जबलपुर कला, साहित्य और संगीत महोत्सव सम्पन्न

डॉ. ज्योतिष जोशी हमारे समय के एक ऐसे महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं, जो कला एवं साहित्य में समान दखल रखते हैं। अतः जाहिर है किसी भी सांस्कृतिक आयोजन में उनकी उपस्थिति उस आयोजन को एक विशेष गरिमा प्रदान करती है। पिछले दिनों आयोजित “जबलपुर आर्ट, लिटरेचर एन्ड म्यूजिक फेस्टिवल 2022 ” पर उनकी यह प्रतिक्रिया उनके फेसबुक वाल से सादर-साभार ली गयी है। अम्बर दम्पति द्वारा आयोजित इस सफल आयोजन से वर्ष 2022 का सुखांत नए वर्ष में संभावनाओं की नयी ज्योति लेकर आये, इसी कामना के साथ – मॉडरेटर

आयोजन के दौरान सृजित कलाकृति का अवलोकन करते डॉ. ज्योतिष जोशी

गत 27 से 29 दिसम्बर, 022 तक लगातार चलनेवाला जबलपुर कला, साहित्य और संगीत महोत्सव सम्पन्न हुआ। इत्यादि आर्ट फाउंडेशन पिछले सात वर्षों से इसे सफलतापूर्वक आयोजित करता रहा है। देश भर में आयोजित हो रहे कला, साहित्य के उत्सवों से अलग यह आयोजन इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इसका ध्येय समाज की सांस्कृतिक जागृति और लेखकों-कलाकारों में सामाजिक दायित्व के निर्वाह की सुविचारित दृष्टि है जो शायद ही उत्सवधर्मी आयोजनों में दिखे। इसे निजी और कुछ संस्थाओं के सहयोग से कलाकार दम्पत्ति -विनय अम्बर और सुप्रिया अम्बर जिस निष्ठा से सम्भव कर पा रहे हैं, वह हर स्तर पर सराहनीय है।

बाएं से सुमन सिंह, सीरज सक्सेना, पीयूष ठक्कर, अखिलेश, भूपेंद्र अस्थाना, डॉ. ज्योतिष जोशी, डॉ. राजेश व्यास एवं वरिष्ठ कलाकार रघुबीर अम्बर

इस महोत्सव का नियोजन इस तरह हुआ था कि पूरा परिवेश सांस्कृतिक आभा से जगमगा उठा था। चित्रकार शिविर, चित्रकला प्रदर्शनी, सांगीतिक सँध्याएँ (जिनमें गायन, वादन दोनों शामिल थे), कला सम्वाद, कहानी पाठ, कविता पाठ, व्यंग्य पाठ और उस पर विचार के सत्र, जैसे चर्चा के सत्र बड़े प्रासंगिक और महत्वपूर्ण लगे। आयोजन में चित्रकार अखिलेश, सुमन सिंह, त्रिभुवन देव, अरविंद ओझा, शैलेन्द्र कुमार, समीक्षक -राजेश व्यास, विनय उपाध्याय, जय त्रिपाठी, राजीव शुक्ल, भारती शुक्ल,पीयूष ठक्कर, भूपेंद्र के अस्थाना, रंगकर्मी आशीष पाठक, कवि-अरुण देव, पूनम अरोड़ा, श्रद्धा सुनील, कुंदन सिद्धार्थ, असंग घोष, कथाकार-राजेन्द दानी, नताशा, श्रद्धा श्रीवास्तव, समृति शुक्ल, व्यंग्यकार रमेश तिवारी, कुंदन सिंह परिहार, चंद्रकांत राय, शिविर चित्रकार- विपिन कुमार, राखी कुमार, सोनम सिकरवार, शालिनी आनन्द , चेतना चौधरी आदि की उपस्थिति ने आयोजन को उसके ध्येय में सफल किया।

