“उत्कृष्ट लेखक भी थे कलाकार ए. रामचन्द्रन”

  • रामचंद्रन सिर्फ कलाकार ही नहीं वरन एक पूरा स्कूल थे -विनोद भारद्वाज
  • जिसने भी मेरे गुरु ए. रामचंद्रन जी की डांट खाई वह एक उत्तम छात्र और कलाकार बना – सुप्रिया अंबर
  • देश के इस महान कलाकार ने केरल में बन रहे संग्रहालय के लिए अपना सबकुछ दान कर दिया – चिरोथ
  • यह महान कलाकार रेखांकन में माहिर होने के बाबजूद अकादमिक परख के साथ चित्रों को बनाने की शुरुआत करते थे  – जोनी एम. एल.
  • उन्होने हमें कला में महारथी बनाने के लिए सुबह से लेकर रात तक लगातार कई महीनों रेखांकन कराया जिसके लिए मैं सदैव उनको अपना एक बेहतरीन गुरु और आदर्श मानती हूं – साबिया खान
  • एक अनुवादक होने के नाते मैं यह कह सकता हूं कि वह एक अच्छे लेखक और सम्पादक थे – पी. सुधाकरन
  • यह मेरा सौभाग्य था कि मेरे कलागुरु ने मेरा परिचय देश के विख्यात कलाकार ए. रामचंद्रन से कराया जिनपर मेरी पत्नी सुप्रिया अंबर ने शोध किया – विनय अंबर

जबलपुर, 28 दिसम्बर 2024 I कल्चरल स्ट्रीट में इन दिनों जबलपुर आर्ट, लिटरेचर एंड म्यूजिक फेस्टिवल के नौवें संस्करण का विशेष समरोह चल रहा है। यह समारोह कला,साहित्य और संगीत के सभी आयामों को समेटे हुए है , जहां देशभर से कलाकारों, कलाविदों, विद्यार्थियों का जमावड़ा लगा हुआ है। जलम महोत्सव के तीसरे दिन की शुरुआत एक संस्मरण प्रसंग से हुई। कार्यक्रम में दिल्ली से लेखक विनोद भारद्वाज, देशराज, जोनी एम. एल., साबिया खान, केरल से आये  मुरली चीरोथ, पी. सुधाकरन, जबलपुर से विनय और सुप्रिया अंबर वक्ता रहे, कार्यक्रम का सञ्चालन शांतिनिकेतन से पधारे कुमार जासकिया ने किया।

मीडिया प्रभारी भुपेंद्र अस्थाना ने बताया कि कार्यक्रम में सभी अतिथि वक्ताओं ने ए. रामचंद्रन से जुड़े  अपने-अपने संस्मरण साझा किये । कला समीक्षक जोनी एम. एल. ने कहा –

“रामचंद्रन एक ऐसे कलाकार थे जो आधुनिकता के सभी मानदंडों पर खरे उतरते  थे । उन्होंने मूर्तिकला और चित्रकला दोनों में भव्य आख्यान रचे। उन्होंने भारत के लोगों को ही अपना विषय बनाया, जिनकी गरिमा के लिए संघर्ष एक समय उनकी चित्रकारी की चिंता थी। यहां तक ​​कि उनके बाद भी एक अच्छे रंगकर्मी और दृश्य कथाकार के रूप में विकसित होने के बाद, रामचंद्रन ने हाशिए के लोगों के प्रति अपने प्यार को पीछे नहीं छोड़ा। वे अपने दृश्य महाकाव्यों के बहाने प्रतिष्ठित शख्सियतों में बदल गए, जो अब भी भारतीय कला के आधुनिक गुरुओं में से एक हैं।”

जोनी एम. एल.

इसी कड़ी में पी. सुधाकरन ने कहा –

“रामचन्द्रन न केवल एक महान कलाकार थे, बल्कि एक उत्कृष्ट लेखक भी थे, जो समान रूप से काव्यात्मक और दृष्टिगत रूप से संवेदनशील थे। जब हम उन्हें पढ़ते हैं तो हमें एक कालखंड और एक कलाकार के रूप में उनके विकास की तस्वीर मिलती है। अगर उन्होंने लेखक बनने का फैसला किया होता तो मुझे यकीन है कि वह एक महान लेखक बनते जिसको पूरी दुनिया जानती।”

ए. रामचंद्रन के छात्र रहे देशराज ने विस्तार से कहा कि नायर सर से मेरी मुलाकात 1977 में जामिया में एडमशिन के दौरान हुई। उस समय जामिया में दो कोर्स हुआ करते थे पहला था एक साल का डिप्लोमा इन आर्ट व दूसरा बीएड था । मैने दो साल के डिप्लोमा में अप्लाई किया था लेकिन सर ने मुझे डिग्री कोर्स करने को कहा जो उसी साल शुरू हुआ था। नायर सर की कई पेंटिंगस जैसे न्यूक्लियर रागिनी सीरीज़, द चेज़, मेलॉन सेलर, ग्रेव डिगर, डांसिंग गिरी और नायिका जैसी सीरीज़ मैने उसी स्टूडियो में बनती हुई देखी।

सर का पढ़ाने का तरीका बिल्कुल अलग था जैसे कि वो अगर बच्चों की किताब के चित्र के बारे में बात कर रहें है तो उसके बहुत सारे बनाये रेखांकन दिखाते थे ताकि छात्र समझ पाये की स्टोरीज को कैसे किया जाता है। उनकी इसी कला – साधना ने उनको एक महान चित्रकार बना दिया। इसी कड़ी में लेखक विनोद भारद्वाज, साबिया खान, विनय और सुप्रिया ने भी अपने-अपने महत्त्वपूर्ण संस्मरण प्रसंग साझा किये।

नाटक “पश्मीना” का एक दृश्य

दूसरे सत्र में जबलपुर के अक्षय सिंह ठाकुर को “श्री गजनीश वैद्य स्मृति इत्यादि युवा नाट्य कर्मी सम्मान” और सुश्री साजिदा साजी (एन. एस.डी. दिल्ली) को “श्री राधेश्याम अग्रवाल स्मृति इत्यादि सम्मान” से सम्मानित किया गया। तीसरे दिन का समापन ट्रेजर आर्ट एसोसियेशन, नई दिल्ली की सुश्री साजिदा साजी के निर्देशन में मृणाल माथुर द्वारा लिखित नाटक “पश्मीना” के मंचन से किया गया। “पश्मीना” कश्मीर की पृष्ठभूमि पर लिखा बेहद संवेदनशील नाटक है जो मानवीय रिश्तों के ताने-बाने को पश्मीना के नाज़ुक धागे से जोड़ता है। ये कश्मीर की एक भावुक प्रेम कहानी पर आधारित था।

  •  भुपेंद्र कुमार अस्थाना – 9452128267,7011181273

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