“मैं वैचारिक कला की विरोधी नहीं हूं। लेकिन मुझे नहीं लगता कि पेंटिंग को बिल्कुल हूबहू किया जाना चाहिए। कला जीवन को दर्शाती है, और हमारा जीवन एल्गोरिदम (गुणा-गणित) से भरा है, इसलिए बहुत से लोग कला को एक एल्गोरिदम (गुणा-गणित) की तरह बनाना चाहते हैं। लेकिन मेरी भाषा पेंटिंग है, और पेंटिंग इसके विपरीत है। इसके बारे में कुछ मौलिक है। यह जन्मजात है, बस इसे चिन्हित करने की जरूरत है। इसलिए, जब आप बच्चे होते हैं, तो आप स्क्रिबल करते हैं।”
“सुंदरता के बारे में एक बात है। सुंदरता हमेशा पुरुष कल्पना से जुड़ी होती है कि महिला का शरीर क्या है। मुझे नहीं लगता कि सुंदरता में कुछ भी गलत है। महिलाओं को जो सुंदर लगता है, वह इससे अलग हो सकता है। अलग अलग व्यक्ति के नज़रिये से यह अलग अलग हो सकती है। यदि कोई मस्सा या निशान है, तो वह भी सुंदर हो सकता है, एक मायने में, जब आप इसे पेंट करते हैं।”
“मैं चाहती हूं कि लोग जानें कि वे क्या देख रहे हैं। लेकिन साथ ही, जैसे जैसे वे पेंटिंग के करीब आते हैं, यह बचपन में वापस जाने जैसा होता है। और तब यह एक अमूर्त टुकड़े की तरह हो जाता है.. यह सिर्फ एक बौद्धिक परिदृश्य के बजाय ब्रश के निशान का परिदृश्य बन जाता है।”
आमतौर पर कलाकार को सौंदर्य का उपासक माना जाता है। अधिकतर कलाकार और कला चिंतक इसे सहर्ष स्वीकारते भी हैं, लेकिन क्या ऐसा भी हो सकता है कि कोई कलाकार स्वयं यह घोषित करे कि “मुझे मुझे चीजों का निम्न और गंदा पक्ष पसंद है”। वैश्विक स्तर पर आकृति मूलक चित्रों खासकर विशाल फलक पर महिलाओं के नग्न चित्रण के लिए जाने जानेवाली जेनिफर ऐनी सैविल (जन्म 7 मई 1970) एक समकालीन ब्रिटिश चित्रकार हैं। अपनी कलाकृतियों में नग्न महिलाओं के चित्रण के लिए भी वे जानी जाती हैं। सैविल को समकालीन कला में महिला के नग्न चित्रण की चुनौती को स्वीकारने का श्रेय भी दिया जाता है। विदित हो कि हमारे समाज में नग्नता या न्यूडिटी को लेकर बहस आदिकाल से अपनी निरंतरता के साथ जारी है। जेनी सैविल का जन्म 7 मई 1970 को कैम्ब्रिज में हुआ था। उसके माता-पिता, दोनों स्कूली शिक्षा से जुड़े थे, उनके पिता ने एक स्कूल प्रशासक के रूप में अपना करियर बनाया। इसकी वजह से बचपन एक स्कूल से दूसरे स्कूल के सफर में बीता और उन्होंने नेवार्क, नॉटिंघमशायर के माध्यमिक विद्यालय से अपनी माध्यमिक शिक्षा पायी। सैविल के माता-पिता ने बचपन से ही उसे स्वतंत्र रूप से सोचने और काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। पहली बार आठ साल की उम्र में सैविल पेंटिंग की ओर आकर्षित हुई थीं। माँ ने उसकी इस प्रतिभा को जल्दी पहचान लिया और घर के एक कमरे स्टूडियो का स्वरुप दे दिया। अपने चाचा पॉल सैविल, जो कलाकार, कला इतिहासकार एवं क्लेयर कॉलेज में लिबरल आर्ट्स के पूर्व प्रमुख थे, से सैविल अत्यधिक प्रभावित रहीं । जिन्होंने उसे ओल्ड मास्टर्स के साथ-साथ आधुनिक कलाकारों की कलाकृतियों को जानने समझने के लिए उन्हें संग्रहालयों का भ्रमण कराया, इतना ही नहीं वे उसे लेकिन हॉलैंड और इटली भी ले गए। उनके चाचा ने ही बाद में उन्हें ग्लासगो स्कूल ऑफ आर्ट में कला की डिग्री हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया।
