बौद्धिक कल्पना को साकार करती “मिलन शर्मा”

अगर आप कलाकार,कला -पारखी या खरीदार हैं। और अच्छे व प्रभावी चित्रों को अपने संग्रह में शामिल करना चाहते हैं । तो इसके लिए आप महिला चित्रकार मिलन शर्मा की एकल चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन कर सकते हैं,जो इन दिनों नई दिल्ली की श्रीधराणी कलादीर्घा में चल रही है। यहाँ प्रदर्शित चित्र आपको तरोताजा तो करते ही हैं, साथ ही मन में कुछ ऐसी छाप छोड़ जाते हैं जो आपके अंतरमन को छू लेते हैं। समकालीन महिला चित्रकार मिलन अपनी कला में प्रयोगात्मकता को उस छोर पर ले जा कर आरम्भ करती हैं जहां रचनात्मकता नये आयाम स्थापित करती है। या यूँ कहें कि अपनी कृतियों में प्रयोगशील होना ही इनकी रचनात्मकता का पहला गुण है। इतना ही नहीं मिलन अपनी रचनात्मक क्रियाशीलता को अपनी वैचारिक क्षमता के साथ कृतियों में पिरोती हैं। इस तरह से आज की समकालीन कला में वह रचनात्मकता के नये मानदंड स्थापित करती नज़र आती हैं।

By Milan Sharma

आज की तेजी से बदलती जीवन शैली व उसका समाज पर हो रहे प्रभावों को मिलन की कलाकृतियों में देखा जा सकता है। जिसे वह रंगों की कई परतों में सतह के ऊपर उभरे टैक्चर और साथ में विभिन्न तरह की रेखाओं के साथ गढ़ती हैं। परिणाम स्वरुप सहज और सामान्य आकृतियां यहाँ संवेदनशील कला प्रयोगशीलता की छाप छोड़ती है । और कुछ इस तरह से इनकी कलात्मकता सुधि दर्शकों के देखने के नज़रिये को समृद्ध करती है। कला सृजन के अपने आरंभिक दिनों से ही वे अपने चित्रों की श्रृंखला में नये व अभिनव आयाम स्थापित करने का भरसक प्रयास करती रही हैं। कतिपय इसी का परिणाम है कि आज वो स्थापित महिला चित्रकारों में गिनी जाती हैं।

By Milan Sharma

मिलन ऐसा चित्र संसार रचती हैं जिनमें एक गहराई और ठहराव भी है, इसमें चित्रों का आकार छोटा हो या बड़ा हरेक कृति संजीदगी से सराबोर हैं। समाज में फैले वितृष्णा के भाव व नारी के प्रति शोषण को लेकर चित्रकार की आंतरिक बेचैनी को आप इनके कैनवास पर न सिर्फ देख सकते हैं, उससे जुड़े अहसास को महसूस भी सकते हैं। अपेक्षाकृत कुछ बड़े आकार के पेपर में किया गया काम भी कलाकार की कला क्षमता को दर्शाता है। बड़े आकारके पेपर शीट में काम की चाहत राहत तो देती ही है। यह भी दर्शाती है कि रेखाओं का प्रयोग हो या रंग-संयोजन में बरती गयी परिपक्वता अथवा टेक्सचर का प्रयोग मिलन की तूलिका ने अपनी सिद्धहस्तता साबित की है। ब्रश या तूलिका के अलावा अगर किसी अन्य टूल्स का उपयोग भी किया गया है तो उसने भी अपनी प्रभावी छाप यहाँ छोड़ी है। कुल मिलकर हम कह सकते हैं कि एक सधा हुआ तारतम्य विचार के केन्द्र-बिन्दु को अपने बौद्धिक कल्पना से यहाँ बखूबी साकार होता है।

By Milan Sharma

आप कहेंगें की इतनी रचनात्मकता के साथ किया गया प्रयोग गंम्भीरता तो ला सकता है। यह सच हो सकता है पर ऐसी स्थिति में आकर्षकता को कैसे बनाये रख सकता है। पर यहाँ इसी चित्र आकर्षण को इस गुणी चित्रकार की कला साधना ने रूपाकारों से संयोजित कर आत्मसात किया है । चित्रों की विधा को ले कर अपनी पहचान बनाने की बात इतनी महत्वपूर्ण है कि मिलन कलाजगत के पारखियों से लेकर आम जान मानस तक में अपनी छाप छोड़ती हैं। किसी भी कलाकार की कलायात्रा में देखा जा सकता है कि अपनी लम्बी कलायात्रा में नित्य और निरंतरता के अभ्यास से कलाकार तकनिकी तौर पर हुनरमंद हो पाता है। और ऐसे में एक समय ऐसा आता है जब वह जिस परिपक्वता से जो सोचता है उसे अपने कैनवास पर उसी गहराई से उतारने में सक्षम हो जाता है। यहां आशय यह है कि मिलन की किसी भी रचना में उनके एक साधक के रूप में उपस्थिति स्पष्ट दिखती है। इतना ही इनके चित्रों में अपनी कला के माध्यम से अपनी बात को कहने और उसे प्रदर्शित करने हेतू नये नये आयाम और विचारों की गहरायी भी यहाँ दिखती है। कलाकार की एकाग्रता उनकी रचना या कृतियों में जितना गहरा होता जाता है, वह पहली नज़र में प्रेक्षक और समीक्षक को प्रभावित करता है। मिलन शर्मा किसी एक रचना को रचने के लिए कई कोण से गुजरती हैं जहां उनका मन,स्थान,परिवेश व समय के साथ-साथ उनका अपना अनुभव व साजो-सामान भी होता है, जिसके उपयोग से वह किसी उत्कृष्ट कृति को रच पाती हैं। वैसे तो कलाकार के जीवन में हर रचना एक नया आयाम होती है जिसमें उसके अतंरमन को देखा, समझा और पढ़ा जा सकता है ।

-जय त्रिपाठी (जे.पी)

कलाकार/ कला लेखक

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