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नवल किशोर के ” रंग भंगिमा ” एकल प्रदर्शनी का हुआ शुभारंभ, 16 मई तक अवलोकनार्थ रहेंगी।
लखनऊ, 24 अप्रैल 2022, कलाकारों के चित्र दर्शकों से एक संवाद स्थापित करती है बशर्ते दर्शक चित्र से एकाकार हो। तभी कलाकृति का उद्देश्य सफल होता है। चित्रकार अपने रंग, रेखा और माध्यम के साथ सामंजस्य स्थापित करके रचना करता है और अपने संवेदनशील विषयों और विचारों को प्रकट करता है। साथ ही जीवन के विविध आयामों को भी अभिव्यक्त करने की कोशिश करता है। कुछ ऐसी ही भावनाओं का दर्शन नई दिल्ली के चित्रकार नवल किशोर की एकल प्रदर्शनी शीर्षक ” रंग भंगिमा ” में हुए।
विगत रविवार को सायं 6 बजे लखनऊ स्थित सराका आर्ट गैलरी, होटल लेबुआ में इस भव्य प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन वरिष्ठ कथक नृत्यांगना कुमकुम धर ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर लखनऊ के तमाम कलाकार व कलाप्रेमी उपस्थित रहे।
प्रदर्शनी की क्यूरेटर वंदना सहगल ने बताया कि नवल किशोर की अपनी एक विशिष्ट शैली है। ये मूर्त रूपों को सृजित करते हैं। जहाँ चटख रंगों, रेखाओं और ज्यामितीय आकारों का एक भव्य संयोजन है। इनके रंग एक ऊर्जा के प्रतीक हैं। कृतियों में सामान्य विषयों और भावनाओं का अद्भुत संयोग है। त्रिआयामी आकृतियों के साथ अलग-अलग भाव और मुद्राएं हैं। चित्रकार ने बड़े ही गहराई और संवेदना के साथ कृतियों का सृजन किया है। नवल की कलाकृतियों का विषय स्त्री और पुरूष संबंध को भी प्रतीक है। इनके चित्र सहानुभूति, आकर्षण, कामुकता, आश्चर्य और अनेकों सूक्ष्म भावनाओं को दर्शाती हैं। दर्शकों के मन को छू जाने वाली भावनाओं का एक मिश्रण है। चित्रों में दर्शक रंगों की चमक में मुग्ध हुए बिना नहीं रह सकता। चित्रों में सभी पात्रों के चारों तरफ एक कहानी सा प्रतीत होता है और यह कहानी तब आप महसूस कर सकते हैं जब आप चित्रों के साथ संवाद स्थापित करेंगे। यही चित्रों में बने आकृतियों का विशेषता है। चटख रंगों के साथ रेखाओं के अद्भुत संतुलन है। इनके चित्रों को देखते हुए ऐसा लगता है कि तकनीकी दृष्टि से एक्रेलिक के साथ जल रंगों में भी दक्षता है। साथ ही टैक्सचर और रंगों का चयन भी कुशलता का प्रतीक है। इनके चित्र सजीव और संवाद करते हुए नज़र आते हैं।
कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देते हुए भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि चित्रकार नवल किशोर उत्तर प्रदेश के रामपुर में जन्मे व पले बढ़े हैं। इनकी कला की शिक्षा कला एवं शिल्प महाविद्यालय लखनऊ हुई है। और वर्तमान में नई दिल्ली में रहते हुए कला सृजन कर रहे हैं। नवल कई बड़े बड़े पुरस्कारों से सम्मानित भी हो चुके हैं। देश विदेशों में एकल और सामूहिक कला प्रदर्शनीयों, कला शिविरों में अपनी भागीदारी भी सुनिश्चित किया है और आज भी सक्रिय हैं। चटख लाल रंग इनका प्रिय रंग है। इनके चित्रों में रस, भाव और मुद्राएं हैं। इनके चित्रों के पात्र, नायक-नायिका ज्यामितीय रूप धारण किये हुए हैं जो नवल की एक पहचान बनी हुई है।
-भूपेंद्र कुमार अस्थाना
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