कुछ विशिष्ट् छात्रों से जुड़ी स्मृतियाँ : संदीप भाटिया

प्रो. जयकृष्ण अग्रवाल जी उन वरिष्ठ कलाकारों में से हैं, जो लगभग नियमित तौर पर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं। उनके लेखन का दायरा …

बीते दिनों की कुछ यादें: लखनऊ सन् 1957-58.

 मेरे फोटो एलबम से… प्रो. जयकृष्ण अग्रवाल जी उन वरिष्ठ कलाकारों में से हैं, जो लगभग नियमित तौर पर सोशल मिडिया पर सक्रिय रहते हैं। …

लखनऊ के स्टको से नागर जी की इम्पैस्टो पेन्टिंग तक

अपने आदरणीय जयकृष्ण अग्रवाल हमारे बीच एक ऐसे कलाविद हैं, जिन्होंने अपनी पीढ़ी से लेकर आजतक के कला जगत के अद्भुत संस्मरण अपनी यादों में …

लेखक,समीक्षक और सांस्कृतिक कर्मी : कृष्ण नारायण कक्कड़

अपने आदरणीय जयकृष्ण अग्रवाल हमारे बीच एक ऐसे कलाविद हैं, जिन्होंने अपनी पीढ़ी से लेकर आजतक के कला जगत के अद्भुत संस्मरण अपनी यादों में …

‘ मिट्टी से सृजन ‘ : ज़मीन से जुड़ने का एहसास…

सन् 1956 में लखनऊ के कला महाविद्यालय में पद्मश्री आचार्य सुधीर रंजन ख़ास्तगीर के प्रधानाचार्य पद पर आसीन होने के उपरांत सामयिक आवश्यकताओं के निहित …

सृजनात्मक प्रिंटमेकिंग के प्रारम्भिक दिन, सन् 1963.

लखनऊ कला महाविद्यालय में प्रिंटमेकिंग को सृजनात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में शुरू करने का दायित्व सन् 1963 में मुझे सौंपा गया। उनदिनों मुझे …

संस्मरण : गुफरान किदवई

मूर्ति कला विभाग कला एवं शिल्प महाविद्यालय,लखनऊ का स्नातक मुहम्मद गुफरान किदवई मेरा छात्र नहीं रहा था फिर भी मेरे अध्यापन काल में वह एक …