-
वान गॉग की पेंटिंग वाला प्याज दरअसल लहसुन निकला
पिछले दिनों एम्स्टर्डम के वानगाग संग्रहालय ने इस प्रसिद्ध डच कलाकार द्वारा बनाई गयी एक पेंटिंग के शीर्षक को बदल डाला। या यूं कहें कि उन्हें बदलना पड़ा। 1857 में इस स्टिल लाइफ पेंटिंग को जब वान गाग ने बनाया था तबसे इसे ” रेड कैबेजेज एंड ऑनियन” यानी लाल गोभी और प्याज शीर्षक से जाना जाता रहा। इस दौरान यह पेंटिंग अनेक कलाविदों और शोधार्थियों के नज़र से गुजरी लेकिन पिछले बरस मार्च में पहली बार किसी ने इसके शीर्षक पर सवाल उठाया। एक अनुमान के मुताबिक कोविड महामारी से पूर्व तक प्रति वर्ष लगभग दो मिलियन लोग इस गैलरी में आते रहे थे । किन्तु इनमें से किसी को वह गलती नहीं दिखी, लेकिन अर्नस्ट डी विट्टे नाम के एक शेफ की तेज निगाहों ने पहली बार इस गलती को पकड़ लिया। उसे इस बात का पक्का यकीन था कि जिसे प्याज समझा जा रहा है, दरअसल में वह लहसुन की गांठें हैं, इसलिए इसका शीर्षक “लाल गोभी और लहसुन” होना चाहिए। हालाँकि वह पहले भी कई बार इस संग्रहालय का दौरा कर चुका था, लेकिन पिछले मार्च में उसकी निगाह में ये गलती आ पायी।

अलबत्ता कला पारखियों और विशेषज्ञों ने लगभग एक सदी तक इस पेंटिंग का अध्ययन किया था, किन्तु कभी किसी के ख्याल में यह बात नहीं आयी कि जिसे वे प्याज मान रहे हैं वह वास्तव में लहसुन है। डी विट्टे लगभग 20 वर्षों के पेशेवर खाना पकाने के अनुभव से लैस एक रसोईया था किन्तु उसकी रूचि चित्र बनाने में भी थी। वह पिछले चार साल से नियमित तौर पर पेंटिंग भी कर रहा था। इतना ही नहीं लॉकडाउन के दौरान तो उसने अपने लिए किराए पर एक स्टूडियो भी ले लिया था। इस कारण से उसे इस बात का पूरा आत्मविश्वास था कि वह जो कह रहा है, वह बिल्कुल सही कह रहा है। लेकिन इसके बावजूद जब उसने यह दावा किया तब संग्रहालय ने उनसे इस दावे का समर्थन करने वाले साक्ष्य मांगे।

डी विट्टे ने एक ईमेल के जरिये बताया, “मैंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर एक पॉवरपॉइंट बनाया, जिसमें दिखाया गया कि वान गाग ने लहसुन को अपने लाइन वर्क से कैसे चित्रित किया और इसकी तुलना एक अन्य पेंटिंग से की, जिसमें उन्होंने प्याज को चित्रित किया। और फिर मैंने एक वीडियो बनाया जिसमें मैंने लहसुन की विभिन्न किस्मों और प्याज की तुलना की। मैंने वैन गॉग की पेंटिंग में लहसुन के ऊपर एक ओवरले ड्राइंग बनाया, यह साबित करने के लिए कि वान गॉग ने जो रेखाएँ बनाईं, वे वास्तव में लहसुन की कलियाँ दिखाती हैं।”
उनके इन तर्कों की जांच करने और एक बायोलॉजिस्ट से परामर्श के बाद, अंततः संग्रहालय सहमत हो गया। और नवंबर में, संग्रहालय ने डी विट्टे को सूचित किया कि पेंटिंग का नाम बदला जा रहा है।
स्रोत : न्यूज़ आर्टनेट डॉट कॉम
https://news.artnet.com/