चित्रकला में “कलम”

चित्रकला में “कलम” शब्द का प्रयोग शैली के पर्याय के तौर पर होता है I ऐसे में बहुधा छात्रों या युवा कलाकारों के मन में इस शब्द के विवरण या व्युत्पत्ति जानने की उत्कंठा होती है I यहाँ एक कोशिश है इस शब्द के ऐतिहासिक महत्व, सन्दर्भ और व्याख्या को सामने रखने की I दरअसल ‘कलम’ शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द “क़लम (قلم)” से मानी जाती है, जिसका अर्थ है — लेखन का उपकरण या पेन/कलम। यह शब्द भारत में फारसी और अरबी भाषाओं के माध्यम से आया, विशेषतः मुगल शासन काल में।

संस्कृत में इसका समतुल्य शब्द है — लेखनी, लेकिन “कलम” शब्द का प्रयोग भारतीय उपमहाद्वीप में केवल लेखन के लिए नहीं, बल्कि चित्रण के लिए भी एक विशेष शैलीगत उपकरण और तकनीक के रूप में हुआ।

लघुचित्र परंपरा में कलम‘:

भारतीय चित्रकला, विशेषकर मुग़ल, राजस्थानी, पहाड़ी और दक्कनी लघुचित्र परंपरा में कलम शब्द का अत्यंत विशेष स्थान है। यहां “कलम” का आशय केवल लेखन की वस्तु नहीं, बल्कि वह बारीक चित्रण करने वाली कूची से है।

कलम लगाना’ का अर्थ और अभिप्राय होता था: अत्यंत बारीक रेखाओं, रंगों और आभा की परतों को सावधानीपूर्वक चित्र में जोड़ना।

  • क्योंकि परम्परागत तौर पर किसी चित्र को अंतिम रूप देने की पूरी प्रक्रिया में अलग-अलग चरण में कई कलाकारों का योगदान होता था I आज के सन्दर्भ में देखें तो कार्टून या कॉमिक्स के चित्रण में इसी प्रक्रिया का पालन किया जाता है I  जैसे:
    • खाका बनाने वाला (रेखांकन)
    • रंग भरने वाला
    • कलमकार (बारीक़ रेखाएँ डालने वाला)

इनमें कलम लगाना” सबसे सूक्ष्म, विशिष्ट और तकनीकी रूप से कुशल कार्य माना जाता था। इसीलिए ‘कलम’ एक विशेष चित्रकारी कौशल का प्रतीक बन गया।

मुग़ल और दरबारी चित्रकला में कलम‘:

  • अकबर और जहाँगीर के काल में, दरबारी चित्रकला कार्यशालाओं में कलाकारों की भूमिका ‘कलम’ के गुण के अनुसार निर्धारित होती थी।
  • इसलिए उन चित्रों के नीचे कई बार लिखा मिलता है : यह चित्र मनोहर ने बनाया और उस पर कलम अब्दुल रहीम की है।”

यह कलम” उस बारीक कार्य और अंतिम सौंदर्यात्मक सजीवता को दर्शाता था जिसे उस समूह के सबसे अनुभवी कलाकार ही कर सकते थे।

कलम” एक ऐसा शब्द है जो लेखन, चित्रण, और अभिव्यक्ति — तीनों को जोड़ता है। चित्रकला में इसका प्रयोग केवल उपकरण के रूप में नहीं, बल्कि एक तकनीकी-शैलीगत विरासत के रूप में भी हुआ है। मुग़लकालीन कलम, राजस्थानी लघुचित्र, कलमकारी वस्त्र-कला — इन सभी में ‘कलम’ एक प्रकार की सर्जनात्मक सूक्ष्मता और सौंदर्य का पर्याय है।

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