भारतीय सौंदर्यबोध और नाट्यशास्त्र

नयी दिल्ली, 7 जून । “लोकनायक जयप्रकाश राष्ट्रीय कला और संस्कृति प्रतिष्ठान” तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत “सत्यवती महाविद्यालय” के संयुक्त तत्वावधान में कल “भारतीय सौंदर्यबोध और नाट्यशास्त्र” विषय पर एक सफल व्याख्यान संपन्न हुआ । मुख्य वक्ता के तौर पर देश के मूर्धन्य वरिष्ठ लेखक, चिंतक आलोचक, नाटककार और संगीत नाटक अकादमी दिल्ली के पूर्व सह सचिव रहें तथा नाट्यकुलम संस्थान जयपुर के संस्थापक कुलगुरू भारत रत्न भार्गव थे । आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृति परिषद के वर्तमान अध्यक्ष श्री अनूप लाठर उपस्थित थे । विदित हो कि श्री अनूप लाठर एक चर्चित संस्कृतिकर्मी, लेखक, प्रभावशाली वक्ता और अभिनेता होने के साथ हरियाणा राज्य के लोककलाओं और सांस्कृतिक चेतना के नवजागरण में अपना एक विशिष्ट स्थान रखते है । वहीं आयोजन के अध्यक्ष के रूप में सत्यवती महाविद्यालय के वर्तमान अध्यक्ष प्रोफेसर दया शंकर तिवारी की उपस्थिति बेहद महत्वपूर्ण रहीं ।

भारत रत्न भार्गव

भारतीय सौंदर्यबोध के एक व्यापक स्वरूप पर चर्चा करते हुए भारत रत्न भार्गव जी ने जहां सौंदर्य बोध के परंपरागत और आधुनिक संदर्भों पर प्रकाश डालते हुए भारतीय समाज और मनुष्य के मन के प्रति नाट्यशास्त्र के महती योगदान को रेखांकित किया और साथ ही पंचमवेद रुपी इस शास्त्र का विवेचन करते हुए भारतीय “रस मीमांसा” के संदर्भ में नाट्यशास्त्र के उन आधारभूत तत्वों को भी विस्तार दिया जो प्राचीन काल से ही नृत्य, संगीत, चित्र और नाटक के अंतर्भूत सौंदर्य के आधार रहें हैं। वहीं श्री अनूप लाठर जी ने नाट्यशास्त्र के महत्त्व को भारतीय लोक चेतना और लोक कलाओं के आत्यांतिक सौंदर्यदृष्टि से जोड़ते हुए नाट्यशास्त्र को शास्त्रीय परिधी से अलग लोक के जीवन पद्धति और लोकाचार के रूप में विश्लेषित किया। प्रोफेसर दया शंकर तिवारी ने अपने वक्तव्य में संस्कृत साहित्य के समृद्ध परंपरा के परिधीय विस्तार मे नाट्यशास्त्र और सौंदर्यबोध के मौलिक तत्वों को उपनिषद, पुराण और गीता के दार्शनिक सूत्रों से जोड़ते हुए एक आधुनिक संदर्भ रचा ।

इसके पूर्व सरस्वती वंदना और सामवेद के पाठ से आरंभ हुए इस कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो.अंजू सेठ ने अपने स्वागत भाषण में सारे अतिथियों का सम्मान करते हुए इस विशेष आयोजन की हार्दिक प्रशंसा की और हमारी संस्था के साथ मिलकर भविष्य में इस तरह के महत्वपूर्ण आयोजनों के संभावनाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी जाहिर की । लोकनायक जयप्रकाश राष्ट्रीय कला और संस्कृति प्रतिष्ठान के व्यापक स्वरूप को रेखांकित करते हुए मैंने विषय प्रवेश कराया वहीं आई. क्यूं. ए. सी. – सत्यवती महाविद्यालय के संयोजक प्रो. अजय झा ने इस कार्यक्रम का बेहद सफलता पूर्वक संचालन किया । इस आयोजन में बड़ी संख्या में विद्यार्थी, शोधार्थी, प्रोफेसर, साहित्यकार, कलाकार और अन्य विशिष्ट व्यक्तियों की उपस्थिति रही । हमारी संस्था की तरफ से धर्मेंद्र नाथ ओझा, साधना राणा, त्रिभुवन देव, सुमन सिंह, विपिन कुमार, डॉ. रवि मीना, डॉ. विरमा कुमारी, डॉ. कृपा भास्कर, डॉ आशुतोष, श्री प्रकाश, रामानंद, आयुष नंदन, रोहित कौशिक जी, त्रिथंकर, प्रियंका, प्रिती के साथ अन्य कई सम्मानित सदस्य उपस्थित रहे ।

अरविन्द ओझा

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