
मूर्ति कला विभाग कला एवं शिल्प महाविद्यालय,लखनऊ का स्नातक मुहम्मद गुफरान किदवई मेरा छात्र नहीं रहा था फिर भी मेरे अध्यापन काल में वह एक छात्र के रूप में मेरे सम्पर्क में आया, उससे जुड़ा एक संस्मरण…
आज अनायास मुझे 1974 बैच स्कल्पचर के छात्र मुहम्मद गुफरान किदवई का स्मरण हो आया। गुफरान एक बहुत ही सीधा सादा शान्त प्रवृत्ति का छात्र था। ज्यादातर वह अपने काम में ही व्यस्त रहता। एक तरह से कालेज में उसकी उपस्थिति का कोई विशेष संज्ञान भी नहीं लिया जाता था। उसकी अंतिम वर्ष की परीक्षा में परीक्षा नियंत्रक मैं था। इसी बीच एक भूतपूर्व छात्र जो छात्रवृति पर विशेष अध्ययन कर रहा था परीक्षा कक्ष में आकर विघ्न डालने लगा। मेरे आपत्ति करने पर वह आपे से बाहर होकर अनर्गल बकवास करने लगा। मेरे प्राॅक्टर को सूचित करने के उपरांत स्थिति नियंत्रण में आई।अनुशासनात्मक कार्यवाही से बचने के लिये उसने मेरे विरुद्ध अनापशनाप आरोप लगाते हुए एक पत्र लिखा और सभी परीक्षार्थियों के हस्ताक्षर करा कर प्रधानाचार्य को सौप दिया। वह एक उद्दंड छात्र था इसलिए न चाहते हुए भी परीक्षार्थी उसका विरोध न कर सके और दबाव में आकर अनिच्छा से हस्ताक्षर करने पर मजबूर हो गये। उस समय लगा कि फिलहाल सबकुछ नियंत्रण में आ गया है और मैं भी स्थिति से शुब्ध हो घर लौट आया।
आज के घटनाक्रम से मैं उभरा भी नहीं था तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। जब मैंने दरवाजा खोला तो देखा गुफरान सामने खड़ा था। उसके चेहरे पर पश्चाताप के भाव स्पष्ट नजर आ रहे थे। मैंने उसे अंदर बुलाया और पूछा क्याबात है। उसने बिना कुछ कहे एक कागज़ मेरे हाथ में पकड़ा दिया। उस कागज़ पर गुफरान का इकबाले बयान था कि जिस कागज़ पर उससे दबाव डालकर हस्ताक्षर कराए गये थे उसमें लगाए गए सभी आरोप झूठे थे और वह इसके लिये शर्मिंदा हैं। मैंने गुफरान को अंदर बुलाया और कहा कि क्या तुम जानते हो कि तुम मुसीबत में पड़ सकते हो। उसका सीधा सा जबाब था कि मैं अपने जमीर का क्या करूं, अपने आप से नफ़रत नहीं कर सकूंगा। गलत तो गलत ही है और मझसे गलती हो गई है। मेरे सामने एक खानदानी, खुदाबंद और सच्चा नवयुवक खड़ा था। मेरे पास कुछ कहने को शब्द नहीं थे बस किसी तरह शुक्रिया कह कर मेरा गला भर आया। थोड़ा संयत होकर मैंने कहा, गुफरान तुम्हारा यह पत्र एक सच्चे इन्सान की अमानत के तौर पर रखूंगा तो अवश्य पर कभी इस्तेमाल नहीं करूंगा और वह पत्र आज भी मेरे पास सुरक्षित हैं,यद्यपि बाद में स्थिति यहां तक बिगड़ गई थी कि मुझे बंदूक से उड़ाने की धमकी भी दी गई और दो माह तक पुलिस प्रोटेक्शन में भी रहना पड़ा था किन्तु मैंने गुफरान के पत्र को अपने तक ही सीमित रखा।
इस घटना को हुए एक अरसा बीत गया और वह सच्चा नवयुवक अपनी मेहनत से गुफरान से प्रोफेसर गुफरान किदवई होकर जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में आर्ट एजुकेशन के विभागाध्यक्ष के पद पर रहते हुए सन् 2017 में सेवानिवृत्त भी हो गया किन्तु तब से अब तक हर ईद और दीवाली को वह मुझे फोन करना नहीं भूलता…