नई दिल्ली I संस्कृत नाटकों में विशाखदत्त कृत “मुद्राराक्षसम” एक कठिन और संस्कृत नाट्यशिल्प से भिन्न और पूर्णतः राजनीतिक नाटक है। नाटक की कथाभूमि ऐतिहासिक है। चाणक्य ने जब मगध सम्राट धनानंद को सत्ताच्युत कर चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बना कर मौर्य वंश के शासन की स्थापना की थी तब चाणक्य के सामने बड़ी चुनौती थी I धनानंद के महामंत्री और कुशल मार्गदर्शक आचार्य राक्षस को चंद्रगुप्त का अमात्य नियुक्त कर चंद्रगुप्त के शासन को संकटमुक्त करना। नाटक में कोई प्रेम, रोमांच, संगीत नहीं है। नाटक कूटनीति, छल, झूठ, प्रपंच और हत्या का ही प्रसंग है। ऐसे नीरस समझे जाने वाले किसी नाटक का मंचन अच्छे अभिनेता के अभिनय के बदौलत ही किया जा सकता है जो कि एल. टी. जी. ऑडिटोरियम, नई दिल्ली में सफल हुआ।
नाटक में नायक आचार्य चाणक्य की भूमिका में शरत त्यागी और अमात्य राक्षस की भूमिका में मोनिदीप कुंजीलाल का अभिनय और संवाद संप्रेषण अत्यंत प्रभावी था। युवराज चंद्रगुप्त मौर्य की भूमिका में कुणाल भारद्वाज और मलयकेतु की भूमिका में सतेंद्र बगासी की टक्कर रही I जिसमें कुणाल की भाव भंगिमा और सतेंद्र का सात्विक अभिनय प्रशंसनीय रहा। चाणक्य के रणनीति का हिस्सा और उसके गुप्तचरों में सेविका और विषकन्या विजया की भूमिका में अदिति जैन, सिद्धारक- स्वयंभू, निपुणक- विजय शुक्ला, विराधगुप्त में साहिल सिद्दीकी के अभिनय में स्पष्टता और रोचकता थी। राक्षस के मित्र नगरश्रेष्ठी चंदन दास बने भास्कर झा, वधिक- यश मेहरा और प्रिंस कुमार,सैनिक कार्तिकेय मिश्रा, महालक्ष्मी- हेमलता मौर्य , शारंगरव -सौरभ कुमार, नटी- हेमलता मौर्या , नट- विकास कुमार ने अपने अपने चरित्रों को बखूबी निभाया।
नाटक के कथानक से दर्शकों को जोड़ने के लिए पंद्रह मिनट का पूर्वरंग भी प्रस्तुत किया गया था जिससे दर्शक नाटक के कथ्य और विषय से आसानी से जुड़ पायें । पूर्वरंग में सूत्रधार थे अनुवेश कुमार और शुभम भारती, चंद्रवर्धन मोरिया- प्रिंस शेखर, नूरा- अर्चना कुमारी और धनानंद की भूमिका निभाया था विजय शर्मा ने । नाटक में प्रकाश- उत्पल झा, पार्श्व संगीत प्रभाव- अतुल ढींगरा, सेट- शिवम् यादव, वस्त्र विन्यास- कुणाल भारद्वाज और रूप सज्जा -अर्चना कुमारी का था। संस्कृत से हिंदी में रूपांतरण कुमार वीर भूषण का, निर्देशन- अतुल ढींगरा का और प्रस्तुति बाबू शिवजी राय फाउंडेशन, दिल्ली की थी। कार्यक्रम का उद्घाटन कला समीक्षक सुमन कुमार सिंह, रिज़वान रज़ा, दिलीप शर्मा, अपूर्व गांधी एवं विजय कुमार श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से किया।