ब्रिटिश मूर्तिकार सर एंटनी मार्क डेविड गोर्मली

आर्डर ऑफ़ द ब्रिटिश एम्पायर जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित सर एंटनी मार्क डेविड गोर्मली, (जन्म 30 अगस्त 1950), एक ब्रिटिश मूर्तिकार हैं। उनकी प्रसिद्द कृतियों में इंग्लैंड के उत्तर में गेट्सहेड में फरवरी 1998 में स्थापित “एन्जिल ऑफ़ द नॉर्थ”, ” इवेंट होराइजन” शीर्षक मल्टी-पार्ट साइट इंस्टालेशन जिसे 2007 में लंदन में, 2010 में न्यूयॉर्क शहर के मैडिसन स्क्वायर के पास, ब्राज़ील के साओ पाउलो, ब्राज़ील में 2012 में तथा हांगकांग में 2015-16 में प्रदर्शित किया गया था। ब्रिटेन में उनकी प्रतिष्ठा को इस बात से समझा जा सकता है कि वर्ष 2008 में “द डेली टेलीग्राफ” ने उन्हें “ब्रिटिश संस्कृति के 100 सबसे शक्तिशाली लोगों” की सूची में नंबर 4 पर रखा।
एक जर्मन मां और आयरिश मूल के पिता से पैदा हुए सात बच्चों में गोर्मली सबसे छोटे थे। उनके दादा डेरी के एक आयरिश कैथोलिक थे जो स्टैफ़र्डशायर के वॉल्सॉल में बस गए थे। उन्होंने 1968 से 1971 तक ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में पुरातत्व, नृविज्ञान और कला के इतिहास को पढ़ने से पहले, गोर्मली यॉर्कशायर के बेनेडिक्टिन बोर्डिंग स्कूल “एम्पलफोर्थ कॉलेज” में दाखिला लिया। 1971 -1974 के आसपास बौद्ध धर्म के बारे में अधिक जानने के लिए उन्होंने भारत और सीलोन / श्रीलंका की यात्रा की। 1974 में ही लंदन के सेंट मार्टिन स्कूल ऑफ आर्ट एंड गोल्डस्मिथ्स में पढ़ाई के बाद, उन्होंने 1977 और 1979 के बीच स्लेड स्कूल ऑफ फाइन आर्ट, यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन में मूर्तिकला में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के साथ अपनी पढ़ाई पूरी की।
स्लेड में रहते हुए ही उनकी मुलाकात विकेन पार्सन्स से हुई, जो पहले तो उनकी सहायिका और बाद में 1980 उनकी पत्नी बनी। विकेन स्वयं एक स्थापित और सफल कलाकार हैं। गोर्मली ने अपनी ज़िन्दगी में अपनी पत्नी के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा था : “पहले 15 वर्षों तक वह मेरी प्राथमिक सहायिका रहीं। उसने मेरे मूर्तिशिल्पों की ढलाई की ज़िम्मेदारी कुशलता पूर्वक संभालने का काम किया… मुझे लगता है कि बहुत सारे मिथक हैं जैसे कलाकृतियां आमतौर पर अकेले पुरुषों द्वारा ही बनाई जाती है… लेकिन मैं अपने आपको वास्तव में भाग्यशाली और धन्य महसूस मानता हूँ कि मेरे पास इतनी मजबूत समर्थक, प्रेमी और साथी कलाकार है।”
