अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 11 मार्च को बिहार म्यूजियम, पटना द्वारा “हर महिला: कुछ खास” शीर्षक प्रदर्शनी आयोजित की गयी। इस प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर धन्यवाद ज्ञापन के क्रम में बिहार म्यूजियम, पटना के अपर निदेशक, अशोक कुमार सिन्हा के व्यक्त उद्गार यहाँ प्रस्तुत हैं। विदित हो कि उपेंद्र महारथी संस्थान के निदेशक के तौर पर बिहार की लोककलाओं के संवर्द्धन में अशोक सिन्हा का अविस्मरणीय योगदान रहा है। किंचित इन्हीं कारणों से उपेंद्र महारथी संस्थान से सेवानिवृति के बाद जब उन्हें बिहार म्यूजियम, पटना के अपर निदेशक की ज़िम्मेदारी दी गयी, तो उनसे लोक एवं समकालीन कलाकारों की अपेक्षा और बढ़ गयी है।
– मॉडरेटर
पटना स्थित बिहार म्यूजियम भारत ही नहीं वरन पूरे विश्व में एक उल्लेखनीय स्थान रखता है। यह म्यूजियम पुरातन एवं आधुनिक कलाकृतियों का एक श्रेष्ठ संग्रहालय है। यह भारतीय विरासत के गौरवशाली अतीत के श्रेष्टतम संग्रहालयों में से एक है। बिहार म्यूजियम भारत की गौरवशाली कला के संग्रह के साथ-साथ इनके संवर्धन हेतु भी सतत कार्यशील है। इस हेतु बिहार म्यूजियम समकालीन कला और लोक कलाओं की विभिन्न विधाओं पर कार्यशालाओं का आयोजन करता है, उन पर संगोष्ठियों को भी आयोजित करता है साथ ही श्रेष्टतम कलाकृतियों की प्रदर्शनी भी आयोजित करता है।
8 मार्च पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हेतु ख्यात तिथि है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बिहार म्यूजियम इस वर्ष 11 मार्च से बिहार की श्रेष्टतम महिला कलाकारों की कृतियों की प्रदर्शनी आयोजित कर रहा है जो एक महीने (10 अप्रैल, 2023) तक चलेगी। प्रदर्शनी में समकालीन कला से 26 और लोक कला से 16 महिला कलाकारों की पेंटिंग/कलाकृति शामिल हैं।
प्रदर्शनी में शामिल सभी महिलायें समकालीन कला और लोक कला के क्षेत्र में ख्यातनाम चित्रकार हैं जिनमें कुछ तो पद्म पुरस्कार से सम्मानित हैं। बिहार को यह गौरव प्राप्त है कि जिसे हम मधुबनी या मिथिला चित्रकला कहते हैं, उसमें इसने विश्वविख्यात चित्रकार पैदा किया है। सबसे बड़ी बात यह है कि अधिकांश चित्रकार महिलायें ही हैं। बिहार को यह भी गौरव प्राप्त है कि भारत में किसी एक विधा में संभवतः सबसे ज्यादा पद्म पुरस्कारमिथिला पेंटिंग में ही मिला हुआ है। महिला कलाकारों में मिथिला (मधुबनी) पेंटिंग की सात कलाकार यथा जगदंबा देवी (1975), सीता देवी (1981), गंगा देवी (1984), महासुन्दरी देवी (2010), बौआ देवी (2017), गोदावरी दत्त (2019) और दुलारी देवी (2021) पद्मश्री से सम्मानित कलाकार हैं। यह बिहार एवं मिथिला पेंटिंग का सौभाग्य है। बिहार म्यूजियम का भी सौभाग्य है कि इनमें से अधिकांश चित्रकारों ने अपनी रचनाधर्मिता से बिहार म्यूजियम को समृद्ध किया है। इस वर्ष 2023 में पेपरमेसी शिल्प में पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित श्रीमती सुभद्रा देवी की कृतियाँ भी इस प्रदर्शनी में शामिल हैं।
महिलायें हमेशा से रचनाधर्मी रही हैं। बिहार की महिलाओं की रचनाधर्मिता भी हमेशा से जनजीवन को उत्प्रेरित करती रही है। चाहे कला हो, साहित्य हो या अन्य क्षेत्र। इन्हीं महिला रचनाधर्मी चित्रकारों के सम्मान में 11 मार्च 2023 से आयोजित हमारी यह कला प्रदर्शनी आयोजित है जहाँ आप इनमें से अधिकांश चित्रकारों से साक्षात मिल सकेंगे, उनसे बातचीत कर सकेंगे, उनकी कला यात्रा के सहभागी बनेंगे और उनकी कलाकृतियों से साक्षात्कार कर सकेंगे।
हमारा यह प्रयास इस लिहाज से भी विशेष है कि यह नयी पीढ़ी को इन महान कलाकारों की कृतियों से जोड़ेगा। उनमें एक नये कलाबोध को जागृत करेगा तथा जीवन के प्रति एक मृदुल सौन्दर्यबोध को विकसित करेगा।
हमारा आग्रह है कि आप सभी इस कला प्रदर्शनी में, जो एक महीने तक आयोजित हैं, में जरूर आये और खुद के साथ हमें भी प्रसन्नता प्रदान करें। आपका सुझाव भी अपेक्षित रहेगा, जिसे हम अगले कार्यक्रमों में समाहित कर और भी सफल एवं सार्थक कार्यक्रम आयोजित कर पायेंगे।
इन्हीं शब्दों के साथ आप सभी को धन्यवाद।
(अशोक कुमार सिन्हा)
अपर निदेशक,
बिहार संग्रहालय, पटना
E mail: additionaldirecotbm@gmail.com