विजय सिंह : मूर्त-अमूर्त और अध्यात्म का समीकरण

अपने अजित दूबे जी की विशेष पहचान यूँ तो एक छापा कलाकार व प्राध्यापक की रही है, किन्तु यहाँ वे उपस्थित हैं अजितानन्द के रूप …