एक मूर्तिकार के तौर पर गोर्मली का करियर 1981 में व्हाइटचैपल आर्ट गैलरी में एक एकल प्रदर्शनी के साथ शुरू हुआ। उनकी सभी कलाकृतियों में मुख्य विषय के तौर पर मानव शरीर ही होता है, अपने मूर्तिशिल्पों में मानव शरीर के मोल्ड तैयार करने के लिए गोर्मली अपने को मॉडल के तौर पर उपयोग में लाते हैं। अपने सृजन पक्ष का वर्णन करते हुए गोर्मली ने कहा ” मैंने अपनी कलाकृतियों में उस स्थान को मूर्त रूप देने का प्रयास किया है जहाँ हम सभी रहते हैं।” जैसा की कहा जा चूका है कि उनके कई मूर्तिशिल्प उनके स्वयं के शरीर से लिए गए सांचों पर आधारित हैं, इसको लेकर उनका कहना है ” यह प्रक्रिया दरअसल उस पदार्थ का निकटतम अनुभव है जो मेरे पास कभी होगा और उस भौतिक दुनिया का एक ऐसा हिस्सा जिसके अंदर मैं रहता हूं।” अपनी कलाकृतियों में गोर्मली शरीर को एक वस्तु के रूप में नहीं बल्कि एक जगह के रूप में मानने का प्रयास करते हैं । इसलिए ऐसे शिल्प रचते हैं जो सभी मनुष्यों के लिए सामान्य स्थिति की पहचान करने के लिए किसी विशेष शरीर के स्थान को घेरता है। उनका सृजन कार्य प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि अनुक्रमिक है – यानि अपने समय में एक वास्तविक शरीर की वास्तविक घटना का एक प्रतीक।
2006 के सिडनी बिनाले में गोर्मली की कृति “एशियन फील्ड” को प्रदर्शित किया गया था, जिसमें 100 टन लाल मिट्टी से पांच दिनों में 350 चीनी ग्रामीणों द्वारा तैयार की गई 180,000 मिट्टी की छोटी-छोटी मूर्तियों से विशाल इंस्टालेशन रचा गया था। 30 सितंबर 2006 को एंटनी गोर्मली ने कबाड़ से तैयार किये गए “वेस्ट मैन” को मार्गेट के समुद्र तटीय शहर में हजारों दर्शकों के सामने जमीन पर जला दिया था। विदित हो कि फिल्म निर्माता पेनी वूलकॉक द्वारा बाइबिल में वर्णित चरित्र एक्सोडस की मिथकीय कहानी की पुनर्व्याख्या करते हुए एक फिल्म बनायीं थी जिसे वर्ष 2007 में चैनल 4 पर प्रसारित किया गया था।
इस शिल्प को तैयार करने के लिए फिल्म निर्माता समेत एक ऐसी टीम बनायीं गयी थी जिसमें कई अन्य विधाओं से जुड़े लोगों की भागीदारी थी। क्योंकि इस पांच मंजिला ऊंची इमारती लकड़ी की मूर्ति को संरचनात्मक रूप से मजबूत, सुरक्षित और निर्माण में व्यावहारिक होना था, और फिर बाद में इसे कलात्मक अंदाज़ में प्रज्वलित होकर जलना और ढहना था। इस पूरी प्रक्रिया को अपने यहाँ के रावण दहन से इसकी तुलना हम कर सकते हैं, जिसे एक विशेष कलात्मक अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया।
वर्ष 2007 में गोर्मली के “इवेंट होराइजन” शीर्षक संस्थापन, जिसमें उनके शरीर के 31 आदमकद और शारीरिक रूप से सही कास्ट शामिल थे, जिनमें चार धातु के और 27 फाइबरग्लास से बने थे , को लंदन के साउथ बैंक समेत अन्य प्रमुख इमारतों के शीर्ष पर स्थापित किया गया था। वर्ष 2010 में इसे मैडिसन स्क्वायर समेत न्यूयॉर्क शहर के आसपास के स्थानों में स्थापित किया गया था। उनके इस संस्थापन पर आलोचक हॉवर्ड हाले की टिप्पणी कबीले गौर है – “शहर के ताने-बाने के भीतर की दूरी और मानकों के बदलावों का उपयोग करते हुए यह ” इवेंट होराइजन” शहरी जीवन और उससे जुड़े विरोधाभासों के लिए एक ऐसा रूपक बनाता है – जिसमें अलगाव, महत्वाकांक्षा, गुमनामी और प्रसिद्धि भी शामिल है।”
-सुमन कुमार सिंह

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