निःसंदेह इस विश्वव्यापी महामारी ने हमारे समय की सर्वाधिक कठिन चुनौती हमारे सामने खड़ी कर दी है। एक ऐसे समय में जब पूरी दुनिया में इससे अपने और परिजनों को बचा लेने भर की आतुरता-व्याकुलता देखी जा रही हो, सृजन का गीत-संगीत व राग-रंग लगभग थम सा गया है। फिर भी कहते हैं न कि लाख झंझावातों के बावजूद दुनिया कभी रूकती नहीं है। ऐसे में सृजन का राग भले ही थोड़े समय के लिए कुछ मद्धिम सा पड़ जाय, लेकिन सृजन की आकुलता बरक़रार ही रहती है। वर्तमान दौर में कतिपय इसी आकुलता की देन है, ऑनलाइन कला प्रदर्शनियों का सिलसिला। बहरहाल इसी तरह की एक ऑनलाइन कला प्रदर्शनी का हाल बयां कर रहीं है युवा चितेरी आभा भारती अपने शब्दों में …
शाकुंतलम कला संस्कृति मंच से आयोजित ऑनलाइन कला प्रदर्शनी तकरीबन अपने अंतिम चरण में है। पिछले दो महीनों से शाकुंतलम कला संस्कृति मंच के फेसबुक पेज से नियमित प्रदर्शित होती कला प्रदर्शनी के पोस्ट प्रत्येक दिन अलग-अलग कलाकार पर आधारित होती हैं। इस आयोजन में देश के अलग-अलग हिस्सों से वरिष्ठ और युवा चित्रकारों ने हिस्सा लिया है। यह प्रदर्शनी अपने कलात्मकता और डिजिटल प्रयोगों को लेकर खासा लोकप्रिय हुआ है और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पटल पर बेहतर संदेश देने में भी कामयाब रहा है। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज युवा चितेरी आभा भारती जी का पोस्ट सार्वजनिक किया गया है। जमशेदपुर में उच्च शिक्षा ग्रहण कर दिल्ली में रहने वाली आभा भारती जी हाल के दिनों में खासा लोकप्रिय हुई और अपने डिजिटल आनलाईन कलात्मक प्रयोगों को लेकर चर्चा में रही है। इनके कलाकृतियों का अवलोकन किया जाए तो एक बात साफ हो जाता है कि आम जनमानस कि पीड़ा व संवेदना स्पष्ट रूप से उनकी रचनाओं में दिख जाता है। शाकुंतलम कला संस्कृति मंच की कोऑर्डिनेटर, डिजाइनर और समीक्षक आभा भारती ने ही इस आयोजन को सफलता से संचालित किया है।
संस्था के संस्थापक अध्यक्ष एवं ख्यात चित्रकार मुकेश सोना जी का मार्गदर्शन और रचनात्मक सहयोग इस प्रदर्शनी को मिला वहीँ प्रख्यात चित्रकार एवं मूर्तिकार पद्मश्री तिलक गीते जी ने भी इस आयोजन के लिए अपने शुभसंदेश प्रेषित किये हैं। कोलकाता से चित्रकार संदीप चटर्जी, दिल्ली से रविंद्र दास, संजू दास, संतोष वर्मा, आभा भारती, अहमदाबाद से मृणाल दत्त, श्याम शर्मा, जमशेदपुर से अर्जुन दास, पुणे से संजय टांडेकर, अमित क्षीरसागर , प्रयागराज से रवीन्द्र कुशवाहा, कावेरी विज, बिहार से मुकेश सोना, रौशन राय, राकेश कुमार दिवाकर, कौशलेश कुमार, अरविंद सिंह एवं कुल मिलाकर 52 चित्रकारों और मूर्तिकारों ने भाग लिया है, जिनके चित्रों को लोगों ने काफी सराहा है।
जमशेदपुर के चित्रकार अर्जुन दास जी की पेंटिंग भी खासा चर्चित रही। इस आयोजन की रचनात्मक खासियत यह है कि हर कलाकार के रचना संसार पर अंग्रेजी और हिंदी दोनों में ही समीक्षात्मक लेख के साथ, डिजिटल पेज को प्रदर्शित किया गया,इस कारण कोरोना काल में लोग अपने घरों में रह कर भी कला का आनंद ले पाए। हम जानते हैं कि इस संकट काल में दर्शकों का गैलरियों तक पहुंचना संभव नहीं है, इसलिए ऐसे में ऑनलाइन कला प्रदर्शनियों का दौर सा चल गया। विदित हो कि इस रचनात्मक अभियान वाले कलागत सौंदर्य को डिजिटल रचनात्मक प्रयोगों से सजाया है आभा भारती ने। प्रदर्शनी में शामिल हर कलाकार सदस्य इस आयोजन को लेकर काफी उत्साहित और प्रभावित रहे।
इस प्रदर्शनी में देश के चार जाने माने कलाकारों जैसे मिलिन्द मल्लिक, निशिकांत पलांडे ,राजमोहन अर्टिस्ट और विनय जोशी को भी सम्मान के साथ आमंत्रित किया गया है। अपने समय काल खंड में निश्चित ही शाकुंतलम कला संस्कृति मंच, जो मुजफ्फरपुर से संचालित हो रहा है आम लोगों पर कला की गहरी छाप छोड़ने में कामयाब हुई है। इस आयोजन में शामिल कलाकारों ने चित्रकला, मूर्तिकला, ग्राफिक कला और डिजिटल कलात्मक प्रयोग खुलकर किये हैं। यहाँ यह कहना उचित होगा कि इसे पूर्ण रूप से प्रतीकात्मक मजबूती दी है आभा भारती ने। निश्चित ही आम जनमानस से सीधा संवाद स्थापित करने में यह कला प्रर्दशनी सफल रहा है । कोरोना काल में कलाप्रेमियों के लिए एक संजीवनी सा काम कर रहे इस प्रर्दशनी के लिए लोग अपने घरों में रह कर भी खुब प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
-आभा भारती