कला एवं शिल्प महाविद्यालय, आरा (बिहार) से पेंटिंग विषय में कला स्नातक भुनेश्वर भास्कर चर्चित कलाकार एवं कला लेखक हैं। वर्ष 1969 में बिहार के रोहतास जिले के डेढ़गांव में जन्मे भुनेश्वर कलाकार व कला लेखक के तौर पर लगभग तीन दशक से सक्रिय हैं। देश के विभिन्न शहरों में आयोजित दर्जनों अखिल भारतीय कला प्रदर्शनियों में अपनी भागीदारी के साथ-साथ पुरस्कृत हो चुके इस कलाकार को, कला लेखन के लिए बिहार सरकार द्वारा दिनकर पुरस्कार (युवा) से भी सम्मानित होने का गौरव प्राप्त है। आपको मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कला में स्कॉलरशिप भी प्रदान किया गया है। लेखकीय उपलब्धि की बात करें तो प्रकाशन विभाग, भारत सरकार द्वारा “कला संवाद” तथा “भोजपुरी लोक-संस्कृति और परंपराएं” शीर्षक दो पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। इनमें से “कला संवाद” जहां देश के नामचीन कलाकारों से लेखक द्वारा लिए गए साक्षात्कार का संकलन है, वहीं “भोजपुरी लोक संस्कृति एवं परंपराएं” भोजपुर अंचल के लोकजीवन का दस्तावेज है। वर्ष 1998 से नियमित तौर पर लोक जीवन, लोक-कला एवं समकालीन भारतीय कला विषयक आलेख लिखते रहे हैं। यहाँ प्रस्तुत है चित्रकार दिलीप शर्मा की कला यात्रा पर केंद्रित भुनेश्वर भास्कर का यह आलेख..
Bhuneshwar Bhaskar
मां का पल्लू पकड़े उनके साथ मंदिरों-देवालयों में आने-जाने के क्रम में कई तरह की मूर्तियों एवं उनकी बनावट, साज-सज्जा से प्रभावित होकर रचनाकार बनने की उत्सुकता लिए खूब दीवाल एवं ज़मीन पर चित्रण। बार-बार मिट्टी के लेंदों से किसी आकृति, आकार का निर्माण। मन की संतुष्टि नहीं होने के कारण बार-बार चित्र सृजन। एक समय अंतराल के बाद मन मस्तिष्क में बनते स्वरूपों को उभारने या प्रस्तुत करने के उद्देश्य से कला महाविद्यालय, दरभंगा से कला की विधिवत शिक्षा प्राप्त करने वाले दिलीप कुमार शर्मा का 20 मार्च 1977 को बिहार में मुजफ्फरपुर के तारसन गांव में जन्म ।
पौराणिक कथा-कहानियों पर गंभीर चिंतन मनन के बाद एक सत्य को ढूंढते हुए दिलीप शर्मा ने लंबी चित्र श्रृंखला बनायी है जिसमें कुछ मूर्तता है तो कुछ अर्धमूर्तता। आकार हमे शून्य की ओर ले जाएंगे तो रंग माहौल का निर्माण करेंगे। ये कलाकृतियां बहुत ही कलात्मक एवं कल्पनाशील हैं। इसके साथ ही काली, सरस्वती, दुर्गा आदि पर कई कलाकृतियों का सृजन। स्त्री विषय पर लंबी चित्र श्रृंखला। जिसमें पौराणिक कथाओं में वर्णित महिलाओं से शुरू होकर आधुनिक समय की स्त्री की रूप-रेखा एवं कथा-कहानी है।
श्राप : श्राप का मतलब-मुंह से निकले दो- चार शब्द … दो वाक्य … लेकिन उससे पड़ने वाले प्रभाव के कारण क्या से क्या हो जाता है । धार्मिक-पौराणिक कथाओं के साथ ही लोक कथा-कहानियों में भी श्राप से संबंधित तथ्य मिल जाएंगे । मानव-सृष्टि के साथ शुरू हुआ श्राप विभिन्न रूपों में आज भी विद्यमान है। इस संदर्भ में दिलीप शर्मा का कहना है कि श्राप और आशीर्वाद दोनों साथ-साथ होते हैं लेकिन काल या समय महत्वपूर्ण होता है …… वह तय करता श्राप या आशीर्वाद। काल बदलता रहता है .. । इस विषय पर काफी अध्ययन के पश्चात कई तथ्यों – संदर्भों पर कलात्मक तरीके से चित्रों का सृजन ।
ऐसे विषयों पर निरंतर चित्र सृजन करने वाले दिलीप की इन कलाकृतियों की एकल, सामूहिक, अखिल भारतीय कला प्रदर्शनी के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में प्रदर्शन हो चुका है। ‘ स्प्रिचुअल्स जर्नी ‘ विषय पर विशेष शोध कार्य के लिए मानव संसाधन विकास विभाग, भारत सरकार द्वारा जूनियर फेलोशिप प्रदत्त। कई संस्थानों द्वारा सम्मान एवं पुरस्कार। इसके साथ ही दिलीप एक अच्छे आयोजक भी हैं । इन्होंने मुजफ्फरपुर, नई दिल्ली के साथ ही देश के विभिन्न शहरों में कई चित्र – प्रदर्शनियों का आयोजन किया है जिसकी काफी चर्चा हुई है। फिलहाल दिल्ली में रहकर चित्र सृजन के साथ-साथ ग्रेंस ऑफ कैनवस नई दिल्ली व विमला आर्ट फोरम, गुरुग्राम के अध्यक्ष एवं कला शिक्षक ।
– भुनेश्वर भास्कर
चित्रकार एवं कला लेखक
दिल्ली
मोब . 08130181461