सफलता और असफलता का अंतर्द्वंद्व

अक्सर हम किसी कलाकार की कृतियों पर लिखी गयी समीक्षाओं या लेखों को ही समकालीन कला लेखन मान लेते हैं I सामान्य तौर पर किसी कलाकार की प्रदर्शनी की स्थिति में उसके कैटलाग के लिए लेख लिखे जाते हैं या अख़बारों अथवा पत्रिकाओं में उससे संबंधित समीक्षाएं प्रकाशित होती हैं I देखा जाए तो ज्यादातर कला समीक्षक इसी भूमिका में नज़र आते हैं, या नज़र आना चाहते हैं I किन्तु मेरी राय में जोनी एमएल कुछ अलग हटकर सोचते और उसे अभिव्यक्त करते हैं I उनकी यह अभिव्यक्ति उनके सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से सामने आते रहते हैं I ऐसे ही एक पोस्ट का हिंदी भावानुवाद यहाँ प्रस्तुत है ….-संपादक   

Johny ML

प्रत्येक सफल कलाकार कमोबेश एक ही तरह से सफलता का स्वाद चखते और उसका आनंद लेते हैं। वे महंगे कपड़े, कार, घर, स्टूडियो खरीदते हैं और छुट्टियां मनाने विदेश जाते हैं।

लेकिन बहुधा इनमें एक स्पष्ट अंतर दिखता है। वे कलाकार जिन्हें शुरुआती सफलता मिल जाती है, वह उन्हें बेहतर (प्रशिक्षित, दिखने में सुंदर और संतुष्ट) जीवनसाथी दिलाती है। अब अगर आपको कलाकार की सफलता के मुकाबले जीवनसाथी के मामले में कुछ बेमेल नज़र आए, तो यकीन मानिए कि यह सफलता उन्हें देर से मिली है।

वैसे कुछ असफल कलाकार भी होते हैं और हर बार सफल न हो पाने या आंशिक सफलता का स्वाद कुछ अलग और अनूठा होता है। ध्यान रहे, मैं सफलता की कमी को असफलता नहीं कहता, क्योंकि यह बिल्कुल भी असफलता नहीं है। क्योंकि सफलता बस एक मौका है जो किसी को मिला और किसी को नहीं मिला ।

इन असफल होने वालों के दो प्रकार हैं। एक, वे जो किसी और कारण से जल्दी ही मंच छोड़ देते हैं और फिर देर से अपनी वापसी करते हैं । दूसरा, काफी समय तक किए गए अपने अच्छे काम के बावजूद, उनके अन्दर कुछ ऐसी कमी रह जाती है जिसके कारण वे खरीदारों और दीर्घा संचालकों को अपनी तरफ आकर्षित नहीं करा पाते हैं I

इन दोनों मामलों वाले इसे अपनी कमनसीबी या दुर्भाग्य मानते हैं। लेकिन वे अपने जीवन के अंत तक उस दिन की उम्मीद करते रहते हैं, जब किसी दिन सफलता उन पर मुस्कुराएगी। वे निराश होकर दुनिया छोड़ चुके होते हैं। इस उम्मीद के साथ कि उनके बच्चे या रिश्तेदार उनकी कलाकृतियों की कद्र करेंगे । लेकिन उनके उत्तराधिकारी कुछ स्पष्ट कारणों से ऐसा नहीं करते; मसलन ये कलाकृतियाँ बहुत सी जगह घेरते हैं और उनसे कोई सीधा फायदा भी नहीं दिखता होता।

इस स्थिति में उनके समकालीन कहने लगते हैं कि जब उसे नौकरी मिली थी, तो उसे वह कर लेनी चाहिए थी। उधर बेटा कह सकता है कि पिता ने भ्रम में पड़कर अपना जीवन बर्बाद कर लिया। इसी बीच अचानक फिर एक दिन, किसी को उस कलाकार की ढेर सारी कलाकृतियाँ मिल जाती हैं। ऐसे में वह व्यक्ति उस कलाकार का इतिहास बदल सकता है, कम से कम मरणोपरांत।

क्योंकि उस समय तक, अपने दौर में कला जगत पर राज करने वाले प्रभावी और शक्तिशाली लोग गिरकर धूल चाट चुके होंगे। ऐसे में दशकों की गुमनामी के बाद एक नया सितारा जन्म लेता है। क्योंकि प्रसिद्धि की गुंजाईश हरेक के लिए है, जाहिर है ऐसे में हर किसी के लिए एक उम्मीद भी है।

 

  • जोनी एमएल

आवरण चित्र सांकेतिक : google के सौजन्य से 

One Reply to “सफलता और असफलता का अंतर्द्वंद्व”

  1. कला में सफलता अथवा असफलता का तो पता नहीं पर बहुत सारे लोग कलाकर्म में लगे पड़े हैं.पूरा जीवन खपा दिया.यह जूनून एक पागलपन नहीं तो और क्या है?
    जॉनी जी का आलेख अच्छा है.सही आंकलन किया है आज के समय में कसला की स्थिति का.

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