जय कृष्ण अग्रवाल सर हम जैसों के लिए उस बरगद की तरह हैं, जिनके स्नेह सान्निध्य में शीतलता के साथ-साथ अनगिनत संस्मरण की भेंट मिलती रहती है I इन संस्मरणों को लगभग नियमित तौर पर वे अपने फेसबुक पर अपने संग्रह के अतिदुर्लभ चित्रों सहित साझा करते रहते हैं I बहरहाल यहाँ सादर साभार हम प्रस्तुत कर रहे हैं अपने पाठकों के लिए …
आज अपने पुराने निगेटिवस् की छटनी करते समय सन् 1977 में कुवंर नारायण जी के लखनऊ आवास विष्णु कुटी में लिये गये कुछ ऐतिहासिक चित्र निकल आये। वास्तव में विष्णु कुटी अब स्वयं इतिहास बन चुकी है। कभी एक महान् लेखक, कवि और बुद्धिजीवी कुवंर नारायण जी का आवास ही नहीं था, बल्कि कला,साहित्य और संगीत आदि से जुड़े सांस्कृतिक कर्मियों का संगम स्थल हुआ करता था। उन दिनों मैं भी विष्णु कुटी की काटेज में ही रह रहा था। एक दिन मुझे अपना स्लाइड प्रोजेक्टर साथ लेकर आने के लिये कुवंर जी का बुलावा आया। जैसे ही मैं वहां पहुंचा तो सत्यजीत रे और बिरजू महाराज को देखकर अवाक रह गया।
बिरजू भईया तो हमारे लखनऊ के ही थे पर सत्यजीत रे के दर्शनों का अवसर पहली बार मिल रहा था। यद्यपि मैं बांगला भाषी नहीं हूँ फिर भी जबसे “पाथेर पंचाली” देखी थी, उनसे मिलने की इच्छा बलवती होती जा रही थी। उनके सानिध्य के इतने अच्छे अवसर की तो कल्पना भी नहीं की थी। मुझे उनकी कलर ट्रांसपैरेंसीज अपने कैरोसेल से प्रोजेक्ट करनी थीं। मैं जब उन्हें ट्रे में लोड कर रहा था, तब सत्यजित रे उन्हें एक सिक्वेंस में व्यवस्थित करते जा रहे थे और इसी बीच में मेरा परिचय भी लेते जा रहे थे।
ट्रांसपैरेंसीज वास्तव में अधिकतर लोकेशन के बिजुअल्स् थे। कुवंर नारायण जी और बिरजू महाराज के साथ ब्रिटिश शासन काल में अवध की पृष्ठभूमि में फिल्माई जाने वाली मुंशी प्रेम चन्द्र की कहानी पर आधारित फिल्म शतरंज के खिलाड़ी के बारे में विचार विमर्श किया जाना था। मेरे लिये भी एक बड़ा अवसर था यह जानने का कि कैसे एक लेखक की परिकल्पना एक कहानी, आकारों और ध्वनि के साथ गतिशील हो जाती है…
लखनऊ में शूटिंग के दौरान अनेक अवसरों पर सत्यजीत रे की कार्यप्रणाली पास से देखने का अवसर मिला। लोकशन पर सबको लगातार निर्देश देते समय उनकी संलिप्तता और सृजनात्मक ऊर्जा चकित करदेती थी। यह मेरे लिये अनूठा अनुभव था। बहुत कुछ है जो स्मृतियों में लौट-लौट कर आता है। फिलहाल इतना ही…
चित्र में सत्यजीत रे, बिरजू महाराज, कुंवर नारायण, बाल कलाकार समर्थ नारायण आदि…
सभी चित्र : जय कृष्ण अग्रवाल