ए.रामचंद्रन को समर्पित “जलम फेस्टिवल” का शुभारंभ

केरल के कोलम जिले में बनने वाले संग्रहालय में मूर्धन्य कलाकार ए रामचंद्रन द्वारा दान की गई 72 पेंटिंग्स को अवलोकनार्थ रखी जायेगी। इन कलाकृतियों का मूल्य लगभग 300 करोड़ से ज्यादा की हैं। यह संग्रहालय रामचंद्रन की पवन स्मृति में बन रही है।

जबलपुर। 26 दिसंबर 2024 I जलम नाम से राष्ट्रीय प्रसिद्धि पा चुके जबलपुर आर्ट लिटरेचर एंड म्यूजिक कार्यक्रम के नौवें संस्करण का भव्य शुभारंभ गुरुवार को हुआ। कार्यक्रम का आरम्भ मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कला आलोचक/ कवि विनोद भारद्वाज, देशराज, वरिष्ठ पत्रकार पी सुधाकरन, मुरली चिरोट, सचिव, ललित कला अकादमी, केरल, डॉ. राज लक्ष्मी त्रिपाठी, प्रिंसिपल, आर्ट कॉलेज जबलपुर, कुमार जसाकिया, शांतिनिकेतन, शास्त्रीय गायिका कलापनि कोमकली, विनय एवं सुप्रिया अंबर आदि के द्वारा प्रख्यात चित्रकार ए रामचंद्रन के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर के किया गया।

ज्ञातव्य हो कि जलम के इस चार दिवसीय कार्यक्रम को महान भारतीय चित्रकार, मध्यप्रदेश कालिदास सम्मान और पद्मभूषण से सम्मानित श्री ए. रामचंद्रन को समर्पित किया गया है। जबलपुर के कल्चर स्ट्रीट स्थित संस्कृति थिएटर परिसर में यह कार्यक्रम चार दिन चलेगा।

कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी भूपेन्द्र अस्थाना ने बताया कि कार्यक्रम के प्रथम दिन की शुरुआत ए रामचंद्रन के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित दो डॉक्यूमेंट्री फिल्म के. विक्रम सिंह एवं विनोद भारद्वाज द्वारा फिल्म “लोटस पोंड” की फिल्म स्क्रीनिंग के साथ हुआ। इसके बाद नर्मदा पर बनी गुजराती फीचर फिल्म “रेवा” की हिंदी वर्जन की भी पहली स्क्रीनिंग की गई। जलम का उद्देश्य सभी कलाओं, साहित्य,संगीत, सिनेमा,नाटक,कला प्रदर्शनी,कला शिविरों,वर्कशॉप,कला संगोष्ठियों को समाहित करते हुए हर वर्ग के दर्शकों को लाभान्वित करने का है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार नौवें संस्करण का शुभारंभ किया गया है,जिसमे मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग का विशेष सहयोग है।

मूर्धन्य कलाकार ए. रामचंद्रन देश के उन अग्रणी कलाकारों में है जिन्होंने लंबे दशक तक कला के प्रति अपना जीवन अर्पित किया। आज उनकी कलाकृतियां राष्टीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर सराही जाती है। एक कलागुरु के रूप में विख्यात रामचंद्रन के अनेकों शिष्यों और कला प्रेमियों ने जलम उत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज की ।

आज राष्ट्रीय कला शिविर का भी उद्घाटन किया गया। शिविर में भाग लेने वाले समकालीन चित्रकारों हैदराबाद से पी. शंकरन, लखनऊ से भूपेन्द्र कुमार अस्थाना, पूनम चन्द्रिका त्यागी, डॉ.विम्मी मनोज (इंदौर), सुरेश के. नायर (बी. एच. यू), सुधायदास.एस (केरल), नवल किशोर (दिल्ली), कुमार जस्सकीया (शांतिनिकेतन), धीरेन्द्र सिसोदिया (बनारस), भैरवी मोदी(बरोदा), आलोक शर्मा (ग्वालियर), मो. सुलेमान (समस्तीपुर). डॉ.छागेन्द्र उसेंडी (खैरागढ़), दिनु घटा (गोंदिया), मोनिका घुले (मुंबई), योगेश प्रजापति (मथुरा), लखन सिंह जाट(जयपुर), पूजा म्हात्रे (मुंबई), संदीप किंडो(खैरागढ़), लकी जायसवाल (इंदौर), कपिल लखेरा (मंडला), ज्योति शर्मा (जालंधर), नरेश श्याम(डिंडोरी), सुषमा सरोज (जबल पुर) को सुप्रिया अंबर ने पुष्प देकर स्वागत किया।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से पुणे से हिना भट्ट, नई दिल्ली से जोनी एम. एल., जय त्रिपाठी सहित सैंकड़ों की संख्या में कलाकार व कलाप्रेमी उपस्थित हुए।

– भूपेन्द्र कुमार अस्थाना 

9452128267,7011181273

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