अक्सर यह बातें सामने आती हैं कि कला या कलाकृतियों का कोई सामाजिक सरोकार है भी या नहीं? क्या कलाकृतियां सिर्फ रस-रंजन के लिए ही बनायी जाती हैं ? इसे समझने के लिए आज हम चर्चा उन दो बहुचर्चित कलाकृतियों की करते हैं, जो दो अलग-अलग काल खंड में बनायीं गयीं। इनमें से पहली कलाकृति तो मौजूदा दशक की है, तो दूसरी कलाकृति सोलहवीं सदी में बनी हैं। पहली कलाकृति का उद्देश्य जहाँ इससे अर्जित आय से वैश्विक स्तर पर बच्चों के कल्याण के लिए योजनाएं चलाने की है, तो सोलहवीं सदी की कलाकृति का उद्देश्य सत्ता से जुड़े लोगों को आध्यात्मिकता, नैतिकता एवं शुचिता के अनुपालन का है।
खबर पिछले बरस की है जब 22 मार्च, 2021 को दुबई में अटलांटिस, द पाम में हुई एक चैरिटी नीलामी में ‘द जर्नी ऑफ ह्यूमैनिटी’ शीर्षक वाली पेंटिंग को आंद्रे अब्दौने नामक एक कला पारखी ने खरीदा। तब ब्रितानी कलाकार साचा जाफरी ने अपनी 17,000 वर्ग फुट की इस पेंटिंग को 227,757,000 डॉलर (62 मिलियन अमेरिकी डॉलर) में बेचा था, जाहिर है इतनी बड़ी राशि की उम्मीद स्वयं कलाकार को भी नहीं रही होगी। लगभग उम्मीद से दोगुनी कीमत पर बिकी इस कलाकृति को लेकर योजना थी कि इसे 70 टुकड़ों में विभाजित करके बेचा जाए। आयोजकों कि समझ थी कि पूरे 2021 में यह नीलामी चलती रहेगी, तब जाकर कहीं सभी 70 टुकड़े बिक पाएंगे। लेकिन पहली ही नीलामी में जो हुआ उसकी अपेक्षा किसी को भी नहीं थी। तो हुआ यह था कि आंद्रे अब्दौने ने इसे पूरा का पूरा खरीद लिया। इस तरह यह कलाकृति टुकड़ों-टुकड़ों में बिकने से बच गयी। इस विशाल कलाकृति को बनाने में 1,065 ब्रश और लगभग 6,300 लीटर रंग का इस्तेमाल किया गया।
इस बिक्री से होने वाली आय को दुबई केयर्स, यूनिसेफ, यूनेस्को और ग्लोबल गिफ्ट फाउंडेशन सहित कई चैरिटी संस्थानों को दिया जाना है। इसे खरीदने के बाद अब्दौने ने कहा था –
“जब मैं बच्चा था, मेरे पास खाने के लिए कुछ नहीं था। अब मेरे पास खाने के लिए बहुत कुछ है। मेरे जीवन में यह मेरा सपना था कि मैं अपने बच्चों के लिए, अपने पिता के लिए कुछ अद्भुत करूं। मैंने साचा के साथ बात की और मुझे पता चला कि उन्होंने इस पेंटिंग में जो निवेश और प्यार डाला वह बहुत अद्भुत था। मेरा सारा जीवन बच्चों की मदद करते बीता। हर डॉलर का कुछ मतलब हो सकता है। अगर हम इसे एक साथ करते हैं, तो हम इन बच्चों और उनके भविष्य को आशा देते हैं” ।
सात महीने की अवधि में अटलांटिस के बॉलरूम के भीतर बनाई गई इस पेंटिंग ने हाल ही में दुनिया के सबसे बड़े कला कैनवास के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी हासिल किया। “द जर्नी ऑफ ह्यूमैनिटी” साचा जाफरी की धर्मार्थ पहल ह्यूमैनिटी इंस्पायर्ड का हिस्सा था, जिसे दुबई केयर्स एंड अटलांटिस, द पाम के साथ साझेदारी में, सहिष्णुता और सह-अस्तित्व मंत्री शेख नाहयान बिन मुबारक अल नाहयान के संरक्षण में 2020 में लॉन्च किया गया था। इस अवसर पार कलाकार के उद्गार कुछ यह थे-“एक कलाकार और एक मानवतावादी के रूप में 25 से अधिक वर्षों में यह मेरे जीवन का एक अनमोल क्षण है; यह मानवता के लिए एक अनमोल क्षण है। मानवता से प्रेरित मेरी इस पहल की शुरुआत में, दुनिया के बच्चों के दिलो-दिमाग और आत्माओं के माध्यम से हमारे इस टूटे हुए ग्रह को फिर से जोड़ने का मेरा सपना था। आंद्रे की बदौलत हम इसे हासिल करने के एक कदम और करीब आ गए हैं।” इस नीलामी में इस विशाल कलाकृति के साथ ही दो और चीजें भी नीलाम की गयीं। जिसमें पहली चीज थी पेंटिंग बनाने के लिए इस्तेमाल किये गए ब्रश और दूसरी चीज थी इस क्रम में कलाकार द्वारा पहना गया एप्रन। जाफरी ने इस कलाकृति में 140 देश के बच्चों की कलाकृतियों को समाहित किया था।