सैविल ने 1980 के दशक के अंत में ग्लासगो स्कूल ऑफ़ आर्ट में अध्ययन प्रारम्भ किया, और 1992 में स्नातक किया। अपने इस स्कूल के अनुभवों को लेकर उनका कहना था “हर दिन आप उन पगचिन्हों पर चलते हैं जो अंततः आपको एक कलाकार बना देता है ।” अपनी पढ़ाई के दौरान अपने स्टूडियो का खर्च जुटाने के लिए उन्होंने वेट्रेस के रूप में काम भी किया ताकि उनकी पेंटिंग का सिलसिला चलता रहे। ग्लासगो स्कूल ऑफ आर्ट की पढ़ाई के दौरान उन्हें सिनसिनाटी विश्वविद्यालय, संयुक्त राज्य अमेरिका में अध्ययन करने के लिए छह महीने की यात्रा छात्रवृत्ति भी मिली थी। सैविल कहती हैं कि वहां बड़ी आकार की महिलाओं को शॉर्ट्स और टी-शर्ट में देखकर, जो अनुभव हुआ उसे अपने शुरुआती चित्रों में केंद्रित किया। ग्लासगो स्कूल ऑफ आर्ट में अपने अंतिम वर्ष के दौरान उन्हें सफलता मिली और 1992 की गर्मियों में उनकी अंतिम स्नातक प्रदर्शनी से पहले उन्हें नेशनल पोर्ट्रेट गैलरी द्वारा दो बार चुना गया। यह एक दुर्लभ उपलब्धि थी जहाँ उनकी अधिकांश पेंटिंग बिक गयी और सितंबर 1992 में टाइम्स सैटरडे रिव्यू के कवर पर जगह बनायीं। यह कवर कला संग्रहकर्ता और विज्ञापन कार्यकारी चार्ल्स साची के ध्यान में आया, जिन्होंने उन्हें अगले अठारह महीनों तक पेंट करने के लिए एक अनुबंध की पेशकश की। जिसके तहत उस दौरान उनके द्वारा निर्मित किसी भी पेंटिंग को खरीदने और प्रदर्शित करने का अधिकार चार्ल्स के पास आ गया। इस सुविधा से उन्हें बड़े पैमाने पर आयल पेंटिंग बनाने के क्रम में आनेवाली वित्तीय बाधाओं से मुक्त कर दिया।
सैविल को 1994 में एक बार फिर संयुक्त राज्य अमेरिका जाने का अवसर मिला। इस दौर में प्लास्टिक सर्जरी का चलन बढ़ रहा था, इस विधा या चलन से आकर्षित होकर उन्होंने न्यूयॉर्क के एक प्लास्टिक सर्जन के कार्यालय में जाकर सर्जरी की प्रक्रिया को देखना शुरू किया।
इसी दौरान डेमियन हर्स्ट, ट्रेसी एमिन और सारा लुकास जैसे समकालीनों के साथ, जेनी सैविल की कलाकृतियों को भी साची गैलरी में 1994 के “यंग ब्रिटिश आर्टिस्ट III” प्रदर्शनी में और लंदन में रॉयल एकेडमी ऑफ आर्ट में 1997 की “सेंसेशन” शीर्षक प्रदर्शनी में शामिल किया गया था। या सभी कलाकृतियां साची के संग्रह से ली गयीं थी। इन प्रदर्शनियों की यूके में बहुत सराहना की गई, किन्तु “सेंसेशन” को 1999 में जब ब्रुकलिन संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया तब कुछ विवाद भी सामने आया। हालाँकि उन्हें इन महत्वपूर्ण प्रदर्शनियों में शामिल किया गया था, किन्तु सैविल ने कभी भी खुद को युवा ब्रिटिश कलाकारों का हिस्सा नहीं माना।
