अहले सुबह चित्रकार मित्र सुप्रिया श्रीवास्तव अम्बर के व्हाट्सएप मैसेज से वरिष्ठ कलाकार ए.रामचंद्रन के निधन की दुखद खबर मिली। रामचंद्रन हमारे समय के महत्वपूर्ण कलाकार और कलागुरु थे। वे उन चुनिंदा कलाकारों में थे जिनके चाहने वाले देश के प्रत्येक हिस्से में थे। कुमुदिनी पर मंडराने वाला भौंरा (भ्रमर) अब अपनी अनंत यात्रा पर चला गया। यहाँ प्रस्तुत है उनके निधन पर कलाजगत की विभिन्न हस्तियों द्वारा प्रस्तुत श्रद्धासुमन ….
RIP, A.Ramachandran
“When I go from here
let these be my parting words, that
what I have seen, whatever I have received, is incomparable
I’ve tasted the nectar of the supreme lotus that blooms on the ocean of light
and so I am blessed “
-Rabindranath Tagore (Geetanjali)
Just received a very sad message from Chameli Ramachandran :
Ramachandran has left for the eternal abode at 9
A great loss to the Art World
I am speechless.
-Vinod Bhardwaj
New Delhi
In Loving Memory of Artist A Ramachandran
It is with heavy hearts that we bid farewell to a true legend in the world of art, Artist A Ramachandran. His passing leaves a profound void in our hearts and in the artistic community.
A veteran whose dedication to his craft was unparalleled, Ramachandran’s artworks spoke volumes, weaving stories that transcended time and space. Despite the sad news of his departure, his legacy will continue to inspire generations to come.
For over three decades, I have been a distant admirer of his work, engaging in a constant conversation with his artistry and practice. His commitment, dedication, and sincerity as a practitioner of his art were evident in every stroke of his brush and every masterpiece he created.
Ramachandran’s words resonate deeply: “To an urban society, this may be an attempt to find utopia but looking at the lives of people and nature has taught me things that I could not have learned through mere reading of art history.” His belief in the power of observation and connection with life’s intricacies illuminated his work, leaving an indelible mark on the art world.
As we mourn the loss of a visionary artist, let us remember his contributions and celebrate the beauty he brought into our lives. May his soul rest in eternal peace, knowing that his legacy will continue to inspire and enrich the world of art.
-Pratul Dash
New Delhi
स्मृति शेष :
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पद्मभूषण अलंकरण से वर्ष 2005 में सम्मानित ए रामचंद्रन (वे इसी नाम से विख्यात रहे) का आज एक लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे दिल्ली में रहते थे। उनका पूरा नाम अच्चुतन रामचंद्रन नायर (1935 -2024) था।
अपने किस्म के वे एक अनोखे भारतीय चित्रकार थे। उनकी कृतियों में सौंदर्यबोध की शास्त्रीयता और संयोजनों में भारतीयता का रंग दिखता रहा है। जल और तैल दोनों ही रंगों में उन्होंने काम किया है।
कमल के फूल-पत्तों की पृष्ठभूमि में नारी सौष्ठव को दर्शाती उनकी चित्र श्रृंखला मुझे कुछ अधिक ही सुख देती रही है।
उनके जाने से समकालीन भारतीय कला- जगत में एक शून्य-सा उपजता लग रहा है।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें…पुष्पांजलि सहित नमन उन्हें 🪷🙏
-अखिलेश निगम
लखनऊ
श्रद्धांजलि
ए रामचन्द्रन के चित्रों से गुज़रना भारतीय वांगमय से गुज़रने जैसा रहा है। आपके चित्र भारतीयता, भारतीय सौंदर्य दृष्टि, समाज, हमारे समय का सिंहावलोकन है। आपकी कला, कला के निरर्थक मूल्यों को ख़ारिज करती हैं, भारतीय कला मूल्यों को स्थापित करती हैं ।
ऐसे रहे हैं, रामचन्द्रन। आपकी अनुपस्थिति को भुलाना कला जगत के लिए कभी संभव नहीं होगा। आप कला प्रेमियों के दिलों पर हमेशा दर्ज़ रहेंगे।
-विनय कुमार
पटना
चित्रकार ए रामचंद्रन नहीं रहे।
भारतीय चित्रकला का एक स्वर्णिम युग उनके साथ अस्त हो गया। वे केरल से शांतिनिकेतन कला की पढ़ाई के लिए गये थे।
मतांचेरी के भित्तिचित्रों की रंगयोजना को उन्होंने अपने चित्रों का आधार बनाया। कमलवन हों या गांव की साधारण महिलायें रंगों को बरतने का ढंग बता देता था कि यह रामचंद्रन का बनाया हुआ है।
शांतिनिकेतन में पढ़ते समय उनकी मित्रता चीनी साहित्य के प्रकांड विद्वान तान- युन – सान की बेटी चमेली से हुई थी। यह नाम गुरुदेव का दिया हुआ था। बाद में चमेली जी ए रामचंद्रन की जीवनसंगिनी बनीं। रामचंद्रन के चित्रों की एक विशेषता यह भी रही कि अनेक चित्रों में भौंरे के रूप में वे स्वयं को दर्शाते रहे।
क्या यह वही भौंरा था जो महाकवि कालिदास की रचना ‘ मेघदूत ‘ में यक्ष द्वारा कुबेर के लिए लाये गये कमल में बंद हो गया था? ए रामचंद्रन की अमर कृति ‘ ययाति ‘ मनुष्य की जीवन के रसों के प्रति अदम्य आसक्ति का ही प्रतीक है।
रामचंद्रन चले गए हैं। अपनी कृतियाँ हम सबके बीच छोड़ गए हैं, निरखने और रंगों के सरोवर में डूबने के लिए।
-जयंत सिंह तोमर
ग्वालियर
श्रद्धांजलि : कला जगत में शोक की लहर …
वरिष्ठ चित्रकार व कलागुरू “ए. रामचंद्रन” का निधन। दुखद समाचार … वरिष्ठ विख्यात चित्रकार व कलागुरू
अच्युतन रामचंद्रन नायर प्रचलित “ए. रामचंद्रन” का असामयिक निधन हो गया है … समस्त कला जगत की ओर से अश्रुपुरित
विनम्र श्रद्धांजलि … !
ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे …और परिजनों को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें …
शत् शत् नमन : 🌷🙏
– दिलीप_दवे
जयपुर
#विनम्र_श्रद्धांजलि
अत्यंत खेदजनक समाचार है कि विख्यात कलाकार ए. रामचंद्रन का असामयिक निधन हो गया है।
अच्युतन रामचंद्रन नायर यानी ए. रामचंद्रन (29 अगस्त, 1935 – 10 फरवरी, 2024) देश के चुने हुए महत्वपूर्ण चित्रकारों में से एक थे। उनका जन्म केरल के अटिंगल में हुआ था। आप कला जगत में अपने ययाति, उर्वशी व लोटस पॉन्ड्स श्रृंखला के चित्रों के लिए प्रसिद्ध थे।
समस्त Kala Charcha परिवार की ओर से अश्रुपुरित विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे और शोकाकुल परिजनों को यह वज्रपात सहन करने की शक्ति दे।
।। ओम शांति ओम ।।
-कला चर्चा