प्रकृति की चितेरी: प्रतिभा अवस्थी

एक कलाकार प्रकृति को सरसरी नजरों से देखता है वह उसमें तिरना चाहता है I चाहे वह किसी यात्रा में हो या घर की बालकनी से निहारे, वह उसमें जीना चाहता है I उसके साथ वह घंटों बतियाता है, वह बनना चाहता है उस पथ का राही, जिसकी यात्रा अनवरत चलती रहती है I वह भले ही लौट आया अपने गंतव्य पर ! पर वह कुछ रचना चाहता है, वैसा नहीं जैसा उसने देखा I वैसा भी नहीं जैसा औरों को दिखाई पड़ा, उसकी दृष्टि कुछ अलग ही नजरिए से प्रकृति को देखती है I वह कुछ अलग, कुछ विशेष प्रस्तुत करना चाहता है, आर्टिस्ट प्रतिभा अवस्थी भी अपने आप में प्रकृति को समेटे अपनी पेंटिंग में उपस्थित होती हैं I सृजन को लेकर उनकी दृष्टि बिल्कुल ही अलग है I उन्होंने ढेर कला प्रदर्शनियों में भागीदारी की हैं, अनेक कला शिविरों का हिस्सा रही हैंI इस सिलसिले में अलग-अलग राज्यों में प्रकृति के बीच रहने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ I इन प्रभावों को उनकी कलाकृतियों में आसानी से देखा जा सकता है I दरअसल वह पेंटिंग बनाती नहीं रचती है I अपनी प्रकृति को बचाने का संदेश वाली “अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ट्राइबल लाइफ” सीरीज में प्रतिभा अवस्थी ने पेंटिंग के माध्यम से अब तक सिर्फ खूबसूरत प्रकृति ही नहीं संघर्षरत प्रकृति के जीवन को प्रस्तुत किया हैI

प्रतिभा अपनी कल्पना के साथ मूर्त अमूर्त असंख्य रूपों को समाहित करने के पक्ष में है I उनका जन्म एक छोटे से गांव बौद्धिया कला में हुआ, जो दुधवा नेशनल पार्क की रेंज में आता हैI इस वजह से उन्हें बचपन से ही प्रकृति को करीब से महसूस करने का अवसर मिला I प्रकृति इनके मन में इस कदर रच बस गई कि घंटों प्राकृतिक दृश्यों एवं पेड़ पौधों को निहारते हुए, पशु पक्षी इनके मन-मस्तिष्क पर जो अनूठी छाप छोड़ता था, उसे इनके शुरू के कार्यों में देखने को मिलता है I यहाँ हम रंगों की बात करें तो इनकी कलाकृतियों में हरे नीले रंगों के शेड्स देखने को मिलते हैं I हालाँकि मुख्यतया इनका माध्यम तैल रंग होता था I तैल रंगों की खूबी यह होती है कि उसे मोटे पतले हल्के से गाढ़े से पतले किसी भी रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है I तैल रंग की इस खूबी को प्रतिभा अवस्थी ने अपने चित्रों में बखूबी दर्शाया है I

प्रतिभा के चित्रों में कहीं समतल जगह है, तो कहीं नाइफ के द्वारा अभिव्यक्त गहराई बेहद खूबसूरती से दिखाया है, वह लेयर में काम करती है I प्रतिभा घूमने की बेहद शौक़ीन हैं, बदलते समय के साथ-साथ प्रकृति को और जानने की भूख के तहत वह मेघालय घूमने गई I जहां एक विशेष तरह का पुल जीवित वनस्पतियों के जड़ से बनाया गया है I खासी जयंतिया आदिवासियों द्वारा निर्मित वर्षों पुराने इस पुल को रूट ब्रिज कहा जाता है I इनकी खासियत यह है कि 50 लोग इस पर आराम से चल सकते हैं I और इसे रबड़ पेड़ की जड़ों को आपस में जोड़ कर बनाया गया है, इसकी यही खूबसूरती प्रतिभा अवस्थी को प्रभावित करती थी I वह घंटों वहां बैठकर चारकोल से ड्राइंग करती रहती थी I वह इससे इतना प्रभावित हुई कि अपनी कलाकृतियों में इस विषय को विशेष स्थान दिया I उन्होंने मुख्यतया तैल एवं एक्रेलिक रंगों इसे इन चित्रों को रचा है, हरे, भूरे, और नीले आदि रंगों के टेक्सचर के जरिए पत्थरों से होकर अनंत की गहराइयों तक बेहद खूबसूरती से उकेरा है I

