विदित हो कि भारत सरकार द्वारा आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में देश भर में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाया जा रहा है। इसके तहत देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। कला जगत में इससे जुड़े कार्यक्रम की बात करें तो नयी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के सौजन्य से देश भर के लगभग 500 कलाकारों की भागीदारी से वृहत कला शिविर का आयोजन किया गया। इस आयोजन को नाम दिया गया “कला कुंभ”। इसके तहत स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों को कलाकारों के द्वारा उनके चित्र बना कर श्रद्धाजंलि दी गयी।
राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय द्वारा संस्कृति मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के सहयोग से भुवनेश्वर और चंडीगढ़ में आयोजित हुए कलाकुंभ में देश के विभिन्न कलाकारों ने हिस्सा लिया और देश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले गुमनाम नायकों के ऐसे चित्र तैयार किए हैं, जिनके जरिए उनकी वीरता और संघर्ष की कहानियों को प्रदर्शित किया गया है। इन चित्रों को गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर प्रदर्शित किया जाएगा। बताते चलें कि 10 दिसंबर से 17 दिसंबर तक इस “कला कुंभ” का पहला आयोजन भुवनेश्वर के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और सिलिकॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में किया गया। वहीं दूसरा आयोजन 25 दिसंबर से 2 जनवरी तक चंडीगढ़ के चितकारा विश्वविद्यालय में किया गया। इन दोनों आयोजनों में कुल मिलाकर देश के 500 से अधिक कलाकारों ने देश के अलग-अलग हिस्सों से संबंधित स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के चित्र तैयार किए। कलाकारों ने भुवनेश्वर और चंडीगढ़ में 75 मीटर के कुल 10 स्क्रॉल कैनवस पर चित्रित किये, जिनकी कुल लंबाई 750 मीटर से भी अधिक है।
संग्रहालय द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार इन स्क्रॉल्स में हमारे देश की विभिन्न कला एवं संस्कृति की समृद्धता और क्षमता के माध्यम से हमारे राष्ट्रीय गौरव और उत्कृष्टता को दिखाया गया है। इन कार्यशालाओं में एक भारत श्रेष्ठ भारत का विचार सही मायने में चरितार्थ होते दिखा जहां हमारे देश के विभिन्न हिस्सों से संबंधित आजादी के गुमनाम नायकों की वीरता और संघर्ष की कहानियों को चित्रित किया गया और साथ ही साथ हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी इन चित्रों में दर्शाया गया । उड़ीसा और चंडीगढ़ में 500 से अधिक कलाकारों ने मिलकर देश के विभिन्न हिस्सों से संबंधित आजादी के गुमनाम नायकों के चित्रण से पहले उन नायकों की जीवनी पर गहन शोध के बाद उनके चित्रों को चित्रित किया। इस तरह देश भर से आए कलाकारों ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के चित्र कैनवस पर चित्रित किए, बल्कि अपने अपने प्रदेशों की कला एवं संस्कृति को भी अपने चित्रों में समाहित किया है।
भुवनेश्वर में आयोजित कलाकुंभ में तैयार स्क्रॉल में उड़ीसा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, बंगाल, और आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के चित्रों को चित्रित किया गया है, जिसमें उनकी वीरता और संघर्ष की कहानी को दर्शाया गया है। इसके साथ ही कलाकारों ने यहाँ पटचित्र शैली, तालपत्र चित्र शैली, मञ्जूषा शैली, और मिथिला चित्रशैली (मधुबनी) में चित्रण किया।
वहीँ चंडीगढ़ में चित्रित किए गए स्क्रॉल में लद्दाख, जम्मू, कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के गुमनाम नायकों की वीरता और संघर्ष की कहानियों को दर्शाया गया है। इसके प्रतिभागी कलाकारों द्वारा पिछवई,फड़ और मांडना जैसी देश की विभिन्न लोक एवं जनजातीय कला विधाओं को चित्रित किया गया। कला कुंभ के दौरान चित्रकारों द्वारा चित्रकारी के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। 10 स्क्रॉल्स पर लगभग 750 मीटर की इस कलाकृति में कलाकारों ने कलागुरु नंदलाल बोस द्वारा बनाए गए रचनात्मक चित्रों को भी समाहित किया है।
भुवनेश्वर और चंडीगढ़ में तैयार किए गए स्क्रोल्स को 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में राजपथ पर प्रदर्शित किया जाएगा, इसका उद्देश्य है कि देश के आम लोग देश के स्वतंत्रता संग्राम के हिस्सा रहे गुमनाम नायकों की वीरता और संघर्ष की कहानियों जान सकें। भुवनेश्वर और चंडीगढ़ दोनों ही स्थानों पर आयोजित कला कुंभ इस दृष्टि से भी बहुत सफल कहे जा सकते हैं कि यहाँ आम कलाप्रेमी और स्कूली छात्र बड़ी संख्या में कलाकारों द्वारा बनाए गए इस विशाल कलाकृति को देखने पहुंचे।
चंडीगढ़ में एनसीसी कैडेटों ने भी कला कुंभ में हिस्सा लिया और चित्र भी बनाए इसके साथ साथ देश भर से आए हुए कलाकारों से चित्रकारी की बारीकियां भी जानी। चंडीगढ़ की इस कार्यशाला में लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र शर्मा, लेफ्टिनेंट कर्नल अभिनव नवनीत, मेजर डीपी सिंह (सेवानिवृत्त) के साथ-साथ रक्षा मंत्रालय के कई अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। कार्यशाला में परमवीर चक्र से सम्मानित मानद कैप्टन बाना सिंह और सूबेदार संजय कुमार ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई । साथ ही अपनी वीरता और साहस की कहानियों को साझा करके एनसीसी कैडेटों और आगंतुकों को प्रेरित किया।
चंडीगढ़ में कलाकुंभ-आजादी का अमृत महोत्सव के समापन समारोह में पंजाब के राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित पहुंचे। वहीं, भुवनेश्वर में माननीय सांसद डॉ. अच्युत्य सामंत ने शिरकत की।
इन स्क्रॉल्स को गणतंत्र दिवस, 2022 के मौके पर राजपथ पर कलात्मक रूप से प्रदर्शित किया जा रहा है । इसे एक ओपन गैलरी की तरह सभी नागरिकों के समक्ष रखा जाएगा और इसका उद्देश्य लोगों को भारत की समृद्ध विरासत और धरोहर के बारे में प्रेरित करना रहेगा। भुवनेश्वर और पंजाब में आयोजित हुए कलाकुंभ-आज़ादी का अमृत महोत्सव का अहम हिस्सा रहे इन स्वदेशी कलाओं के चयनित कलाकारों के विवरण भी वहां प्रदर्शित रहेंगे। राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक अद्वैत गणनायक ने कहा,
‘नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट, नई दिल्ली ने भारत की विविधता में एकता का प्रतिनिधित्व करने वाली देश की विभिन्न कलाओं को समामेलित करने के उद्देश्य से इन कार्यशालाओं का आयोजन किया है। मेरा मानना है कि जब यह स्क्रॉल राजपथ पर लगाए जाएंगे तो इनसे लोग आजादी के गुमनाम नायकों के इतिहास के बारे में ज्यादा से ज्यादा जान सकेंगे। साथ ही भारत के आधुनिक, स्वदेशी और समकालीन कलाओं के प्रति उनकी जानकारी एवं जिज्ञासा में भी अभिवृद्धि होगी।’
-सुमन कुमार सिंह