- बिहार के वरिष्ठ आर्ट फोटोग्राफर शैलेंद्र कुमार को लखनऊ में एक विशेष कार्यक्रम में दिया जाएगा यह सम्मान।
- समारोह में मोनोग्राफ का लोकार्पण भी किया जाएगा साथ ही शैलेंद्र कुमार के उन छाया चित्रों की विशेष प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। जिनमें समाहित है देश की धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक बहुलता की छटा।
लखनऊ, 31 जनवरी 2023, पिछले दो वर्षों से प्रति वर्ष आयोजित होने वाले कार्यक्रम के तहत इस वर्ष भी उत्तर प्रदेश के युवा दूरदर्शी छायाचित्रकार जलज यादव के पावन स्मृति में उनकी 33 वीं जयंती पर “रूपकृति : ओपेन आर्ट स्पेस” सांस्कृतिक और रचनात्मक,कलाकार समूह द्वारा आगामी बुधवार, 8 फरवरी 2023 को नगर लखनऊ, उत्तर प्रदेश में एक विशेष समारोह का आयोजन करने जा रहा है। इस विशेष समारोह में इस बार छायाचित्र प्रदर्शनी, मोनोग्राफ लोकार्पण और जलज स्मृति सम्मान – 2023 जैसी कलात्मक गतिविधियाँ आयोजित होंगी। इस समारोह में कला एवं सांस्कृतिक जगत के अनेक प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति रहेगी।
कार्यक्रम के समन्वयक एवं चित्रकार भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि रूपकृति : ओपेन आर्ट स्पेस सांस्कृतिक और रचनात्मक,कलाकार समूह द्वारा निर्णय लिया गया है कि युवा छायाचित्रकार के स्मृति में इस वर्ष से एक सम्मान शृंखला की भी शुरुआत की जाए। और इसलिए इस बार ‘जलज स्मृति सम्मान’ की शुरुआत की जा रही है। इसके पीछे अवधारणा यह है कि अनेक कलाकार जो अपने संबंधित क्षेत्र/ विधा में बड़े पैमाने पर समाज को अपना उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। उन उत्कृष्ट व्यक्तियो की पहचान करके उन्हें सम्मानित किया जाये साथ ही उनकी कला को विशेष प्रोत्साहन भी मिले। ताकि युवा कलाकार/ छायाकार उनसे प्रेरणा ग्रहण कर सकें।
हमें यह घोषणा करते हुए आपार हर्ष हो रहा है कि इस बार ” जलज स्मृति सम्मान-2023 “ के लिए पटना, बिहार के वरिष्ठ छायाचित्रकार श्री शैलेंद्र कुमार को धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धरोहरों के क्षेत्र में उनके विशेष योगदान को देखते हुए चुना गया है। इस अवसर पर शैलेंद्र कुमार द्वारा भारत के सामाजिक व सांस्कृतिक विविधता को दर्शाने वाले पकलात्मक छायाचित्रों की एकल प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। विदित हो कि कला एवं शिल्प महाविद्यालय, पटना से पेंटिंग विषय के स्नातक श्री शैलेंद्र पिछले 42 वर्षों से लगातार भारत के सांस्कृतिक रंगों एवं विरासत को अपने छायाचित्रों के माध्यम से सहेज रहे हैं। आपके इन छायाचित्रों की रेट्रोस्पेक्टिव शो, एकल और अनेकों समूहिक प्रदर्शनियां भी लगाई जा चुकी हैं । साथ ही अनेक कार्यशालाओं, कला शिविरों, स्लाइड शो में भी आपकी भागीदारी रही है। इतना ही नहीं विदेशों में आयोजित अनेक प्रदर्शनियों में भी आपके कलात्मक छायाचित्र प्रदर्शित एवं संग्रहित हो चुके हैं। कलात्मक फोटोग्राफी में अपने विशेष योगदान के लिए आपको अनेक सम्मान और पुरस्कार भी प्राप्त हैं।
