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मानवतावाद की प्राथमिकता के बिना राष्ट्रवाद या पंथवाद बेमानी है।
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मानवतावाद आज खतरे में है विघटनकारी शक्तियां हो रही है गोलबंद।
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संकीर्ण पंथों, वादों, समूहों द्वारा फैलाए जा रहे विष के खिलाफ बोलना होगा।
हाजीपुर,21 अप्रैल, 2025 I प्रतिष्ठित संस्था “बाबू शिवजी राय मेमोरियल लाइब्रेरी, हाजीपुर” में बाबू शिवजी राय जी की चौदहवीं पुण्यतिथि मनाई गई I जिसमें साहित्य, शिक्षा, राजनीति, सामाजिक कार्य, रंगमंच, कानून और ललितकला के अनेकों शख्सियत ने उनके तस्वीर पर पुष्पांजलि कर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की I इस अवसर पर राष्ट्रीय स्तर पर ललितकला के समीक्षक,लेखक और शोध मार्गदर्शक सुमन कुमार सिंह और दिल्ली से ही पधारे वरिष्ठ चित्रकार विपिन कुमार को बाबू शिवजी राय स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। किसान मजदूर नेता और शिक्षाविद् बाबू शिवजी राय के स्मृति में ‘मानवतावाद की प्रासंगिकता’ पर सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमीनार की अध्यक्षता लाइब्रेरी के उपाध्यक्ष लेखक और पूर्व पत्रकार सुरेंद्र मानपुरी ने किया। शिक्षक उमेश निराला ने विषय प्रवेश कराते हुए मानवतावाद के सिद्धान्त और उपयोगिता पर बात रखी। लाइब्रेरी के उपाध्यक्ष मुकेश रंजन ने मानवतावाद के विकास के लिए युवाओं को जागरूक करना होगा और मानवतावाद को कोर्स में स्थान दिलाना होगा।

विद्वान और लेखक डॉ नंदेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि आज पंथवाद, क्षेत्रवाद के साथ स्वार्थ की ऐसे वृद्धि हो रही है कि मानव मूल्यहीन प्रगति के लिए आतुर है और मानवतावाद के विरुद्ध खड़े हैं। अधिवक्ता और साहित्यकार विजय कुमार ‘ विनीत’ ने माना की मानवतावाद सभी वादों के मूल में होता है लेकिन धीरे धीर यह छूट जाता है और सभी समूह, संगठन, पद निजता का शिकार हो जाता है और मानवता गौण होती चली जाती है। शोध मार्गदर्शक एवं कवि डॉ अरुण ‘ निराला’ ने अकादमिक वक्तव्य दिया और कहा मानवतावाद का अर्थ मन के विकास से है। मन द्वेष से मुक्ति और जगत के सभी चर अचर के कल्याण की चाहत रखता है लेकिन इसके प्रतिकूल कार्य करने वाले संगठन ही आज मुकाम पर है। वरिष्ठ रंग निर्देशक क्षितिज प्रकाश का मानना है कि छद्म राष्ट्रवाद और तत्काल भौतिक सुख मानवतावाद के मार्ग में खड़ा है।
दलित सेना के प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम कुमार दाहा ने कहा कि मानवतावाद पर एक पुनर्जागरण की आवश्यकता है और समाज के सचेत लोगों को अभियान चलाना होगा। छात्र विवेक मिश्रा ने रेखांकित किया कि आज की मीडिया, आज के धार्मिक – मजहबी संत, मौलवी पादरी आदि भी मानवतावाद के लिए काम नहीं कर राजनीति और सत्ता के आसपास ही बात कर मानवतावाद को क्षति पहुंचा रहे है। दिल्ली से आए मुख्य अतिथि सुमन कुमार सिंह ने कहा कि भारत दुनिया भर में मानववाद के जनक के रूप में जाना जाता था लेकिन आज हमारा राष्ट्रीय चरित्र ही इसके विरुद्ध हो गया है जो चिंता का विषय है। मानवतावाद को केंद्र में रख कर एक सामाजिक, सांस्कृतिक जागरूकता अभियान की अत्यंत आवश्यकता है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सुरेन्द्र मैनपुरी ने आज की स्थिति को भयावह बताया, बिखराव का काल और संक्रमण काल बताते हुए कहा कि आज सभ्य समाज को मुंह खोलना होगा और सामाजिक, सांस्कृतिक, लैगिंग भेदभाव वाले संस्था को चिन्हित कर उनके विरुद्ध अभियान चल कर उन्हें जन सहयोग से रोकना होगा। आज रात काली है लेकिन कल उजला तय है। कार्यक्रम में अतिथि विपिन कुमार, विवेका चौधरी, गायक नवल किशोर सुमन, गायिका विवेका चौधरी, शिक्षक राजेश परासर, रंगकर्मी दीनबंधु, मुस्कान राज, सुष्मिता भारती, अंजू चौबे, अधिवक्ता आशिकी कुमारी,राजेश कुमार बक्शी, हरिशंकर प्रसाद सुमन, भास्कर झा, अनीश सिंह, गांधी राय, रूपा कुमारी ने अपनी बातें रखी। रश्मि चौधरी ने सरस्वती बंदना प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत संस्थापक कुमार वीर भूषण और धन्यवाद कर्नल कुमार ने किया।
स्रोत : प्रेस विज्ञप्ति