ज्यादातर समय यूके में रहने और काम करने के बावजूद, जेनी सैविल ने न्यूयॉर्क में अपना काम सबसे अधिक बार प्रदर्शित किया है। उनका मानना है कि वह विलेम डी कूनिंग और साइ ट्वॉम्बली जैसे अमेरिकी चित्रकारों के प्रति अधिक आत्मीयता महसूस करती है, क्योंकि वह अपने ब्रिटिश समकालीनों जैसे डेमियन हर्स्ट, ट्रेसी एमिन, या रेचेल व्हाइटरेड से अपेक्षाकृत अधिक वैचारिक चित्रण करती है। वह यह भी स्वीकारती हैं कि “वहां यानि संयुक्त राज्य अमेरिका में एक चित्रकार होने के बारे में कम अपराधबोध है।”
2003 में सैविल सिसिली की यात्रा से लंदन लौटते हुए इटली के पलेर्मो में रुक गयी। उसे इस शहर से प्यार हो गया और बाद में वह वहीं चली गई। वह इस शहर में दृष्टिगत विभिन्न सभ्यताओं के समावेश के प्रति आकर्षित थी। उसने 18वीं सदी के एक जीर्ण-शीर्ण पलाज़ो में एक अपार्टमेंट खरीदा, जिसे वह स्टूडियो और रहने की जगह के रूप में उपयोग में लाती थी। हम पाते हैं कि यहाँ की ऐतिहासिक विविधता ने उनके चित्रों में अपनी जगह बना ली है,जहाँ स्मृति, समय और अनुभव एक दूसरे में समा जाते हैं और रिसते रहते हैं।
वर्ष 2014 में सैविल सिसिली को छोड़ ऑक्सफोर्ड चली आयी, जहां वह वर्तमान में अपने पति पॉल मैकफेल और उनके दो बच्चों के साथ रहती है। बच्चों के होने से उनके काम करने का तरीका बदल गया, और सैविल अपने बच्चों के पेंटिंग पर पड़ने वाले गहरे प्रभाव के बारे में बात करती हैं। पेंटिंग और ड्राइंग के प्रति उनके बेहिचक दृष्टिकोण ने उनके लिए नई संभावनाओं के द्वार को खोल दिया, जिससे वह विषयों और विधियों के चुनाव में अधिक स्वतंत्र हो गई। यद्यपि चित्रों में ह्यूमन बॉडी का प्रतिनिधित्व बरक़रार रह, लेकिन मातृत्व, कला इतिहास और प्राचीन मिथक के नए संदर्भों भी इसमें शामिल होते गए। हालंकि वह आयल माध्यम साथ पेंट करना जारी रखती है, लेकिन चारकोल और पेस्टल में ड्राइंग को भी शामिल किया है ।
हाल के वर्षों में, उनकी कलाकृतियों में कुछ नए तत्वों का समावेश हुआ है, और चारकोल में बड़े पैमाने पर चित्रों की एक श्रृंखला बन गई है जो कला इतिहास का प्रत्यक्ष संदर्भ देती है। उन्हें ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में एशमोलियन संग्रहालय द्वारा उनकी 2015 की प्रदर्शनी टिटियन टू कैनालेटो: ड्रॉइंग इन वेनिस के जवाब में चित्रों की एक श्रृंखला के निर्माण के लिए कहा गया, साथ ही उसमें मूवमेंट और टाइम को व्यक्त करने के लिए ड्राइंग का उपयोग करने की अनुमति दी थी। विदित हो कि इससे पहले के उनके चित्रों में स्थिर मुद्रा का अंकन रहता था। उसी वर्ष, 2015 में, उन्हें रॉयल अकादमी की ब्लॉकबस्टर प्रदर्शनी “रूबेन्स एंड हिज़ लिगेसी” एवं ” वैन डाइक टू सेज़ेन” के लिए विशेष कक्ष बनाने के लिए भी कहा गया था। अन्य ब्रिटिश कलाकारों, सेसिली ब्राउन और सारा लुकास की कलाकृतियों के साथ इस कक्ष में वे कलाकार भी शामिल थे, जिन्हें वह प्रभाव के रूप में उद्धृत करती हैं, जिसमें पाब्लो पिकासो, विलेम डी कूनिंग और फ्रांसिस बेकन शामिल हैं, साथ ही उनकी अपनी यादगार कलाकृति “वॉयस ऑफ द शटल” भी ।
-सुमन कुमार सिंह