“अयोध्या संस्थान, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार, भारत द्वारा चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कलाकार शिविर के बाद अब मेरे हनुमान जी बालकोट, नेपाल से अयोध्या तुलसी भवन संग्रहालय के लिए उड़ान भरने के लिए तैयार हैं। वह नेपाल के दिल को मां सीता और राम दोनों नाम के साथ ले जा रहे हैं। मेरी कलाकृति का यह सन्देश दोनों देशों के बीच की आत्मीयता और सदियों पुराने रोटी-बेटी के आपसी संबंधों को दर्शाती है। इस चित्र में हनुमान जी ने अपने एक हाथ में पेड़ को संभाल रखा है जो हमारे जीवन में प्रकृति के महत्व को दर्शाता है। मेरा मानना है कि प्रकृति ही ईश्वर है क्योंकि प्रकृति के बिना इस पृथ्वी पर किसी भी जीवन का कोई अस्तित्व नहीं है। मानव सभ्यता के प्रारंभ से ही हम सभी प्रकृति पर ही निर्भर हैं। भगवान श्रीराम के जीवन में हनुमान के महत्व से हम सभी परिचित हैं । माता सीता की खोज का ज़िम्मा हो या लक्ष्मण जी के लिए सुदूर द्रोणगिरि से संजीवनी लाने की कठिन चुनौती; हनुमान अपने आराध्य की अपेक्षाओं पर खरे उतरते हैं। “
– रागिनी उपाध्याय ग्रेला
उक्त सन्देश के साथ रागिनी की कृति भारत आ रही है। हालाँकि भारत से उनका गहरा नाता लगभग छह दशक से भी अधिक पुराना है। विदित हो कि नेपाल ललित कला अकादेमी की पूर्व चांसलर रागिनी उपाध्याय ग्रेला अंतर्राष्ट्रीय कला जगत में अपनी विशिष्ट पहचान रखती हैं। नेपाल की निवासी रागिनी का बचपन बिहार में बीता है, तो शिक्षा- दीक्षा इलाहाबाद, लखनऊ जैसे ऐतिहासिक, आध्यात्मिक व सांस्कृतिक केंद्रों में। ऐसे में रागिनी के या उनकी कलाकृतियों के भारत आने-जाने को महज़ एक सामान्य घटना ही माना जाना चाहिए। क्योंकि रागिनी लखनऊ कला महाविद्यालय की छात्रा रहीं हैं, उनके सहपाठियों में भाई शरद पांडेय एवं श्याम शर्मा जैसे सुपरिचित नाम रहे हैं। हालाँकि दुर्भाग्य से ये दोनों नाम अब हमारी स्मृतियों और अपनी कलाकृतियों में ही हमारे बीच हैं।
अब इन सच्चाईयों के बावजूद रागिनी की किसी कलाकृति के भारत आगमन की चर्चा विशेष तौर पर बनती है, तो उसके कारणों को भी समझना आवश्यक होगा। विगत दो-तीन दशकों में राजनैतिक कारणों से भारत और नेपाल के बीच एक अघोषित सी दूरी दिखने लगी है। कभी सीमा विवाद तो कभी किसी अन्य मुद्दे पर नेपाल की जनता को भावनात्मक तौर पर भारत के विरुद्ध करने की साज़िश चलती चली आ रही है। कतिपय इन्हीं साज़िशों का परिणाम है कि रोटी-बेटी के रिश्ते वाले इन दोनों मुल्कों के संबंधों में यदा-कदा खटास भी दिखती है। ऐसे में रागिनी जैसे कलाकारों की यह कलात्मक पहल एक सुखद अहसास जगाती है।