लगभग चार दशकों से अधिक की अपनी कला-यात्रा में शैलेन्द्र ने विभिन्न विषयों पर जो श्रृंखलाबद्ध फोटोग्राफी की है उसकी एक लंबी सूची है। जिनमें लोकजीवन से लेकर, तीज-त्यौहार, धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजन व पर्यटन स्थल के साथ-साथ सोनपुर मेला जैसे आयोजन की श्रृंखला शामिल है। अपनी नौकरी के दौरान वे इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, पटना से बतौर छायाकार जुड़े रहे। इस क्रम में ऑपरेशन थियेटर से लेकर विभिन्न चिकित्सीय प्रयोगों की फोटोग्राफी भी वे करते रहे। बहरहाल इस प्रदर्शनी में उनके जो छायाचित्र शामिल हैं वे लोक-आस्था और उत्सवों से जुड़े हैं। भारतीय जन-जीवन में होली के त्यौहार के विशेष महत्व से हम सभी परिचित हैं, देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तौर तरीकों से इसे मनाया जाता है। शैलेन्द्र ने वर्षों अलग-अलग शहरों में जाकर इसे अपने कैमरे में कैद किया है। जिनमें बनारस की भस्म होली से लेकर ब्रज की अनूठी होली के रंग और छटाएं संजोई हुई हैं । वहीं बिहार में प्रतिवर्ष आयोजित होनेवाले छठ और हरिद्वार महाकुम्भ की नयनाभिराम छवियां भी यहां दर्शकों को देखने को मिलेगी। जाहिर है इन छायाचित्रों में शैलेन्द्र की संयोजन क्षमता और अपने माध्यम पर उनकी तकनीकी पकड़ भी स्पष्ट दृष्टिगत हैं। साथ ही बनारस के घाटों की वह श्रृंखला भी यहां उपस्थित हैं, जो अपने श्वेत-श्याम स्वरूप में हमारे सामने हैं। शैलेन्द्र मूलत: एक कलाकार हैं, इसलिए अपने छायाचित्रों की गुणवत्ता में वृद्धि एवं उसे और भी अर्थपूर्ण बनाने के लिए कंप्यूटर तकनीक की सहायता भी लेते हैं। सामान्य तौर पर इसके लिए वे फोटोशॉप साप्टवेयर की मदद लेते हैं। कतिपय इन्हीं कारणों से उनके छायाचित्र सिर्फ कैमरे का कमाल न होकर उनकी संयोजन क्षमता एवं कलात्मक दृष्टि का समन्वय प्रस्तुत करती है।
समारोह के मुख्य आयोजक चित्रकार धीरज यादव ने बताया कि यह हमारे छोटे भाई युवा सोच के दूरदर्शी छायाचित्रकार जलज यादव के स्मृति में किया जा रहा है। विदित हो कि बहुत ही कम उम्र में उनका निधन हो गया। तत्पश्चात हम उनकी स्मृति में लगातार कलात्मक गतिविधियों कला प्रदर्शनी, कला शिविर, कला संवाद, पोर्टफोलियो, मोनोग्राफ प्रकाशन, आर्टिस्ट रेसिडेंसी कार्यक्रम के साथ साथ कला और कलाकारों के प्रोत्साहन और संवर्धन के लिए अनेकों आयोजन करते आ रहे हैं। इस कड़ी में इस बार से “जलज स्मृति सम्मान” की भी घोषणा करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है।
जलज को राह चलते मिलने वाले या कहें कि अपने आसपास के परिवेश से लम्हें चुराना और फिर अपने कैमरे में कैद करना बेहद पसंद था। इन लम्हों की बानगी उनके छायाचित्रों में दिखती है। एक ऐसी ही श्रृंखला है जिसमें किसी ऐसे मूर्तिकार की कार्यशाला के छायाचित्र हैं। जो मिट्टी से परंपरागत धार्मिक प्रतिमाएं बनाता है। यह अलग बात है कि दुर्भाग्य से हमारे समाज ने इस वर्ग को हाशिए पर डाल रखा है। बावजूद इसके कि उसकी बनाई इन प्रतिमाओं के बगैर भव्य से भव्य पूजा पंडाल भी बेरौनक हो जाती है। इन छायाचित्रों में जहाँ मानवीय श्रम अपनी गरिमा के साथ उपस्थित है वहीं परंपरा से चली आ रही उत्सवधर्मिता भी यहां अंतर्निहित है। और इन सबके साथ ही श्वेत-श्याम माध्यम के इन छायाचित्रों में छायाकार की वह दृष्टि भी परिलक्षित है जो किसी आम से लम्हे को खास बना डालता है। जाहिर सी बात है कि यह सबकुछ या ऐसा बहुत कुछ हम अपने रोजमर्रा के जीवन में दर्जनों बार देख चुके होते हैं, किन्तु जब जलज जैसा कोई छायाकार हमारे सामने अपने तरीके से इसे प्रस्तुत करता है तो वह हमारे चाक्षुष अनुभव को न केवल समृद्ध करता है। किसी कलाकृति के आस्वादन का सुख भी प्रदान करता है।
आशा है राज्य एवं देश के सुधि कला प्रेमियों एवं समाज का अपेक्षित सहयोग और आशीर्वाद हमें अवश्य मिलेगा। सादर शुभकामनाएं।
– भूपेंद्र कुमार अस्थाना
9452128267,7011181273