अखिलेश निगम जी : जन्मदिन की शुभकामनायें

कला और कलाकारों को किसी सीमा, दायरे में बाँधा नहीं जा सकता। देखा गया है कि किसी सृजनशील कलाकार की सोच हमेशा अपने समय से आगे होती है। कुछ इन्हीं वजहों से अपनी सृजनात्मकता को दुनिया के सामने रखने की सजगता मुझमें भी छात्र जीवन से ही रही है। फलतः उम्र के शरुआती वर्षों से ही अपने राज्य से बाहर बड़े फलक पर अपनी कला को प्रदर्शित करने का अवसर ढूंढता रहा हूँ। वर्ष 1985-86 में शिल्प कला परिषद्, पटना का ग्रुप शो लेकर बिरेश्वर भट्टाचार्जी के साथ मैं भी लखनऊ गया था।प्रदर्शनी के दौरान रीजनल कला केंद्र, लखनऊ आर्ट कॉलेज तथा एस. सी.ई.आर. टी, लखनऊ के स्थानीय कलाकारों से मिलने का मौका मिला। अखिलेश निगम जी से उसी दौर में पहली मुलाकात हुई थी।

1988 में मैं ललित कला अकादेमी,नई दिल्ली के जनरल कॉउंसिल का जब मेंबर बना तो उसी दौर में निगम जी भी इसके सदस्य थे, तबसे लगातार हमारी मुलाकातों का यह सिलसिला चलता चला आ रहा है। इस बीच जब मुझे क्षेत्रीय ललित कला केंद्र, लखनऊ के सलाहकार समिति के सदस्य बनने का मौका मिला, तब विभिन्न बैठकों के सिलसिले में अखिलेश भाई से मिलना जुलना होता रहा। उस दौर में यह स्थान लखनऊ के समकालीन कला आंदोलन का नया केंद्र बन चूका था। उसी ज़माने में अखिलेश निगम केंद्र के क्षेत्रीय सचिव भी थे। केंद्र के विकास के काम तेजी से चल रहे थे।

अखिलेश निगम एक कुशल प्रशासक, वक्ता,कला लेखक,चित्रकार को नजदीक से देखा,जाना।इनकी उस ज़माने में काम करने की ऊर्जा देखते ही बनती थी। कला में इन्होंने अपनी शैली विकसित की थी जिसे इन्होने प्रिण्टाज नाम दिया था। जब कभी भी मिलना हुआ हँसमुख मिज़ाज़ और खुले दिल से लोगों से मिलते थे।

री यूनियन आइलैंड अंतर्राष्ट्रीय शो के यह ललित कला अकादमी,नई दिल्ली के कमिश्नर थे। उस प्रदर्शनी में अखिलेश निगम, अनीस फारूकी, देवेन सेठ, बी.पी. काम्बोज तथा मेरी तस्बीरें भी थी।अखिलेश जी के साथ जुड़ने का यह एक और सुअवसर मेरे लिए था।

भाई अखिलेश निगम जी का जन्मदिन आज 24 दिसंबर को है। मैं इनकी लंबी उम्र एवं उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूँ। हार्दिक बधाई देता हूँ। इनके अनुभव का लाभ और मार्गदर्शन हमें तथा युवा पीढ़ी को मिलता रहे इसकी भी कामना करता हूँ ।

-अनिल कुमार सिन्हा
वरिष्ठ कलाकार

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