाज की जड़ों को ही खोदने की शुरुआत कर दें।
कार्यक्रम में मौजूदा आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने अपने संबोधन में कहा कि समाज में हमें हमेशा अपनी धर्म-संस्कृति के अनुसार ही बातों या अन्य चीजों का निर्माण करना चाहिए, जिसमें मनोरंजन उद्योग भी आता है। भारत कला का उत्सव है। समाज में किसी भी विषय पर जितनी सकारात्मक चर्चा होगी, उतना ही अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि आज भारत में ओटीटी कंटेंट बहुत ज्यादा बन रहा है, जिससे देश की विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं को भी देश और दुनिया में विस्तार मिल रहा है।
आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि अनंत विजय की पुस्तक को बार-बार पढ़ा जाना चाहिए। पत्रकारिता के जितने भी प्राध्यापक इस सभागार में हैं, वे जरूर अपने पाठ्यक्रम में इस पुस्तक को लगाएं और पत्रकारिता-जनसंचार के उन तमाम विद्यार्थियों को ये पुस्तक पढ़ाएं कि ये संचार का एक कैसा खतरनाक माध्यम है, जो हमारे पूरे के पूरे सामाजिक ताने-बाने को नष्ट कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि ओटीटी पर भी किस प्रकार का नियमन किया जा सकता है, उसके बारे में सोचना होगा।
पुस्तक के लेखक अनन्त विजय ने कहा कि उनकी पुस्तक में ओटीटी को लेकर अच्छी-बुरी दोनों बातें हैं। उन्होंने बताया कि पुस्तक में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि ओटीटी के जरिए किस तरह से भारतीय भाषाओं का विस्तार हुआ है। इसके साथ ही, किस तरह से ओटीटी द्वारा अपसंस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसकी चर्चा भी पुस्तक में की गई है। यह इस प्रकार के गंभीर विषय पर पहली पुस्तक है। कार्यक्रम का संचालन प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार और धन्यवाद ज्ञापन पीयुष कुमार ने किया।
स्रोत : प्रेस विज्ञप्ति