“देश परदेश” : यात्राओं के अनुभव से जोड़ती पुस्तक

“मेरी समझ से दुनिया की सर्वश्रेष्ठ वस्तु है घुमक्कड़ी I घुमक्कड़ से बढ़कर व्यक्ति और समाज का कोई हितकारी नहीं हो सकता I” -राहुल संकृत्यायन

देश में घरेलु पर्यटन की बात करें तो “फ़ोकसराइट रिसर्च” द्वारा फरवरी 2024 में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार 2020 और 2021 में महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंधों के कारण लगभग ध्वस्त हो चुके भारतीय पर्यटन बाज़ार में 2022 आते-आते एक मजबूत उछाल देखा गया। इंडिया ट्रैवल मार्केट रिपोर्ट 2022-2026 के अनुसार, कुल यात्रा सकल बुकिंग 72% बढ़कर 33.2 अरब डॉलर हो गई है। आज अगर हम अपने आसपास नज़र डालें तो पाते हैं कि घरेलु पर्यटन क्षेत्र में वृद्धि के साथ-साथ विदेश यात्रा के मामलों में भी वृद्धि देखी जा रही है। किन्तु इन सबके बावजूद हम में से अधिकांश अपनी यात्रा के अनुभवों को अपने तक ही सीमित रख लेते हैं I कुछ मामलों में सोशल मीडिया पर यात्रा की तस्वीरों के साथ कुछ विवरण मिल भी जाते हैं, किन्तु उससे मिलने वाली जानकारी अधूरी या अपर्याप्त ही रहती है I जिसकी सबसे बड़ी वजह है कि हम में से अधिकांश लोग यात्रा वृतांत लिखने की जरुरत नहीं समझते I जबकि सच्चाई तो यह है कि इतिहास से संबंधित अधिकांश जानकारियों के मुख्य श्रोत यात्रा वृतांत ही रहे हैं I भारतीय सन्दर्भ में देखें तो फाहियान, इत्सिंग, ह्वेनसांग, इब्न बतूता, मार्को पोलो एवं वर्नियर जैसों के यात्रा वृतांत उल्लेखनीय हैं I

Ashok Kumar Sinha

हिंदी में प्रकाशित होने वाली पुस्तकों की बात करें तो इस सूची में यात्रा वृतांत की संख्या सबसे कम रहती है I ऐसे में “देश परदेश” शीर्षक से प्रकाशित अशोक कुमार सिन्हा की पुस्तक, जहाँ हमें उनकी अनेक यात्राओं के अनुभव से जोड़ती है, वहीँ इस दिशा में लेखन के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित भी करती है I पुस्तक के “देश” वाले भाग में गणतंत्र की आदिभूमि वैशाली, बापू के भितिहरवा और साबरमती आश्रम, लोकनायक जयप्रकाश के सोखोदेवरा आश्रम, जयप्रकाश जी के गाँव सिताब दियारा, गुलाबी नगरी जयपुर, ओडिशा, गुवाहाटी से शिलांग, सारनाथ, वाल्मीकि नगर जैसे स्थलों की यात्रा के विवरण हैं I वहीँ परदेश वाले हिस्से में मॉरिशस, मेक्सिको, बाली द्वीप और सिंगापुर यात्रा की दास्तान हैं I

अशोक कुमार सिन्हा की पहचान यूं तो एक ऐसे प्रशासनिक अधिकारी की है, जिन्होंने बिहार के कला एवं सांस्कृतिक जगत, खासकर बिहार की लोक-कलाओं के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है I किन्तु इस क्रम में उन्होंने बतौर लेखक भी अपनी सक्रियता बनाये रखी है, जिसका प्रमाण उनके द्वारा कला और साहित्य पर लिखी गयी वे 36 पुस्तकें हैं I जिनमें साहित्य सृजन से लेकर संस्मरण, महापुरुषों की जीवनी और यात्रा वृतांत जैसे विषय शामिल हैं I “भारत की ऐतिहासिक धरोहर यात्रा”, “मैं कहता आँखिन देखी” और “मन तो पंछी भया” शीर्षक यात्रा संबंधित पुस्तकों की कड़ी में “देश परदेश” चौथी पुस्तक है I

अगर आप उनकी प्रशासनिक और सामाजिक व्यस्तता से वाकिफ हों तो, सहज तौर पर यह विश्वास शायद नहीं कर पायें कि आखिर उनका रचना संसार इतना व्यापक कैसे हो सकता है I क्योंकि तमाम व्यस्तताओं के बीच लिखने के लिए समय निकाल पाना बहुधा आसान नहीं ही होता है I सच कहूं तो मेरे मन में यह सवाल लगातार बना रहता था, इस सवाल का जवाब मुझे उनके साथ की गयी सिताब दियारा की यात्रा में आखिरकार मिल ही गया I पटना से जब हम सिताब दियारा के लिए निकले तो रास्ते में इधर-उधर की बातें भी होती रहीं I लेकिन इस क्रम में अशोक सिन्हा जी स्थानों के विवरण इत्यादि अपने नोटबुक में दर्ज करते रहे I सिताब दियारा भ्रमण के दौरान भी उनका यह क्रम जारी रहा, वापसी के बाद हम अपने-अपने कामों में व्यस्त हो गए I और शायद दुसरे या तीसरे दिन उन्होंने बताया कि सुबह की सैर के बाद समय निकालकर उन्होंने इस यात्रा का विवरण लिख डाला है I बहरहाल तब इस यात्रा वृतांत को हमने “आलेखन डॉट इन” पर चार खण्डों में पोस्ट किया था, जिसे हमारे सुधि पाठक पढ़ चुके हैं I

अशोक सिन्हा के लेखन की विशेषता है सहज और बोधगम्य भाषा का प्रयोग I जाहिर है इस यात्रा वृतांत में पाठक को यह सुख लगातार मिलता रहता है I किन्तु इसके साथ ही एक बड़ी कमी भी महसूस होती है, चित्रों की अनुपस्थिति की I संभवतः इस कमी की बड़ी वजह पुस्तक की लागत मूल्य में वृद्धि की आशंका हो, क्योंकि दुर्भाग्य से हमारे यहाँ प्रकाशन जगत खासकर हिंदी पुस्तकों के मामले में अर्थाभाव एक शास्वत सत्य हैI बावजूद इसके कि आधे अरब से अधिक देशी लोगों के साथ, हिंदी भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। वहीँ  दुनिया भर में लगभग 571.3 मिलियन लोग हिंदी को अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं।

पुस्तक: देश परदेश 

लेखक : अशोक कुमार सिन्हा 

प्रकाशक : लोकमित्र , शाहदरा, नयी दिल्ली 

मूल्य : 295/  

website:www.lokmitraprakashan.com

E-mail:lokmitraprakashan@gmail.com

-सुमन कुमार सिंह

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