विदेश और संस्कृति मंत्री मीनाक्षी लेखी ने 08 मार्च, 2022 को कश्मीर की भूली-बिसरी महान महिलाओं पर केंद्रित “स्त्रीदेश” के शोध मोनोग्राफ का विमोचन किया। इस कार्यक्रम में उनके सहभागी रहे इंदिरा गांधी सेंटर फॉर द आर्ट्स एंड कल्चर (आईजीएनसीए) के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी। विदित हो कि इस पुस्तक के लेखक हैं आशीष कौल। दरअसल “स्त्रीदेश” अविभाजित जम्मू और कश्मीर की भूली-बिसरी महिलाओं का दस्तावेजीकरण करने वाला पहला शोध मोनोग्राफ है, जो जम्मू और कश्मीर की उन 13 महान महिलाओं के जीवन और समय का वर्णन करता है, जिन्हें उन विभिन्न अत्याचारियों और कट्टरपंथियों द्वारा मिटा दिया गया था। जिन्होंने महिलाओं की इस स्वर्णिम विरासत पर शासन किया और उसे नष्ट कर दिया। देखा जाए तो स्त्रीदेश पहली ऐसी पहल है जो महिलाओं की प्रतिष्ठित विरासत को पुनर्स्थापित करती है और सामने लाती है, साथ ही इस पूर्ववर्ती राज्य के सामाजिक, आर्थिक, सैन्य और राजनीतिक उत्थान में महिलाओं के योगदान को रेखांकित करती है। इस अवसर पर विभिन्न देशों के राजदूतों और संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव संजुक्ता मुद्गल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
आशीष कौल कहते हैं – “आज, इस महिला दिवस पर, मैं उन 13 महिलाओं के लिए एक पिता की तरह महसूस करता हूं, जिन्हें इतिहास और हमारे अपने देश ने भुला दिया था। दुनिया को यह जानने की जरूरत है कि दुनिया में सबसे बड़ी उपलब्धियां जिसमें खाद्यान्न के सार्वजनिक वितरण का दुनिया का पहला नेटवर्क शामिल है। पहली सहकारी बैंकिंग प्रणाली, दुनिया की पहली भुगतान वाली सेना, दुनिया की सबसे पहली कमांडो फोर्स, काउंटर इंटेलिजेंस मैकेनिज्म, अब तक की सबसे बड़ी युद्ध रणनीति – गुरिल्ला युद्ध, सरकार का संसदीय स्वरूप, कर सुधार समेत कई अन्य प्रयोग दुनिया को जम्मू और कश्मीर की महिलाओं द्वारा एक उपहार थे। दुर्भाग्य से, उन इतिहासकारों और विभिन्न पक्षपाती सरकारों द्वारा हमारी महिलाओं की महिमा को मिटा दिया गया था, जिन्हें इन महान महिलाओं की यश-कीर्ति से अपनी महानता पर खतरा महसूस हुआ होगा । “
“स्त्रीदेश” के लेखक निदेशक आशीष कौल कश्मीर की माटी में जन्मे ऐसे धरती-पुत्र हैं जिनकी पहचान वैश्विक कॉर्पोरेट जगत में भी है। बहरहाल कौल आगे कहते हैं, “प्रोजेक्ट स्त्रीदेश मुझे पिछले 6 वर्षों में हमारे इतिहास की खोज में अफगानिस्तान और ईरान सहित दुनिया के कई चुनौतीपूर्ण भौगोलिक क्षेत्रों में ले गया। फिल्म और शोध मोनोग्राफ के अलावा इस प्रोजेक्ट स्त्रीदेश में 13 स्वतंत्र पुस्तकें भी शामिल हैं जो उस दौर के जीवन और समय का वर्णन करती हैं। इन 13 अविश्वसनीय महिलाओं से संबंधित पुस्तकों में “दीद्दा द वॉरियर क्वीन ऑफ कश्मीर” जो कि इस श्रृंखला की पहली पुस्तक थी, को मेगा स्टार अमिताभ बच्चन द्वारा जारी किया गया था।
भारत सरकार के लिए डॉ. सच्चिदानंद जोशी द्वारा निर्मित और प्रस्तुत, आशीष कौल की स्त्रीदेश ने जम्मू-कश्मीर की इन महिलाओं को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया है। दुर्भाग्य से ये महिलाएं समय के साथ खोती चलीं गईं, वहीँ हमारी पिछली राजनैतिक सत्ताएं भी इस गौरवशाली अतीत की बहाली में विफल रहे। “जम्मू और कश्मीर की महिलाएं लगभग आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं और किसी भी अन्य राज्य की तुलना में हमारी महिलाएं उच्च शिक्षित और संकल्प से भरी हैं। अफसोस की बात है कि पिछली सरकारों ने राज्य की महिलाओं के साथ संवाद स्थापित करने और उन्हें अपने साथ जोड़ने पर कभी ध्यान नहीं दिया। वह अद्वितीय इतिहास जिसे दुहराकर राज्य की महिलाओं के माध्यम से आतंकवाद के खतरे को दूर करने में एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाया जा सकता था। दुर्भाग्य से हमारी उपेक्षा का शिकार रहा, जब कभी कश्मीर की बात होती है तो हमारी बातचीत हमेशा सिर्फ पुरुष केंद्रित रहती है। लेकिन अब इस परंपरा को बदलने और महिला केंद्रित लक्ष्य निर्धारित करने का समय आ गया है, खासकर राज्य की शांति और समृद्धि की पुनर्बहाली के लिए ” :- अपनी बात को जारी रखते हुए आशीष कौल कहते हैं।
स्त्रीदेश की शूटिंग पूरे कश्मीर,जम्मू, पुंछ और राजौरी के ऐतिहासिक स्थानों पर किया गया था। यह पहली बार है कि जब किसी फिल्म को इन स्थानों पर शूट किया गया। आशीष ने फिल्म के निर्देशन के साथ-साथ पटकथा, छायांकन और निर्माण प्रबंधन की ज़िम्मेदारी का भी निर्वहन किया। स्त्रीदेश ईसा पूर्व पांचवी सदी से 11वीं शताब्दी तक की इन 13 महिलाओं के जीवन और समय का पहला शोध आधारित ऐतिहासिक दस्तावेज है। इस प्रकार देखा जाए तो यह पुस्तक जम्मू और कश्मीर के इतिहास के 5000 से अधिक वर्षों के दस्तावेजीकरण का एक दुर्लभ प्रयास है।
आशीष कौल मीडिया और मनोरंजन में 28 साल के वैश्विक नेतृत्व के अनुभव के साथ एक बिजनेस लीडर हैं, वह अमिताभ बच्चन द्वारा जारी कश्मीर की योद्धा रानी दीद्दा सहित भारत के सबसे बड़े प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित 3 बहुभाषी पुस्तकों के बेस्टसेलिंग लेखक हैं। आशीष अपनी तरह की पहली शोध आधारित फिल्म “स्त्रीदेश – कश्मीर की भूली-बिसरी महिलाओं” के निर्माता और निर्देशक भी हैं जिन्हें आईजीएनसीए के माध्यम से संस्कृति मंत्रालय द्वारा निर्मित किया गया। इतना ही नहीं महिला सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करने वाले एक प्रमुख स्तंभकार के तौर पर भी आशीष जाने जाते हैं ।
- प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित : मॉडरेटर