कलाकार के परिचय की बात करें तो यूनाइटेड किंगडम में 1977 में पैदा हुए साचा जाफरी एक समकालीन ब्रिटिश कलाकार हैं, जिन्हें कैनवास पर दुनिया की सबसे बड़ी पेंटिंग बनाने के लिए आज जाना जाता है। जब दुबई में हुयी नीलामी में उनकी कलाकृति को 228 मिलियन दिरहम यानी $62 मिलियन यूएस डॉलर में बिकी, तब इस तरह जेफ कून्स के ” रैबिट” शीर्षक कलाकृति ($91.1 मिलियन यूएस), डेविड हॉकनी के “पोर्ट्रेट ऑफ ए आर्टिस्ट” (पूल) ($90 मिलियन यूएस) और बीपल्स एवरीडेज़ की “द फर्स्ट 5000 डेज़” ($69.3 यूएस) के बाद यह किसी जीवित कलाकार द्वारा प्राप्त कीमत में चौथी सबसे बड़ी नीलामी राशि है। बात इस विशाल कलाकृति के खरीदार की करें तो फ्रांसीसी आंद्रे अब्दौने क्रिप्टो व्यवसायी हैं। जाफरी आम तौर पर आर्ट गैलरी से बाहर निकलकर कलाकृतियां बनाने और उसे दान करने के लिए जाने जाते हैं। उनके खरीदारों या संग्राहकों में बराक ओबामा, ब्रिटिश शाही परिवार के सदस्य, सर रिचर्ड ब्रैनसन, पॉल मेकार्टनी, लियोनार्डो डिकैप्रियो, बिल गेट्स के साथ-साथ मैडोना, डेविड बेकहम, जॉर्ज क्लूनी, और ईवा लोंगोरिया जैसे नामचीन हस्तियां शामिल हैं। जाफरी ने ईटन कॉलेज में पढ़ाई के बाद 2000 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ललित कला में मास्टर डिग्री प्राप्त की। प्रिंस चार्ल्स ने जाफरी को “14 सबसे प्रभावशाली जीवित मुसलमानों” के चित्र बनाने के लिए नियुक्त किया। उन्हें 21वीं सदी के लीडर्स चैरिटी द्वारा एक रेजिडेंट कलाकार भी नियुक्त किया गया है। 2014 में उन्होंने सिल्वर रेल्स के लिए कवर आर्ट भी बनाया, जो संगीतकार जैक ब्रूस का अंतिम स्टूडियो एल्बम था।
अब अगर आप जानना चाहें कि इससे पहले कला जगत में विशाल कलाकृति के तौर पर किस कलाकृति को जाना जाता रहा था ? तो हम बताएं कि यह कलाकृति है ” सेकंड पारडिसो ” जो कैनवास पर तैल रंग से बनी 22 x 7 मीटर की विशाल कलाकृति है। यह वेनिस में डोगे के महल के मुख्य हॉल में टंगा है। वैसे तैल रंगों से बनी कलाकृति की बात करें तो अब भी यह दुनिया में कैनवास पर बने सबसे बड़े चित्रों में शुमार है। जिसे सोलहवीं सदी में जैकोपो रोबस्टी द्वारा चित्रित किया गया था। रोबस्टी को आमतौर पर कला जगत में ‘टिंटोरेटो’ यानी रंगरेज़ के पुत्र के रूप में जाना जाता है। दरअसल “टिंटारे” का अर्थ इतालवी में रंगरेज़ होता है । इस पेंटिंग में विभिन्न धार्मिक हस्तियों के चित्रण के साथ एक स्वर्गीय दृश्य है। इस कलाकृति के केंद्र में एक महादूत की दीप्तिमान आकृति है। इस चित्र में लगभग 500 आकृतियों की भीड़ है, जिन्हें बहुत विस्तार से दर्शाया गया है।
इसके बारे में विक्टोरियन युग के ख्यात अंग्रेजी लेखक, दार्शनिक और कला समीक्षक जॉन रस्किन ने कहा था –
“मुझे इस तस्वीर को किसी भी तरह की कला के सबसे कीमती कलाकृति होने का दावा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है, जो अब दुनिया में मौजूद है।”
टिंटोरेटो की कलाकृतियां अपने स्थान के लिए बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं क्योंकि उन्हें कहीं और स्थानांतरित करना लगभग असंभव है। खासकर अपने विशाल आकार के कारण, कुछ यही वजह है कि उनकी अधिकांश कलाकृतियां इटली के वेनिस शहर में ही संग्रहित हैं। टिंटोरेटो के पारडिसो यानी स्वर्ग शीर्षक इस कलाकृति की मुख्य आकृति यीशु मसीह हैं और उनके सामने हैं मैरी। इस चित्र में मसीह की छवि को मैरी की अपेक्षाकृत कुछ विशेष तरजीह दी गयी है। इन स्वर्गदूतों के साथ-साथ संतों की बहुसंख्यक भीड़ जानबूझकर अंतिम निर्णय के विचार को जगाने के उद्देश्य से किया गया है। दरअसल यह कक्ष मंत्री परिषद् की बैठकों के लिए उपयोग किया जाता था। ऐसे में धार्मिक सन्देश वाली इस कृति को यहाँ चित्रित करने का मुख्य उद्देश्य परिषद् द्वारा अपने निर्णयों में नैतिकता एवं शुचिता के अनुपालन का था। ताकि इसके सामने बैठकर परिषद में उपस्थित लोगों को अपने कार्यों और नैतिकता के प्रति सचेत रहने के लिए यह कलाकृति प्रेरित करती रहे।
-सुमन कुमार सिंह