गोदावरी जी का जन्मदिन

अपने अवधेश अमन जी उन चंद कलाकारों में शामिल हैं जिन्होंने कला लेखन में लगभग चार दशक से अधिक का योगदान दिया है। बिहार जैसे राज्य में जिस दौर में कला लेखन की किसी परंपरा का नितांत अभाव था, अमन जी ने नियमित लेखन को अपनाया। इतना ही नहीं आज से चालीस साल पहले मधुबनी समेत मिथिला के विभिन्न अंचलों में जाकर मिथिला चित्रकला पर विस्तार से अध्ययन किया। ललित कला अकादमी, नयी दिल्ली से वर्ष १९९२ में प्रकाशित उनकी “मिथिला चित्रकला : सफलताएं -असफलताएं” शीर्षक पुस्तक भी आ चुकी हैं। प्रस्तुत है मिथिला चित्रकला की एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर पद्मश्री गोदावरी दत्त जी के जन्मदिन पर उनका यह आलेख….

अवधेश अमन

 

आज 7 नवम्बर को मिथिला की चित्रकार गोदावरी जी के जन्मदिन पर उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं ! आज वो 90 वर्ष की हो चुकी हैं। 

मेरा उनसे पहली बार मिलना 1981 में उनके रांटी स्थित आवास पर हुआ था। रांटी, मधुबनी , बिहार जहाँ पहुँचना उन दिनों आज की तरह सुगम नहीं था। उन्हीं दिनों मिथिला के ज्यादातर लोक चित्रकारों के घर मिट्टी के थे, जबकि गोदावरी जी का पक्का मकान था। उन दिनों मिथिला की चित्रकला में कुण्डलित चित्र बनाने वाली वो अकेली कलाकार थीं। उन्होंने अपना एक 7 मीटर लंबा और 1 मीटर चौड़ा कुण्डलित चित्र दिखाया था जिसमें जीवन-चक्र का चित्रांकन था। जन्म से मृत्यु तक कि एक गाथा उसमे अंकित थी। वह उसे दिखाते हुए बहुत भावुक थीं। उनके जीवन में उन दिनों कुछ प्रतिकूल चल रहा था, जो उन्होंने भावनावश मुझसे साझा किया था। कुछ ही दिन पहले भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के एक विनिमय कार्यक्रम के बाद वे जर्मनी से लौटी थीं। जर्मनी में अस्वस्थ होने पर होमियोपैथी की दवा लेने पर रिएक्शन हुआ था और उनके शरीर में सफेदी उभर रही थी, जिससे वो चिंतित भी थीं। फिर भी उनका सृजन कार्य निरंतर जारी था।

Padmshree Godavari Dutt                          Photo: Awadhesh Aman

 

भारतीय हस्तशिल्प बोर्ड के अन्वेषक कलाकार भास्कर कुलकर्णी उन्हें निरंतर प्रोत्साहित कर रहे थे।…बहरहाल उन्होंने रांटी शैली में ही जो चित्रांकन किया था वह औरों से भिन्न था। दुष्यंत और शकुंतला भी उनके चित्रांकन का विषय था । दैनिक जीवन के क्रियाकलाप तथा राम-कृष्ण कथा भी इनके चित्रांकन के विषय थे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत कुछ देशों की यात्रा के बाद उनका व्यवहार कुछ नागर कलाकारों जैसा हो गया था । वो रासायनिक रंगों का इस्तेमाल करने लग गई थीं। साथ ही रंगों की लोक परम्परा भूलने लगी थीं । मगर जीवन के बहुत उतार-चढ़ाव के बावजूद अपने सृजन कर्मों को अब तक जारी रखा है, यह सुखद है।

उन्हें उनके जन्मदिन की पुनः हार्दिक शुभकामनाएं !

– अवधेश अमन
मोबा : 7991170799

♦आवरण चित्र : जय कृष्ण अग्रवाल

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