कारा वॉकर : नस्लवाद व लैंगिक असमानता विरोधी आवाज

दुनिया में ऐसा कोई डिप्लोमा नहीं है जो आपको एक कलाकार के रूप में घोषित करता हो – यह डॉक्टर बनने जैसा नहीं है। आप अपने आप को कलाकार घोषित कर सकते हैं और फिर आपको इस बात के पीछे लग जाना होगा कि कलाकार कैसे बनें।

मुझे ऐसी कलाकृति बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है जिसमें भावना न हो।

मुझे लगता है कि वास्तव में नस्लवाद और इस देश में इसकी निरंतरता के साथ समस्या यह है कि हम इसे प्यार करते हैं। अंततः इससे मुक्ति के लिए हमें ही ‘संघर्ष’ करना होगा।

मैं उन कहानियों से रोमांचित हूं जो हम सुनते-सुनाते आये हैं। ऐसे में वास्तविक इतिहास भी कल्पनाएं, परियों की कहानियां, नैतिकता की कहानियां और दंतकथाएं बन जाती हैं। कहानी कभी-कभी इतिहास की सच्चाई को दिलचस्प, मज़ेदार और विकृत भी बना देती है।

वास्तव में एक कर्तव्यनिष्ठ कलाकार होने के लिए, आपको यह देखना होगा कि क्या नहीं हो रहा है और जो नहीं हो रहा है उसे चुनौती समझें। सिर्फ यह नहीं कि आप चीजों पर फिदा हों।

कारा वॉकर (जन्म 26 नवंबर, 1969) एक समकालीन अफ्रीकी-अमेरिकी कलाकार हैं, जिन्हें अपनी कलाकृतियों में पूरे अमेरिकी इतिहास के नस्ल, रूढ़ियों, लिंग और पहचान से जुड़ी समस्यायों व विद्रूपताओं को चिन्हित करने के लिए जाना जाता है। वह काले और सफेद ग्रामीण परिवेश के बीच छायात्मक कोलाज वाली बड़ी बड़ी झांकियों के लिए जानी जाती हैं। उनके इन छायात्मक आकृतियों में गुलामी से जुड़ी क्रूरता और दुखों की दास्ताँ होती हैं। “मैं पूरी तरह से निष्क्रिय दर्शक नहीं चाहती थी। कला मेरे लिए बहुत मायने रखती है। किसी चीज़ को पूरी स्पष्टता से व्यक्त करने में सक्षम होना वास्तव में एक महत्वपूर्ण बात है।” वे आगे कहती हैं – “मैं ऐसा काम करना चाहती थी, दर्शक जिससे दूरी न बनाये; वह उससे जुड़े और इतिहास की सच्चाईयों को स्वीकारे। 26 नवंबर1969 को स्टॉकटन, कैलिफोर्निया में जन्मी करा वॉकर ने 1991 में अटलांटा कॉलेज ऑफ़ आर्ट से बैचलर ऑफ़ फाइन आर्ट और तीन साल बाद रोड आइलैंड स्कूल ऑफ़ डिज़ाइन से पेंटिंग और प्रिंटमेकिंग में मास्टर ऑफ़ फाइन आर्ट किया। कॉलेज के दिनों में ही वॉकर मैकआर्थर फैलोशिप के सबसे कम उम्र के प्राप्तकर्ताओं में से एक बन चुकी थी। लोर्ना सिम्पसन और एड्रियन पाइपर से प्रभावित, वाकर नारीवाद और सुंदरता के आदर्शों से जुड़ाव बनाये रखती हैं। उनकी चर्चित कलाकृति “मार्वलस शुगर बेबी” (2014) ने उन्हें वैश्विक प्रतिष्ठा दिलाने में अहम् भूमिका निभाई। इस कलाकृति में एक अश्वेत महिला को ब्रुकलिन के चीनी कारखाना में स्फिंक्स के रूप में दर्शाया गया। वर्तमान में वह न्यूयॉर्क में रहकर सृजनरत हैं। उनकी कलाकृतियां न्यूयॉर्क में “द म्यूज़ियम ऑफ़ मॉडर्न आर्ट”, लंदन में “टेट गैलरी”, वाशिंगटन, डीसी में “नेशनल गैलरी” और मिनियापोलिस में “वॉकर आर्ट सेंटर” के संग्रह में संग्रहित हैं।

वाकर को पेपर-कट सिल्हूट (छायात्मक आकृतियों ) के लिए सबसे अच्छी तरह से जाना जाता है, जिसमें आमतौर पर एक सफेद दीवार पर काली आकृतियों के संयोजन से अमेरिकी दासता और नस्लवाद के इतिहास को दर्शाती हैं। अपनी कलाकृतियों में वॉकर वॉटरकलर, वीडियो एनीमेशन, छाया कठपुतली के समन्वय से बड़े पैमाने पर मूर्तिकला संस्थापनों का निर्माण करती हैं। काले और सफेद छायाकृति यहाँ इतिहास की वास्तविकताओं को उजागर करती हैं, जबकि दासता के युग की रूढ़ियों को आधुनिक जीवन की चिंताओं से जोड़ते हैं। अमेरिकी नस्लवाद के जड़ों को दर्शाने के उनके इस प्रयास को नस्ल और लिंगभेद जैसे मामलों में अन्य देशों और संस्कृतियों पर भी लागू किया जा सकता है। यह सब दरअसल हमें इस तरह के भेदभाव के विरोध को दर्शाने के लिए कला की शक्ति का अहसास भी कराता है।

पहली बार 1994 में अपने म्यूरल “गॉन, एन हिस्टोरिकल रोमांस ऑफ़ ए सिविल वॉर एज इट ऑकर्ड बिटवीन द डस्की थाईज ऑफ़ वन यंग नेग्रेस्स एंड हर हार्ट” के जरिये उन्होंने कला जगत में अपनी उपस्थिति जताई। वास्तव में यह म्यूरल सेक्स और दासता की त्रासदी को व्याख्यायित कर रहा था।

दरअसल वॉकर की ये छवियां विशेष रूप से अफ्रीकी-अमेरिकी महिलाओं के पहचान और लिंग के मुद्दों को उठाती हैं। हालांकि, विषय के प्रति अपने इस संघर्षपूर्ण दृष्टिकोण के कारण, वॉकर की कलाकृति 1960 के दशक के एंडी वारहोल के पॉप आर्ट की याद दिलाती है। वैसे वॉकर बचपन से वारहोल की रचना शैली से प्रभावित महसूस करती रहीं हैं। वॉकर ऐतिहासिक पाठ्यपुस्तकों से छवियों का उपयोग यह दिखाने के लिए करती हैं कि “एंटेबेलम साउथ” (अमरीकी इतिहास का अठ्ठारहवीं सदी का एक दौर) के दौरान गुलाम अफ्रीकी-अमेरिकियों को कैसे चित्रित किया जाता था। सिल्हूट या छायाकृति आमतौर पर अमेरिकी कला इतिहास में एक सभ्य परंपरा थी; इसका उपयोग अक्सर पारिवारिक तस्वीरों और पुस्तक चित्रण के लिए किया जाता था। वॉकर ने इस चित्र परंपरा को आगे तो बढ़ाया लेकिन उन्हें बीते हुए बुरे सपने की दुनिया के चरित्रों को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया। एक ऐसी दुनिया जो अमेरिकी नस्लवाद और असमानता की क्रूरता की कहानियों को हमारे सामने लाती है।

-सुमन कुमार सिंह

–चित्र सौजन्य गूगल

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