पिछले दिनों 18 मई को एक सड़क हादसे ने युवा कलाकार/ कला लेखक राकेश कुमार दिवाकर को हमसे छीन लिया। राकेश उन चंद युवा कलाकारों में से थे, जो महानगर की चमचमाती दीर्घाओं से दूर रहकर गांव और कस्बों में कला की अलख जगा रहे थे। उनकी यह सक्रियता न केवल चित्र रचना में देखी जाती थी, अपनी लेखनी से भी वे सदैव तत्पर रहते थे। इतना ही नहीं अपने युवा साथियों व शिष्यों के उत्साहवर्द्धन में भी वे उतने ही सक्रिय रहते थे। ऐसे में उनका यह असामयिक निधन कला जगत की अपूरणीय क्षति है । राकेश के अनन्य मित्र कलाकार रौशन राय ने कुछ दिनों पूर्व उनके कला-सृजन पर भोजपुरी में यह आलेख लिखा था। प्रस्तुत है रौशन राय की कलम से राकेश भाई के प्रति यह श्रद्धा-सुमन। - मॉडरेटर
राकेश कुमार दिवाकर के वैचारिक सहमति आ सृजन के मांग के भी आपन मौलिक संयोग बा। जवन द्विआयामी रंगत धब्बन में आकृति मूलक बिंब प्रतिबिंब के समर्थ सापाट रूप में दिख जाला। तैयार कलाकृति में प्रतिस्पर्धा प्रतिशोध के टकराव में वैचारिक सहमति असहमति के संघर्ष साफ देखल जा सकत बा। गाढ़ा मोटा काला लकिर आपन मजबूत उपस्थिति से रचना के अन्य कलाकार से अलग सौंदर्य बोध के मांग करेला। राकेश दिवाकर के आपन मौलिक व समकालीन विचार बा जवन आम जनमानस के संघर्ष आ पिड़ा वेदना के दास्तान समेटले बा। मूर्त आ अमूर्त के बीच सृजित चित्र हमेशा आपन मौलिक अस्तित्व तलाश में, वैचारिक प्रतिबद्धता के हित के हि स्थान देबेला। कुल मिलाके राकेश कुमार दिवाकर जी समय के बदलाव में मानव के जीवन बदलाव बेहतरी खातिर हि कला रचना करिला। राकेश कुमार ‘दिवाकर’ के विनम्र श्रद्धांजलि।

मानव संघर्ष के पक्ष व समकालीन संदर्भ के खातिर खड़ा बा राकेश ‘ दिवाकर’ के रचना संसार:
कला रचना संदर्भ मानव समझ, समाजिक ताना-#बाना परिपेक्ष्य, परिवर्तन संघर्ष के संदर्भ सब कला खातिर विषयक व्याख्यान बा। मानव मन के वेदना अभाव-प्रभाव के संस्कृति, गंवई जीवन शैली, समृद्ध कला खाका में बांधल आसान ना होला। अमूमन अमूर्त प्रवृत्ति खाका जनित विषयक वेदना के करीब से महसूस कर, कला के रूप में रचित होला। कलाकार जब खुद के रचना खातिर तैयार करे के प्रक्रिया में होलन त एगो ब्यापक संदर्भ के साथे द्वंद्व में उलझल रहेलन। समाजिक, आर्थिक, पारिवारिक,निम्न वर्ग निम्न मध्यवर्ग के आंतरिक पिड़ा, त्रासदी, सुलझन, उलझन के तार्किक सौंदर्य में साधल आसान ना होला।
एहिजे से कला मन कलाकार मन कुचि से संवाद करे प्रारंभ कर देवेला, जवन निरंतर प्रभावी विस्तार पावत सृजित कला संसार के रूप में सामने होला। जब कवनो कलाकार गंवई परिवेश से कला में परिवर्तन खातिर संघर्ष करेला त, ओही दिन से समग्र रचनाधर्मिता में खासा प्रभावी परिवर्तन के आहट आवे लागेला।तब जमीन जन जनमानस आ मिट्टी के खुशबू कलाकृतियन में स्थान पावे लागेला। विषय संदर्भ आ संस्कृति जन विरोधी नीतियन पर कलाकार के रेखा, रंग रूपी वार समय के साक्ष्य के संघे गति पकड़ लेबेला। समाज में कला व कलाकार विरोधी तत्व भी होलन जीनकर सक्रियता समय समय पर समाज के सामने आवत रहेला। लेकिन कलाकार त सदियों से आपन मौलिक मूल्य आ कलागत समग्रता खातिर संघर्ष करत रहेलन।
आज हम बतकही कर रहल बानी एगो अइसने सजग चित्रकार के जिनकर जन्म, भोजपुर जिला के प्रतापपुर गांव में भईल रहे। चित्रकार राकेश कुमार ‘दिवाकर’ जिनकर रचना संसार के खासा ब्यापक विचार बा। कला पर आपन गहरा मापदंड रखे वाला भोजपुर बिहार के धरती से एगो एकलौता कलाकार बाड़न जिनकर कलाकृति सिधा जनमानस के वेदना संवेदना से वार्ता करेला। चित्र धरातल पर शुन्य से शुरू, सुरूचिपूर्ण कोशिश कशिश गढ़ें में पारंगत बा। लकिरन के प्रयोग योजनाबद्ध आ इमानदार सहयोग से चित्राकृतियन में सौंदर्य के संघे कलागत समग्रता भर देबेला। दिवाकर कभी रचनात्मक वैचारिक प्रतिबद्धता से समझौता ना करस बल्कि, समकालीन सरोकार के हि संवेदनशील बनावे के कोशिश रहेला।
राकेश कुमार दिवाकर के वैचारिक सहमति आ रचना यात्रा:
राकेश कुमार दिवाकर एगो कुशल चित्रकार के संघे प्रखर व संवेदनशील कला समीक्षक हि हवन। जिनकर कला समीक्षा देश के कई सम्मानित पत्र पत्रिका में आये दिन प्रकाशित होत रहेला। कला पर आपन गहरा वैचारिक पक्ष बड़ा मजबूती से रखे के प्रखर अंदाज बा । खैर हम कला पर ही आपन बात रखब। कलाकार के पास जब चित्र धरातल होला तब रचनाकार आपन गहरा प्रभावी विमर्श खाली पड़ल धरातल से बतकही करे सुरू करेला। देखते देखते धरातल लकिरन के जाल से खुद के सम्मानित महसूस करे लागेला।तब कलाकार के मन मस्तिष्क आपन समय काल खंड में परिवर्तित विचारोक्ति के अनुरूप रंग के संधे लकिरन में संवाद स्थापित करे लागेलन।
देखते देखते एगो अलग सौंदर्य बोध के संघे कलाकृति समाज के सामने होला, जवन समय के सच के व्याख्यान व आख्यान होला। राकेश के कृतियन में सापाट रंगत मूर्त आ अमूर्त के बिच शैली गत विविध पैनल में दर्शन गढ़ेला, जवन बहुत कम कलाकार लोग में महसूस करल जाला। समाज के सबसे निचला पायदान पर खड़ा आदमी खातिर कलाकृति हमेशा संघर्ष करत नजर आवेला। राकेश कुमार दिवाकर समय के संघे चले वाला एगो सफल कलाकार हवन। कई गो सम्मानित संस्थान से सम्मानित होखे के भी गौरव प्राप्त बा, जवन जीवन के संघे समाज खातिर प्रेरित करत रहेला।