डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ के ललित कला विभाग के छात्रों एवं प्राध्यापकों की कलाकृतियों की वार्षिक प्रदर्शनी जारी
लखनऊ, 14 जुलाई। दृश्य कलाएं सृजन के समय रचनाकार से एकाकार रहती है लेकिन जब वे प्रदर्शित की जाती हैं तब कलाप्रेमी समाज से जुड़ जाती हैं।चूँकि समस्त कलाकृतियाँ और उनमें प्रयुक्त सारे तत्व एक प्रभावी भाषा-दृश्य भाषा के रूप में प्रस्तुत होते हैं इसलिए उनका प्रभाव अन्य भाषाओं से कहीं अधिक होता है। ऐसे में चाहे संवेदना, अनुभूति या आनन्द प्रदान करने की बात हो चाहे कोई सूचना या तथ्य सम्प्रेषित करने की बात हो दृश्य कलाएं अतुलनीय हैं। हमें यह भी समझना होगा कि जैसे किसी मौखिक भाषा का भावानुवाद सम्भव नहीं है और हमें उसकी गहराई तक जाने के लिए उस भाषा के सभी आयामों का न्यूनतम अभ्यास करना ही पड़ता है उसी तरह दृश्य भाषा की अनुभूति और भाव के तल पर पहुँचने या उससे तादात्म्य स्थापित करने लिए हमें ‘‘देखना’’ सीखना होगा, जो कलाओं के साहचर्य के बिना सम्भव नहीं है। हमें प्रसन्नता है कि हम सब ऐसे संस्थान से सम्बद्ध हैं जहाँ दिव्यांग और सामान्य दोनों तरह के विद्यार्थी एक साथ, एक-दूसरे के मनोभावों को समझते हुए अपनी-अपनी प्रतिभाओं और क्षमताओं के साथ अपनी संवेदनाओं और अनुभवों को दृश्य भाषा में पूरे मन से रचते हुए अपनी निजत्व को प्रस्तुत कर रहे होते हैं। उन्हें खुशी और संतोष होता है जब उनके द्वारा रची गई कृतियाँ प्रदर्शित और सराही जायें। इससे उनका मनोबल तो बढ़ता ही है रचनात्मकता और प्रगतिपथ के नये-नये द्वार भी खुलते हैं जो हम शिक्षकों और संस्थान का परम उद्देश्य होता है।
‘‘पहल’’ प्रदर्शनी ललित कला विभाग का वार्षिक आयोजन है जिसमें शिक्षक और विद्यार्थी एक साथ अपनी रचनात्मकता के साथ उपस्थित होते हैं। ऐसे में जहाँ विद्यार्थी अपने शिक्षकों की रचनात्मकता से प्रेरित और प्रोत्साहित होते हैं वहीं शिक्षक अपने विद्यार्थियों की कलाकृतियों का आकलन करते हुए सम्भावनाआंे के प्रति आश्वस्त होते हैं। इसी तरह युवा कलाकार कला क्षेत्र में स्थापित होने की ओर प्रवृत्त होते हैं।
पहल-3 विभाग के वार्षिक आयोजन के श्रृंखला की तीसरी कड़ी है जिसमें 09 अध्यापक और 95 विद्यार्थी चित्रकला, मूर्तिकला और व्यावहारिक कला विषयों का प्रतिनिधित्व करते हुए अपनी पूरी क्षमता के साथ उपस्थित हैं जिससे न की केवल विश्वविद्यालय परिवार बल्कि नगर के कलाप्रेमी भी लाभान्वित होंगे।
उद्घाटन समारोह :
दिनांक 13.07.2023 को अपराह्न 03ः00 बजे पहल-3 प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रो. राणा कृष्ण पाल सिंह, माननीय कुलपति द्वारा ललित कला विभाग की वीथिका में किया गया। उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि ने कहा कि यह प्रदर्शनी ललित कला विभाग के विद्यार्थियों की भावनाओं की अभिव्यक्ति है जो विभिन्न माध्यमों एवं आकारों द्वारा की गयी है और यह सृजनात्मक अभिव्यक्ति निश्चित रूप से प्रत्येक विद्यार्थी के व्यक्तिगत दृष्टिकोण एवं शब्दावली को स्थापित करती है। इस आयोजन में विद्यार्थियों के साथ शिक्षकों का भी अपनी कृतियों के साथ सहभागिता निभाना उनके लिए अत्यधिक उत्साहवर्धक रहेगा। प्रो. पी. राजीवनयन, विभागाध्यक्ष, ललित कला ने कहा कि इस तरह की प्रदर्शनी से विद्यार्थियों में अकादमिक रूचि, ऊर्जा और उत्साह बना रहता है और ऐसे कार्यक्रम विभाग निरन्तर करता रहेगा। इस अवसर पर प्रो. शेफाली यादव, कुलानुशासक, डाॅ. यशवंत वीरोदय, मीडिया प्रभारी, डाॅ. अनामिका चौधरी, डाॅ. वीरेन्द्र सिंह यादव, डाॅ. राशि कृष्णा सिन्हा, डाॅ. गुलाब राय, डाॅ. देवेश कटियार, डाॅ. डी. सी. शर्मा, डाॅ. नीरज दीक्षित, डाॅ.आशीष गुप्ता, डाॅ. चेत नारायण पटेल, डाॅ. अभिषेक मिश्रा, डाॅ. सौम्या शंकर, डाॅ.अर्चना सिंह आदि उपस्थित रहे। प्रदर्शनी संयोजक डाॅ. अवधेश प्रसाद मिश्र एवं डाॅ. सुनीता शर्मा ने बताया कि इस प्रदर्शनी में विभाग के 09 शिक्षकों और 95 विद्यार्थियों की कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गयी हैं जो दिनांक 20.07.2023 तक मध्याह्न 12ः00 बजे से अपराह्न 04ः00 बजे तक दर्शकों के अवलोकनार्थ प्रदर्शित रहेंगी।
स्रोत : प्रेस विज्ञप्ति