चित्रकार राखी कुमार के साथ डॉ ज्योतिष जोशी एवं उनकी धर्मपत्नी

आयोजन का एक पक्ष ‘ स्व राधेश्याम अग्रवाल स्मृति सम्मान ‘ भी था जिसे इस वर्ष लब्ध प्रतिष्ठ चित्रकार सीरज सक्सेना को दिया गया। इस सम्मान के निर्णायकों में चित्रकार अखिलेश और अशोक भौमिक के साथ मैं भी था। 27 दिसम्बर की शाम को जबलपुर के महापौर के हाथों सीरज को यह सम्मान मिला।

स्व. राधेश्याम अग्रवाल स्मृति सम्मान ग्रहण करते सीरज सक्सेना

इस महोत्सव में शैलेन्द्र कुमार के छायाचित्रों की प्रदर्शनी, राजेश दुबे के व्यंग्य चित्रों की प्रदर्शनी तथा गुरमीत गोल्डी,सुबोध सिंह,संजय प्रजापति,नरेंद्र देवांगन, सुषमा सरोज और विक्रम यादव के मूर्ति शिल्पों की प्रदर्शनी भी विशेष आकर्षण का विषय रही। सांगीतिक आयोजनों में धानी गुंदेचा का ध्रुपद गायन, शेषाद्रि अय्यर का कविता गायन तथा श्रुति अधिकारी का संतूर वादन मंत्रमुग्ध करनेवाला अनुभव रहा, जिसे भूल पाना सम्भव नहीं।

आयोजन का एक अन्य अहम हिस्सा कालिदास के मेघदूत पर वरिष्ठ कवि और चित्रकार रघुवीर अम्बर के काव्य रूपांतरण और चित्रण की पुस्तक का लोकार्पण था। यह स्तुत्य प्रयत्न है जिसकी सराहना की जानी चाहिए।

इस पूरे आयोजन का संचालन रंगकर्मी श्री आशुतोष द्विवेदी ने जिस तन्मयता से और अपनी वाग्मिता के कौशल से किया, वह अलग से रेखांकन योग्य है। उनको भी बहुत बधाई।

भूपेंद्र अस्थाना एवं सुप्रिया अम्बर

कला में चित्रण, चित्र और भ्रम के तहत पहले कला सम्वाद की अध्यक्षता मुझे करनी थी। इसमें हमने पश्चिम और पूरब के हवाले से यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि बिना सन्दर्भ और आख्यान के चित्र की कल्पना करना बेमानी है। इससे हम कला सृजन में समय और परिवेश की धारणा को ही निरस्त कर रहे हैं जो ठीक नहीं। एक अन्य सत्र ‘ कला के विकास में अकादमियों की भूमिका ‘ के तहत भी हमने कुछ बातें रखीं और निवेदन किया कि कला संस्थाएं और अकादमियां अपनी सार्थक भूमिका इसलिए नहीं निभा रही हैं कि सरकारें उदासीन हैं और स्वयं लोग अपने दायित्व के प्रति गम्भीर नहीं रह गए हैं। अपने निवेदन में हमने कलाकारों को कला की नागरिकता का दायित्व निभाने और अपने आत्म के प्रति नैतिक होने की अपील भी की।

विनय अम्बर संग भूपेंद्र अस्थाना

संक्षेप में कहें तो यह आयोजन पूर्व की भांति भीड़ से अलग एक सरोकारधर्मी और सार्थक आयोजन था जो लगातार राष्ट्रीय आकार लेता जा रहा है और साहित्य, कला से जुड़े हुए लोगों को उनके दायित्व के प्रति जागरूक कर रहा है। यह निसंदेह बहुत बड़ा काम है जिसे इत्यादि के मंच से विनय और सुप्रिया अम्बर सम्भव कर रहे हैं और संस्कृति जगत में एक उदाहरण बनकर उभरे हैं। इत्यादि की पूरी मंडली, जिसमें भारती शुक्ल और हिमांशु श्रीवास्तव शामिल हैं, और वे समर्पित कार्यकर्ता – रवि, निहाल, निशिगन्धा, गुल आदि के बिना यह चर्चा पूरी नहीं होती, इसलिए हम उन्हें भी शिद्दत से आभार व्यक्त कर रहे हैं। इन सबके सहित अम्बर दम्पत्ति को इस महती आयोजन के लिए मेरी हार्दिक बधाई और भविष्य की अशेष मंगल कामनाएं ।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *