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अलियांज़ फ्रांसेज़ में लगी प्रदर्शनी के क्यूरेटर हैं चित्रकार अखिलेश
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फ्रांस के राजदूत प्रदर्शनी के उद्घाटन में पहुंचे
जनजातीय कला के सुपरिचित हस्ताक्षर जनगढ़ सिंह श्याम की स्मृति में भोपाल के अलियांज़ फ्रांसेज़ में आज से जनगढ़ कलम के चित्रों की प्रदर्शनी प्रारंभ हुई। जाने- माने चित्रकार अखिलेश ने प्रदर्शनी को क्यूरेट किया है।

प्रदर्शनी में 16 जनजातीय कलाकारों के चित्र शामिल हैं। दुर्गाबाई, रानी परस्ते, सरस्वती परस्ते, भज्जू श्याम, दीपा श्याम, जापानी श्याम, ननकुशिया श्याम, मयंक श्याम, मनीष श्याम, रोशनी श्याम, राहुल श्याम, संतोषी श्याम, हीरामन उर्वेती , रामसिंह उर्वेती, रोशनी व्याम व सुखनंदी व्याम के कुल 23 प्रतिनिधि चित्र प्रदर्शित किए गए हैं। जनगढ़ सिंह श्याम के जन्मदिन पर प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ है और जगदीश स्वामीनाथन के जन्मदिन 21 जून को इसका समापन होगा। प्रदर्शनी का उद्घाटन भारत में फ्रांस के राजदूत डॉ. थिअरी माथौ ने किया। वे सपत्नीक भोपाल आये थे। मुम्बई में फ्रांसीसी वाणिज्य दूतावास के प्रतिनिधि भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

प्रदर्शनी के क्यूरेटर चित्रकार अखिलेश ने बताया कि फ्रांस के राजदूत ने मध्यप्रदेश के जनजातीय कलाकारों, विशेषकर जनगढ़ कलम के प्रतिनिधि चित्रकारों से मिलने की इच्छा जताई थी। इस प्रदर्शनी के माध्यम से दोनों उद्देश्य पूरे करने की कोशिश की गई। राजदूत की जनजातीय कलाकारों से भेंट भी हुई और एक प्रदर्शनी का आयोजन भी हुआ।
उल्लेखनीय है कि डिंडोरी जिले के पाटनगढ़ में परधान गोंड परिवार में जनमे जनगढ़ सिंह श्याम की कला और प्रतिभा को जगदीश स्वामीनाथन ने तलाशा और तराशा। स्वामीनाथन ने ही यह दृष्टि सबको दी कि जनजातीय कलाएं उतनी ही समकालीन हैं जितनी विश्व की अन्य समकालीन कलाएं। साल 2001 में जापान में रहस्यमय परिस्थिति में जनगढ़ सिंह श्याम की मृत्यु हुई।
कलाकार भज्जू श्याम का कहना है कि जनगढ़ कलम की चर्चा वैश्विक स्तर पर इसलिए भी हो रही है कि अब इस कलम पर निरंतर किताबें छप रही हैं। दूसरे प्रांतों के कलाकार भी अब मध्यप्रदेश की जनजातीय कला व जनगढ़ कलम को सीखने में पर्याप्त रुचि ले रहे हैं। भोपाल के जनजातीय संग्रहालय में भी हर महीने किन्ही एक जनजातीय कलाकार की ‘ शलाका ‘ प्रदर्शनी व कार्यशाला आयोजित होती है।
प्रदर्शनी में प्रसिद्ध कला समीक्षक प्रयाग शुक्ल, प्रसिद्ध सितार वादिका स्मिता नागदेव, कलाकार विवेक टेम्बे, वसंत भार्गव , सामाजिक कार्यकर्ता शिवनारायण गौर की विशेष उपस्थिति रही। जनगढ़ कलम के कलाकारों में सभी ने इस कलम के बुनियादी तत्वों को बनाये रखते हुए नये प्रयोग करते हुए अपनी स्वतंत्र पहचान व शैली विकसित की है। चित्रों के डीटेल व नयी छवियों के समावेश से इसे समझा जा सकता है।

एलियांज़ फ्रांसेज़ भोपाल के उन गिने – चुने स्थलों में है जहां कलाकारों की प्रदर्शनी लगती रहती है। इस स्थान की अपनी एक प्रतिष्ठा विकसित हुई है। लेकिन अब यह स्थल प्रदर्शनियों की दृष्टि से बहुत ही छोटा पड़ने लगा है। शुभारंभ के दिन यहां ठीक से चित्रों को देखने, कलाकारों से चर्चा करने और फोटो खींचने के लिए धैर्य का परिचय देना पड़ता है। अलियांज़ फ्रांसेज़ के बाहर आज भारी पुलिस बल तैनात था। सांस्कृतिक शैक्षणिक केन्द्रों पर इतने सुरक्षा बल की क्या आवश्यकता है यह समझ पाना कठिन है।
जनजातीय कलाकार बहुत विनम्र , सौम्य और संकोची होते हैं। उनका यही दुर्लभ गुण सबको आकर्षित करता है। जनगढ़ श्याम की स्मृति में इन्हीं दिनों रज़ा फाउण्डेशन भी डिंडोरी में एक आयोजन कर रहा है। मध्यप्रदेश में देवलालीकर, एल एस राजपूत , डी जे जोशी, एन एस बेन्द्रे , व्यौहार राममनोहर सिन्हा, अमृतलाल वेगड़, रुद्र हंजी जैसे कलाकारों को भी इसी उत्साह से यदि याद किया जाता तो कितना अच्छा होता!
-जयंत सिंह तोमर