विनम्र श्रद्धांजलि : वरिष्ठ कलाकार विष्णु दास

वरिष्ठ कलाकार एवं कला समीक्षक अखिलेश निगम जी ललित कला अकादेमी के सदस्य एवं राष्ट्रीय ललित कला केंद्र, लखनऊ के क्षेत्रीय सचिव रह चुके हैं। वरिष्ठ कलाकार विष्णु दास जी के निधन पर उनका यह श्रद्धा सुमन उनके फेसबुक वाल से सादर साभार प्रस्तुत है।

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(01 जनवरी 1944-16 जनवरी 2021)

वरिष्ठ कलाकार विष्णु दास का 16 जनवरी 2021 की रात हृदयगति रुक जाने से निधन हो गया। अभी पहली जनवरी को ही उन्होंने अपना 78 वां जन्मदिन मनाया था। विदित हो कि विष्णु दा देश के जाने-माने चित्रकार गोपाल घोष के प्रिय शिष्यों में थे। वहीं विख्यात कलाकार राम किंकर जी के भी वे निकट रहे।

वे ललित कला अकादमी, नई दिल्ली की महासभा और कार्यकारिणी के पिछली सदी में कोई 15 वर्षों तक सदस्य रहे। उनके सहयोग एवं सलाह से कला विकास के अनेक कार्य संपन्न हुए हैं। कलकत्ता (तब यही नाम था) स्थित अकादमी के क्षेत्रीय कला केन्द्र के वे क्षेत्रीय सचिव भी रहे। उन्होंने कलकत्ता के राजकीय कला एवं शिल्प विद्यालय से चित्रकला (1969) और मूर्तिकला (1971) में डिप्लोमा और कलकत्ता विश्वविद्यालय से ‘कला अभिरुचि’ का अध्ययन किया था परंतु अपने चित्रों की पहली एकल प्रदर्शनी उन्होंने वर्ष 1968 में ही कर डाली थी। अपने छात्र जीवन से ही कला के विकास और युवा कलकारों को प्रोत्साहित करने का काम वे करने लगे थे। जिसके चलते वे कलकत्ता के कैनवास आर्ट सर्किल और कलकत्ता आर्ट फेयर के संस्थापक सदस्यों में रहे। और कला लेखन का कार्य भी उन्होंने किया। पूर्वी बंगाल की ‘परिचय’ और ‘फोकलोर’ पत्रिकाएं इसका प्रमाण हैं।

लखनऊ में वर्ष 1990-91 में संपन्न 34वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में उनकी मिश्रित माध्यम की कृति ‘नेशनल इंटीग्रेशन’के लिए उन्हें पुरस्कृत और सम्मानित किया गया था। जिसके लिए वे सपत्नीक लखनऊ आये थे। इसके पहले भी अन्य पुरस्कारों के अलावा वर्ष 1978 की राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में उन्हें ‘प्रशंसनीय (कमेंडेबल) पुरस्कार’ से नवाजा जा चुका था। विष्णु दा न केवल एक कुशल चित्रकार, कला-लेखक, कला-प्रशासक और बाउल वादक थे वरन् एक संवेदनशील इंसान और मित्र भी थे। अपने अंतिम दिनों तक वे रचना-कर्म में लीन रहते रहे। क्षेत्रीय कला केन्द्र के स्टूडियो में जाकर ही वे काम करते थे।

वरिष्ठ कलाकार विष्णु दास की एक कलाकृति

मिदनापुर (पूर्वी बंगाल) जिले के हरिपुर गांव में जन्में विष्णु दा की भगवान शिव में प्रति आस्क्ति थी। शिवपुत्र शुकदेव चैतन्य के प्रति वे श्रद्धा रखते थे। शायद इसीलिए राष्ट्रवाद के अतिरिक्त उनकी कृतियों में अध्यात्म की झलक भी दिखती है। उनके परिवार के निकट रहे अनिंद्य कांति बिश्वास से मिली सूचनानुसार कल रात अपने कोलकाता स्थित निवास में जब वे वाश रुम गये तो वहीं गिर पड़े और उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। अपने पीछे वे पत्नी को छोड़ गये हैं।

मेरे और मेरे परिवार की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी आत्मा की शांति की हम प्रार्थना करते हैं, और अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए उनकी पत्नी को इस अपार दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की भी प्रभू से प्रार्थना करते हैं।

– अखिलेश निगम

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