आगामी २४ दिसम्बर को वरिष्ठ कलाकार/कला समीक्षक अखिलेश निगम जी का जन्मदिन है, इसके साथ ही वे जीवन के ७५ वर्ष पूर्ण कर ७६ वे में प्रवेश कर लेंगे। आलेखन डॉट इन और कलाकार समुदाय की तरफ से उन्हें हार्दिक शुभकामनायें। यह सुखद संयोग है कि मेरे कलागुरु पद्मश्री श्याम शर्मा और निगम जी लखनऊ कला महाविद्यालय में अध्ययन के दौर में भी समकालीन रहे हैं। प्रस्तुत है इस अवसर पर पद्मश्री श्याम शर्मा जी के उद्गार।-मॉडरेटर

भाई अखिलेश निगम जी का जन्मदिन 24 दिसम्बर को है, उनके इस जन्मदिन की खास बात यह है कि इसके साथ ही वे अपने जीवन के 75 वर्ष पूरे कर 76वें में प्रवेश कर लेंगे, बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं। यह सुखद संयोग ही रहा कि अखिलेश जी जिस काल में कला एवं शिल्प महाविद्यालय, लखनऊ के विद्यार्थी थे मैं भी उनका समकालीन था। हम दोनों की अलग अलग फैकल्टियाँ थीं पर रूचि समान थी। साहित्य, पठन-पाठन व लिखने- पढने में इनकी विशेष रूचि थी, स्थानीय होने के कारण इनका संपर्क शहर के साहित्यकारों, पत्रकारों से था। कला एवं शिल्प महाविद्यालय लखनऊ में आदरणीय कलागुरु मदनलाल नागर जी एक क्लब चलाते थे ‘साहित्य समाज’। जिसका दायित्व कुछ दिनों उन्होंने मुझे सौंप दिया, मैंने भाई अखिलेश जी के सहयोग से कला महविद्यालय में कवि सम्मेलन व मुशायरा कराया। इस समय अखिलेश जी मेरे और निकट आ गए, हमलोगों की वैचारिक समानता एक दिखाई देने लगी। हम दोनों में लिखने पढ़ने की समान रूचि थी। कालांतर में ललित कला अकादमी, नई दिल्ली में हमलोग एकसाथ साधारण सभा के सदस्य भी रहे। मैंने इनकी प्रतिभा को उस दौर में एक बार फिर और भी नज़दीक से देखा, वे कुछ दिन राष्ट्रीय ललित कला केन्द्र, लखनऊ के क्षेत्रीय सचिव भी रहे।

इनकी आयोजन क्षमता का एक विशेष परिचय हमें तब मिला जब इन्होंने ललित कला अकादमी, नई दिल्ली की वार्षिक कला प्रदर्शनी का आयोजन लखनऊ में कराया। एक और सुखद संयोग याद आता है हम दोनों भुवनेश्वर में प्रिंट मेकिंग कैंप में एक साथ थे। कर्मठता, साहित्य प्रेम और जानने की उत्सुकता अखिलेश जी में भरपूर थी।कुछ ऐसा संयोग हुआ कि कला शिविर प्रारंभ हो गया। चूँकि यह पहला ग्राफिक वर्कशॉप था भुवनेश्वर क्षेत्रीय कला केन्द्र में, मशीन आ चुकी थी परन्तु एचिंग डिश नहीं थी। हम सब बहुत परेशान हुए अंत में भाई अखिलेश निगम जी ने यह राय दी कि यह सेंटर नया -नया बना है, इसमें कई वाश बेसिन स्टोर में रखे हैं। इनको सील करके इनसे एचिंग डिश का काम लिया जा सकता है। हमलोगों ने वैसा ही किया और बहुत ही सफल ग्राफिक वर्कशॉप रहा। ये प्रिंंटाज करते थे, इसमें जेरोक्स मशीन के द्वारा नई नई कृतियों का ब्लैक एंड व्हाइट सृजन करते थे; और जब कभी मैं लखनऊ जाता था तो मुझे दिखाते थे। समय कटता गया आज हम उम्र के उस पड़ाव पर हैं जहां पुरानी बातों को सोचकर बहुत सुख मिलता है। एक और उल्लेखनीय बात यह कि भाई अखिलेश निगम जी नियमित कला पर आलेख लिखते रहे, जब -जब हमने लखनऊ में कला प्रदर्शनियां कीं; हमारी प्रदर्शनियों पर विस्तार से उन्होंने लिखा। जो आज बिहार की आर्काइव्स के लिए एक धरोहर है, जब-जब समय आया तब तब ये कलाकारों के साथ खड़े रहे।
भाई अखिलेश जी के 76 वें जन्मदिन पर मैं अपनी तरफ से साथ ही बिहार के उन कलाकारों जिन पर उन्होंने नियमित लिखा है की तरफ से भी उन्हें बधाई देता हूं , शुभकामना देता हूं; धन्यवाद।