पेड़ों की उलझी जड़ें, ऊपर उगते पत्ते और कोपल एक अलग ही दुनिया का एहसास कराती हैं I डार्क और लाइट शेड्स के द्वारा गहराइयों और ऊंचाइयों का एहसास बेहद खूबसूरत है I पहले कैनवास पर चारकोल के द्वारा आकृति को रूप देकर नीले, हरे रंगों की समतल तथा हल्के टेक्सचर की सतह देने के बाद वह नाइफ के द्वारा पतला और मोटा टेक्सचर देखकर एक अनूठी दुनिया की ओर ले जाती हैं I इन कलाकृतियों में मुख्यता मेरिडियन ग्रीन , शेप ग्रीन, पर्शियन ब्लू, कोबाल्ट ब्लू आदि रंगों की शेड्स देखने को मिलते है I इनके चित्रों को देखकर हम कह सकते हैं कि उनकी पेंटिग हमे एक अनंत की ओर ले जाकर, इन्हीं एहसासों की दुनिया में खोकर गहराइयों में खो जाने का एहसास दिलाती हैं I जंगल, पहाड़, आकाश, नदी, पोखर, झरना, झील और पेड़-पौधे मनुष्य को चिरकाल से ही आकर्षित करते रहे हैं I

प्रकृति को निहारना, निरखना, पक्षियों को देखना,  उनकी आवाजों को सुनना ,आसमान के विस्तार को निहारना फूलों-पत्तों से बतियाना, सुगंध को महसूस करना, एक अलग तरीके  का आत्मविश्वास जगाता है, हमें संवेदनशील बनाता है, प्रकृति के बीच रहना मन में एक अलग  सुकून देता है I जब मै प्रकृति के बीच होती हूं, तो मैं ईश्वर के साथ होती हूं, ऐसा मानना है प्रतिभा अवस्थी का I पक्षियों की चहचहाट, जल का प्रवाह कल-कल की आवाज किसी भी व्यक्ति के तन मन पर सकारात्मक प्रभाव डालता है प्रतिभा को प्रकृति के बीच रहना हमेशा अच्छा लगता है I जिसने उन्हें प्रकृति चित्रकार बनने के लिए प्रेरित किया, प्रतिभा की रचनात्मक पेंटिंग में हमेशा एक मानवीय संवेदनाएं जुड़ी है, प्रकृति जो रहस्य से भरी है I उनका मानना है कि प्रकृति का संबंध मेरे साथ तो वैसा ही है जैसा एक सखी का दूसरी सखी के साथ होता है I प्रतिभा इनदिनों चंडीगढ़ में रहकर काम कर रही हैं, वह कहती हैं मेरी पसंदीदा जगह है चंडीगढ़, प्रकृति के बीच रहना, देर तक निहारना अपने आप में एक अलग अनुभूति होती है, एक चित्रकार के रूप में प्रतिभा अवस्थी का मानना है कि कला केवल एक चित्र नही बल्कि वह उससे परे है वह स्वयं (प्रतिबिंबित) को खोजने की एक प्रक्रिया है I मै सौभाग्यशाली हूं कि मुझे चंडीगढ़ में रहने का मौका मिला I

-शुचि कालरा बुद्धिराजा

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