“मुझे लगता है कि मेरी तकनीक एक ऐसी तकनीक है जो हमेशा विकसित होने की प्रक्रिया में रहता है। आप वस्तुओं का जब पुनर्चक्रण (रीसायकल) करते हैं, तो आप उन्हें पुन: उत्पन्न करते हैं और उन्हें एक नया जीवन देते हैं।”
कला की सहज प्रकृति तो सहेजना ही माना जाता है, किन्तु क्या बिखेरने को भी कला का दर्ज़ा दिया जा सकता है ? इस तरह के सवाल किसी के भी मन में आ सकते हैं, और ऐसे में सामान्य तौर पर ज्यादातर लोगों का जवाब होगा नहीं। क्योंकि भला बिखेर देना कलात्मक कार्य क्यों और कैसे माना जा सकता है। किन्तु लगभग उलटबांसी सी लगने वाली इस बात को सच साबित कर रखा है एक कलाकार ने। वर्ष 1967 में मेक्सिको सिटी में जन्मे डेमियन ओर्टेगा एक मैक्सिकन कलाकार है, जो “कॉस्मिक थिंग” जैसे अपने संस्थापनों (इंस्टालेशन) के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। इस श्रृंखला के तहत जिस संस्थापन के लिए सबसे पहले उनको चर्चा मिली उसमें उन्होंने एक पूरी वीडब्ल्यू बीटल कार को नष्ट कर दिया और इसे टुकड़ों में बांटकर संयोजित किया, और फिर उसकी तस्वीरें ली एवं उसे फिल्माया भी। ओर्टेगा 2006 से बर्लिन में रहते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने संस्थापनों (इंस्टालेशन) को प्रदर्शित करते रहते हैं।

यूं तो एक कलाकार के तौर पर उनके जीवन की शुरुआत तब ही हो जाती है जब 16 साल की उम्र में अपने माता-पिता का घर छोड़कर विभिन्न मूर्तिकारों और कार्टूनिस्टों से प्रशिक्षण लेना आरम्भ किया। इस दौरान अपना खर्च चलाने के लिए उन्हें नौकरियां भी करनी पड़ीं। उस दौरान वह लिस्बन और रियो डी जनेरियो के साथ-साथ अपने गृहनगर मेक्सिको सिटी में भी रहते थे। हालाँकि देखा जाये तो उन्होंने एक राजनीतिक कार्टूनिस्ट के रूप में अपना कलात्मक करियर का आगाज किया। लेकिन उसी दौरान मूर्तियां, इंस्टालेशन और वीडियो बनाकर अपना सृजनात्मक प्रयोग भी करते रहे। मैक्सिकन कलाकार डिएगो रिवेरा का अपने ऊपर प्रभाव वे सहर्ष स्वीकारते हैं। अपने सृजनात्मक संस्थापनों के लिए सामग्री के तौर पर, उन्होंने मुख्य रूप से मूर्त रोजमर्रा की वस्तुओं जैसे उपकरण, गोल्फ की गेंद, ईंट या टॉर्टिला का उपयोग किया। उनका अंतर्राष्ट्रीय करियर 1998 के आसपास उनकी पहली एकल और समूह प्रदर्शनियों के साथ शुरू हुआ। उन्होंने 2002 में फिलाडेल्फिया के समकालीन कला संस्थान में और उसी वर्ष 50वें बिनाले डि वेनेज़िया में अपनी कलाकृतियां प्रदर्शित की, जहां उन्होंने आर्सेनल में अपना काम “कॉस्मिक थिंग ” प्रदर्शित किया।
देखा जाये तो अपनी तीक्ष्ण बुद्धि और हास्य-व्यंग्य के मेल से डेमियन ओर्टेगा हमारे आसपास की परिचित वस्तुओं को कलात्मक परिदृश्यों (लैंडस्केप) में बदल डालते हैं। ओर्टेगा की कलाकृतियां अपने विस्तार में आणविक से ब्रह्मांडीय तक होती हैं। उनकी कला को लेकर कला समीक्षक गाय ब्रेट कहते हैं- “ओर्टेगा ब्रह्मांड को आकस्मिकता के साथ जोड़ते हैं, भौतिक विज्ञान की अवधारणाओं को मानवीय अंतःक्रियाओं पर लागू करते हैं, जहां अराजकता, दुर्घटनाएं और अस्थिरता एक प्रवाहमान प्रक्रिया (सिस्टम ) में बदल जाती हैं।” पहले ड्राइंग के माध्यम से वे अपनी परियोजनाओं की कल्पना करते हैं और फिर उसे मूर्तिकला, स्थापना (इंस्टालेशन), प्रदर्शन, फिल्म और फोटोग्राफी के समन्वय से कलाकृति का रूप देते हैं । देखा जाये तो ओर्टेगा के लिए, कला का काम हमेशा एक क्रिया है: एक घटना। उनके प्रयोगों में रोजमर्रा के प्रयोग की साधारण वस्तुएं देखने के एक अनूठे अनुभव में बदल जाती हैं। जिसके पीछे की मुख्य वजह बनती है प्रस्तुति का उनका नायब तरीका ।
एक राजनीतिक कार्टूनिस्ट के रूप में अपना करियर शुरू करनेवाले डेमियन ओर्टेगा की ज़िन्दगी में यह बदलाव तब आता है जब 1987 से 1992 तक के लिए गेब्रियल ओरोज्को की कार्यशाला टॉलर डी लॉस विएर्न्स में शामिल होते हैं। इसके बाद 2005 में उन्हें ह्यूगो बॉस पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया और 2007 में प्रीस डेर नेशनलगैलरी फर जंग कुन्स्ट के लिए नामांकित किया गया था। इसी तरह 2014 में उन्होंने स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन से स्मिथसोनियन आर्टिस्ट रिसर्च फेलोशिप प्राप्त की और 2006 में उन्होंने बर्लिन में ड्यूशर एकेडेमिशर ऑस्टॉश डिएनस्ट (डीएएडी) में एक कलात्मक रेजीडेंसी में भाग लिया ।
जब ओर्टेगा ने वोक्सवैगन बीटल को लेकर अपना इंस्टालेशन किया तब कई तरह की प्रतिक्रियाएं भी सामने आयीं। मसलन यह भी कहा गया कि-” एक कलाकार और एक कार मैकेनिक में क्या अंतर है? लेकिन जिन्होंने समझना चाहा उनके लिए इसका एक गंभीर पक्ष भी है जो बीटल की स्थिति को वहां यानी मेक्सिको में “लोगों की कार” समझी जानेवाली इस कार के उत्पादन और खपत के इतिहास से जोड़कर देखते हैं। कार के साथ उपलब्ध पुस्तिका के डायग्राम को देख देख कर ओर्टेगा ने वाहन को अलग किया और उसके हिस्सों को छत से लटका दिया। और इस तरह से इसे एक प्रकार के अनुष्ठानिक बलिदान में बदल दिया। यहाँ यह कहा जा सकता है कि “कॉस्मिक थिंग” ओर्टेगा के नज़रिये का केंद्रबिंदु है, जिसका सन्देश है “डू इट योरसेल्फ”।
-सुमन कुमार सिंह