मानवतावाद के बिना राष्ट्रवाद एक साजिश है

मानवतावाद की प्राथमिकता के बिना राष्ट्रवाद या पंथवाद बेमानी है। मानवतावाद आज खतरे में है विघटनकारी शक्तियां हो रही है गोलबंद। संकीर्ण पंथों, वादों, समूहों …