- देश के 13 राज्यों से 42 समकालीन चित्रकार एवं छायाचित्रकार की 76 कलाकृतियां सम्मिलित।
- शनिवार (24 जून) को दोपहर बाद कैलीग्राफी वर्कशॉप का आयोजन मेट्रो परिसर में किया जायेगा।
लखनऊ, 23 जून 2023। भारत सरकार द्वारा प्रायोजित सेव टाइगर प्रोजेक्ट के अंतर्गत “सेविंग अवर स्ट्राइप्स” के 50 वर्ष पूर्ण (1973-2023) हो चुके हैं। विदित हो कि वर्ष 1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की प्रेरणा से टाइम्स ऑफ इंडिया समूह ने बाघ संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस अभियान की शुरुआत की थी। जाहिर है इसका उद्देश्य पूरे भारत में विशेष रूप से गठित बाघ अभयारण्यों में बाघों की आबादी के अस्तित्व और रखरखाव को सुनिश्चित करना रहा है। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दस दिवसीय अखिल भारतीय पेंटिंग एवं फोटोग्राफी प्रदर्शनी का शुभारम्भ किया गया। “टाइगर इन मेट्रो” शीर्षक इस प्रदर्शनी का आयोजन हज़रतगंज मेट्रो स्टेशन परिसर में किया गया। इस प्रदर्शनी के क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना एवं संयोजक मनोज एस चंदेल हैं।
“टाइगर इन मेट्रो” शीर्षक इस प्रदर्शनी का उद्घाटन शुक्रवार को हज़रतगंज मेट्रो स्टेशन परिसर में श्री सुशील कुमार, एम डी उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन, डॉ वंदना सहगल डीन वास्तुकला एवं योजना संकाय, श्री अनिल रिसाल सिंह, वरिष्ठ फोटोग्राफर लखनऊ के द्वारा फीता काटकर किया गया। प्रदर्शनी में आने वाले कला प्रेमियों के लिए हज़रतगंज मेट्रो स्टेशन के गेट नम्बर 1 से आने की व्यवस्था की गई है। इस प्रदर्शनी में देश के लगभग 13 राज्यों से 42 चित्रकार एवं छायाचित्रकार के लगभग 76 कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है।
इस अवसर पर श्री सुशील कुमार ने कहा कि ‘फोटो प्रदर्शनी ‘टाइगर इन मेट्रो’ का आयोजन लोगों को बाघों की जनसंख्या के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए किया गया है। यह संरक्षण मात्र एक प्रजाति को बचाना भर नहीं है बल्कि इससे हमारे ग्रह की सेहत भी सुधरेगी। टाइगर को बचाने के लिए हम जंगलों का विस्तार करेंगे जिससे जलवायू परिवर्तन में तो सुधार होगा ही साथ ही जंगल कटने से विलुप्त होती प्रजातियों को भी फिर से जीवन मिलेगा। इसलिए हम सब को टाइगर की जनसंख्या बढ़ाने को लेकर बेहद संवेदनशील होकर सोचना होगा और इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।
” टाइगर इन मेट्रो ” शीर्षक से इस प्रदर्शनी से एक विशेष विचार जुड़ा हुआ है। जिसमें बाघ के जीवन के प्रति एक संवेदना जुड़ा हुआ है चूंकि बाघ इस प्रकृति का एक प्रमुख वन्यजीव है। इसे बचाने का भी एक प्रयास है इस कला प्रदर्शनी के माध्यम से। एक महत्त्वपूर्ण संदेश भी है । आम जनमानस में पर्यावरण व वन्यजीवों के प्रति जागरूकता हेतु इस प्रदर्शनी में देश के समकालीन कलाकारों ने अपनी कला के माध्यम से बाघ को कैनवास पर उकेरा है। इसके साथ-साथ वन्यजीव प्रेमी छायाकारों ने बाघ को अपने कैमरे में कैप्चर किया है। विदित हो कि भारत में बाघों की घटती जनसँख्या की जांच करने के लिए अप्रैल 1973 में प्रोजेक्टं टाइगर (बाघ परियोजना) शुरू की गई थी। उसके बाद बाघ को विलुप्त होने से बचाने के लिए 1973 में इसे राष्ट्रीय पशु का दर्जा भी दिया गया था। जाहिर है इस परियोजना से बाघों की संख्या बढ़ी भी। इसी प्रोजेक्ट टाइगर अभियान (1973-2023) के 50 वर्ष पूरे होने पर आज हम इस विशेष प्रदर्शनी का आयोजन कर रहे हैं।
