लखनऊ, 1 नवम्बर 2025: भारत की सांस्कृतिक राजधानी लखनऊ, जहाँ तहज़ीब और रचनात्मकता की परंपरा आज भी जीवंत है, वहीं फीनिक्स पलासियो के साउथ एट्रियम परिसर में फ्लोरोसेंस आर्ट गैलरी और फीनिक्स पलासियो के संयुक्त तत्वावधान में “लखनऊ स्पेक्ट्रम 2025” आर्ट फेयर का भव्य शुभारंभ हुआ।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव, गृह एवं सूचना विभाग, उत्तर प्रदेश श्री संजय प्रसाद ने मुख्य अतिथि के रूप में प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और कलाकारों की कृतियों की सराहना करते हुए कहा कि “कला हमारे समाज की आत्मा है, जो समय और संस्कृति के संवाद को जीवित रखती है।”

इस आर्ट फेयर में देश के 111 प्रतिष्ठित कलाकारों की लगभग 350 कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गई हैं, जिनमें तीन राज्यों के पद्मश्री कलाकारों और प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता पंकज झा की कृतियाँ भी आकर्षण का केंद्र हैं। प्रदर्शनी के क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना, राजेश कुमार और गोपाल सामंतराय ने इसे अपने विशिष्ट दृष्टिकोण से एक रचनात्मक संगम का रूप दिया है। आयोजकों, नेहा सिंह (निदेशक, फ्लोरोसेंस आर्ट गैलरी) और संजीव सरीन (रिटेल डायरेक्टर, फीनिक्स मिल्स लिमिटेड नॉर्थ) के अनुसार,
“लखनऊ स्पेक्ट्रम 2025 केवल एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि कल्पना, संवाद और नवाचार का उत्सव है। हमारा उद्देश्य कला को वह साझा भाषा बनाना है, जो कलाकार और दर्शक के बीच संवेदनशील संवाद स्थापित करे।”
फीनिक्स मिल्स लिमिटेड के रिटेल डायरेक्टर श्री संजीव सरीन ने कहा कि “फीनिक्स पलासियो ऐसे आयोजनों को हमेशा बढ़ावा देता है जो लखनऊ की रचनात्मक पहचान को सशक्त बनाते हैं। यह आयोजन हमारे शहर की कलात्मक आत्मा का उत्सव है।”

फ्लोरोसेंस आर्ट गैलरी, जिसकी स्थापना 2019 में हुई थी, केवल एक प्रदर्शन स्थल नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन है — जो कला को सुलभ, संवादमय और संग्रहणीय बनाने की दिशा में कार्यरत है। राजेश कुमार ने बताया कि यह आर्ट फेयर 1 से 30 नवम्बर 2025 तक फीनिक्स पलासियो, लखनऊ में आयोजित रहेगा, जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र, असम, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा, केरल, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित देश के विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ एवं युवा कलाकारों की रचनाएँ प्रदर्शित की जा रही हैं।
प्रदर्शनी में पारंपरिक और समकालीन भारतीय कला दोनों का संगम प्रस्तुत है — मधुबनी, कोहबर, भील, गोंड, पिछवई, फड़, पहाड़ी मिनिएचर, पटचित्र, केरल म्यूरल, तथा मजुली मास्क आर्ट के साथ-साथ समकालीन चित्रकला, सिरामिक, म्यूरल, छापाचित्र, फोटोग्राफी और टेक्सटाइल आर्ट को भी प्रदर्शित किया गया है।

इस फेयर का उद्देश्य केवल कला प्रदर्शन तक सीमित नहीं, बल्कि कला में निवेश को प्रोत्साहित करना भी है — क्योंकि कला में निवेश संस्कृति और संपन्नता का संगम है। यह आयोजन इस विचार को मूर्त रूप देता है कि कला केवल सौंदर्य का अनुभव नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना, सांस्कृतिक विरासत और आर्थिक संभावनाओं का संगम है।
लखनऊ, जो नवाबी दौर से कला, संगीत, नृत्य और स्थापत्य का केंद्र रहा है, आज भी लोक और आधुनिकता के समन्वय का प्रतीक है। “लखनऊ स्पेक्ट्रम 2025” इसी शहर की रचनात्मक आत्मा का सांस्कृतिक और आर्थिक पुनर्पाठ प्रस्तुत करता है।

कला में निवेश का अर्थ केवल किसी पेंटिंग या मूर्ति की खरीद नहीं, बल्कि संवेदना, दृष्टि और समय में निवेश है। जब कोई व्यक्ति किसी कलाकृति में निवेश करता है, तो वह सौंदर्य के साथ-साथ विचार और संस्कृति में भी सहभागिता निभाता है। आधुनिक समय में आर्ट इन्वेस्टमेंट एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जो कलाकारों को आर्थिक सुरक्षा और समाज को सांस्कृतिक संपन्नता प्रदान करता है।

अंततः, “लखनऊ स्पेक्ट्रम 2025” कला, संस्कृति और निवेश का ऐसा उत्सव है जो दर्शाता है कि कला केवल प्रदर्शित नहीं होती — बल्कि संरक्षित, संवर्धित और निवेशित होती है। यह आयोजन लखनऊ की गंगा-जमुनी तहज़ीब और उसकी रचनात्मक आत्मा को एक नए आयाम में प्रस्तुत करता है, जहाँ कला सौंदर्य के साथ-साथ भविष्य की समृद्धि और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक बन जाती है।
— भूपेंद्र कुमार अस्थाना
क्यूरेटर, फ्लोरोसेंस आर्ट गैलरी, लखनऊ
📞 9452128267, 7911181273