चूंकि कलाकार इस संसार का एक बहुत ही संवेदनशील और विशेष सामाजिक प्राणी होता है उसकी समाज के प्रति एक विशेष ज़िम्मेदारी भी होती है। जिसे वह अपने विचारो को कला के माध्यम से लगातार जाहिर करते हैं। इस प्रदर्शनी में देश भर से 20 चित्रकार और 22 छायाचित्रकार अपने लगभग 76 कृतियों के माध्यम से जुड़े हुए हैं। सभी ने बाघ को अपने अपने विचारों के साथ कैनवस पर प्रस्तुत किया है। चित्रकारों में नई दिल्ली से अनूप कुमार चाँद, उमा शंकर पाठक, अनिल बोडवाल, बिहार से अबधेश कर्ण, मधुबनी, मनोज कुमार हंसराज, जमशेदपुर से फरहाद हुसैन, उत्तर प्रदेश से अमित कुमार, संजय कुमार राज, सर्वेश पटेल,जितेंद्र कुमार, दीपेंद्र सिंह, राहुल शाक्या, श्रीयांशी सिंह, झारखंड से संजय शर्मा, मध्यप्रदेश से मनीषा अग्रवाल, उड़ीसा से गोपाल समांतरे,कन्नु बेहेरा, छत्तीसगढ़ से ऋषभ राज, महाराष्ट्र से राम चंद्र खराटमल, राजस्थान से लाखन सिंह जट है और छायाचित्रकार उत्तर प्रदेश से डॉ रजत देशी, अशोक दत्ता, विकास बाबू, अजेश जायसवाल, अरुणा सिंह, जसमीत सिंह, आदित्य हवेलिया, अनिकेत एवं अरण्य हवेलिया, प्रखर कृशन, लोकेश रस्तोगी, सिद्धार्थ सिंह, वत्सल कक्कड़, वाई एस मालिक, डॉ अनीता सिंह, आकाश मोहन, आकर्ष चंदेल, रजनीश श्रीवास्तव, एस एच उस्मानी , कर्नाटक से दिनेश कुंबले, कोलकाता से डॉ सुरेन्द्र नाथ मित्रा, धृतिमान मुखर्जी हैं।
इस प्रदर्शनी की परिकल्पना लखनऊ पुस्तक मेले के संयोजक मनोज एस चंदेल की है जिन्होने बाघ पर विशेष प्रदर्शनी आयोजन करने की बात रखी। जिसे साकार रूप देने के लिए क्यूरेटर भूपेंद्र अस्थाना ने उन कलाकारों से संपर्क किया जो विशेष रूप से वन्य जीवों पर ही कार्य करते हैं। जैसा की अक्सर यह सुनने में आता है कि शहर में कोई वन्य जीव आ गया है; वहाँ तो वे वन्य जीव अपने नैसर्गिक ठौर की तलाश में भटकते हुए आ जाते हैं। लेकिन इस प्रदर्शनी के माध्यम से हम बाघ को मेट्रो सिटीज में ला रहे हैं, इसके पीछे का हमारा उद्देश्य केवल इस वन्य जीव के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता पैदा करना है। यह एक महत्त्वपूर्ण संदेश है। इस शीर्षक को अपने सुलेख से लिखा है युवा चित्रकार, कैलीग्राफर दीपेंद्र सिंह ने। वहीँ प्रदर्शनी को विशेष कलात्मकता प्रदान करने में खास भूमिका चित्रकार धीरज यादव का रहा। उत्तर प्रदेश रेल मेट्रो कॉर्पोरेशन के विशेष सहयोग से आयोजित यह प्रदर्शनी कला प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बनी।
प्रदर्शनी आगामी 2 जुलाई 2023 तक कलाप्रेमियों के लिए जारी रहेंगी। इस दस दिवसीय प्रदर्शनी के दौरान प्रतिदिन कार्यक्रम भी आयोजित किये जायेंगे जिसमे कला प्रतियोगिता, कैलीग्राफी , पोर्ट्रेट, लैंडस्केप, रेखांकन, आर्ट टॉक आदि कार्यक्रम होते रहेंगें।
– भूपेंद्र कुमार अस्थाना , क्यूरेटर – 9452128267 , 7011181273
– मनोज एस चंदेल , संयोजक – 9415080505, 9044138886
(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित)